महिलाओं को कानूनी जानकार बनना आज की जरूरत : खरे

IMG_20170306_170951हर व्यक्ति जन्म से ही कुछ अधिकार लेकर आता है, चाहे वह जीने का अधिकार हो या विकास के लिए अवसर प्राप्त करने का. मगर इस पुरुष प्रधान समाज में महिलाओं के साथ लैंगिक आधार पर किए जा रहे भेदभाव की वजह से महिलाएं इन अधिकारों से वंचित रह जाती हैं. इसी वजह से महिलाओं के अधिकारों को सुनिश्चित करने हेतु हमारे संविधान में अलग से क़ानून बनाए गए हैं और महिलाओं को अपनी ज़िंदगी जीने में ये क़ानून भरपूर मदद कर सकें, इसके लिए समय-समय पर इनमें संशोधन भी किए गए हैं. यह कहना है ए डी जे सुरेंद्र कुमार खरे का। उन्होंने यह बात स्थानीय रेन बसेरा में तालुका विधिक सेवा समिति द्वारा आयोजित जागरूकता केम्प में बतौर मुख्य अतिथि कही। तालुका विधिक सेवा समिति के प्रवक्ता अशोक राजपुरोहित ने बताया कि राज्य भर में महिलाओ ,युवाओ ,बालिकाओ और आम जनता के लिए तालुका विधिक सेवा समिति द्वारा कानून की जानकारी के साथ साथ उनके हको को लेकर जागरूकता शिवरो का आयोजन किया जा रहा है उसी क्रम में सोमवार को स्थानीय रेन बसेरा में जागरूकता शिविर का आयोजन किया गया. आयोजन को संबोधित करते हुए नगरपरिषद के अधीक्षण अभियंता ओम प्रकाश डीडवाल ने कहा कि सामाजिक तौर पर महिलाओं को त्याग, सहनशीलता एवं शर्मीलेपन का प्रतिरूप बताया गया है. इसके भार से दबी महिलाएं चाहते हुए भी इन क़ानूनों का उपयोग नहीं कर पातीं. बहुत सारे मामलों में महिलाओं को पता ही नहीं होता कि उनके साथ जो घटनाएं हो रही हैं, उससे बचाव का कोई क़ानून भी है. शिविर को सम्बोधित करते हुए तालुका विधिक सेवा समिति के एडवोकेट अमित बोहरा ने कहा कि भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14,15 और 16 में देश के प्रत्येक नागरिक को समानता का अधिकार दिया गया है। समानता का मतलब ‘समानता‘, इसमें किसी प्रकार का लिंग भेद नहीं है। समानता , स्वतंत्रता और न्याय का अधिकार महिला-पुरुष दोनों को समान रूप से दिया गया है। शारीरिक और मानसिक तौर पर नर-नारी में किसी प्रकार का भेदभाव असंवैधानिक माना गया है। इस अवसर पर रेन बसेरा प्रबन्धक भवरू खान ,तालुका विधिक सेवा समिति के एडवोकेट पन्नालाल जांगिड़ और समाज सेवी अक्षयदान बाहरठ ने भी संबोधित किया। आयोजन में सेकड़ो की तादात में महिलाये उपस्थित रही।

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