सतगुरू जीवन में एक बार ही मिलते हैं

105बाडमेर 29.12.2016
गुलेच्छा ग्राउण्ड में चल रही देवी भागवत के दूसरे दिन जोधपुर से पधारे महंत लक्ष्मण दास महाराज ने कथा प्रंसग में कहा जीवन मैं गुरू तीन प्रकार के होते है पहला षिक्षा गुरू, दीक्षा गुरू, व सतगुरू। प्रथम षिक्षा दिक्षा गुरू हमें मिल ही जाते है पर सतगुरू जीवन में एक बार ही मिलते है। क्योंकि परमात्मा से मिलने का मार्ग सन्तुगरू ही बताते है। वो ही हमें मोक्ष द्वार तक पहुंचाते हैै व कहा प्रभू का मनन व चिंतन करने से शरी के सारे विकार दूर हो जाते है जिस प्रकार कपड़े का दाग धोने से साफ होता है उसी प्रकार मन का दाग सतसंग में ही धुलता है। हमें जीवन में सदैव सतसंग करते रहना चाहिए।
103मां से ही ममत्व पैदा होता है माता की महिमा अपार है। अठारह पुराणों के रचियता वैद व्यास के पुत्र सुखदेव के जन्म कर्म की कथा कही। वैद व्यास गौरया को अपने बच्चे को दुलारते देख पुत्र प्राप्ति की भावना जगी। तब देवर्षी नारद ने नौ दिन देवी उपासन करने को कहा जिसके पूर्ण होते ही उनका मनोरथ पूर्ण हो गया। क्योंकि अनपादि ब्रहम की रक्षा करने वाली शक्ति है।। जिनको ब्रहम, विष्णु, महेष भी नमन करते है। जब विष्णु धनुष को अग्र भाग पर सिर रख कर सो गये और देवताओं सहित ब्रहम ने दीमक किडे के द्वारा धनुष के नीचे से खोखला करने पर विष्णु का सर अलग हो गया। तब देवताओं द्वारा माता की आराधना की और घोड़े का सर लगाकर विष्णु हयग्रीव राक्षस का संहार किया। आज कथा संयोजक दुर्गाषंकर ने बताया कि आरती के लाभार्थी मूलाराम माली, गुलाब खत्री, केवल बृजवाल, लखसिंह भाटी रहे। प्रसादी के लाभार्थी खेतमजल जैन रहे।

दुर्गाषंकर शर्मा
कथा आयोजक

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