वसुंधरा, चतुर्वेदी की जोड़ी चलाएगी चुनाव अभियान

राजस्थान में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव के दौरान भी संगठन की कमान प्रदेश अध्यक्ष अरुण चतुर्वेदी के हाथों में ही रहेगी। प्रदेश में कांग्रेस सरकार के खिलाफ बने माहौल को भुनाने और प्रदेश भाजपा को अंदरुनी कलह से दूर रखने के लिए आलाकमान ने यह फैसला लिया है।

अब जब भाजपा आलाकमान ने मुख्यमंत्री के लिए वसुंधरा राज के नाम पर मुहर लगाकर चुनाव की बागडोर उनको सौंप दी है। ऐसे में आलाकमान नहीं चाहता है कि प्रदेश संगठन में बदलाव कर एक नए विवाद को जन्म दिया जाए। इसलिए पार्टी अध्यक्ष को दूसरा कार्यकाल देने संबंधी संविधान संशोधन प्रस्ताव के पारित होने के बाद चतुर्वेदी की भी कुर्सी बरकरार रहेगी।

वहीं आलाकमान की ओर से अध्यक्ष पद पर दोबारा ताजपोशी का आश्वासन मिलने के बाद चतुर्वेदी नए जोश के साथ प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने की रणनीति को अंजाम देने में जुट गए हैं।

बाढ़ और सूखे की समस्या के साथ ही प्रदेश सरकार की ओर से बिजली की कीमतों में किए गए इजाफे को भुनाने के लिए चतुर्वेदी ने एक अक्टूबर को बैठक भी बुलाई है, जिसमें प्रदेश की कांग्रेस सरकार को घेरने की रणनीति को अंजाम तक पहुंचाया जायेगा।

गौरतलब है कि वसुंधरा समर्थक उन्हें अध्यक्ष बनवाकर टिकट वितरण की कमान अपने पास रखना चाहते थे,लेकिन आरएसएस के दबाव और विवाद को टालने के लिए आलाकमान ने चतुर्वेदी को अध्यक्ष बनाए रखने का निर्णय किया है। हालांकि चतुर्वेदी को साफ हिदायत दी गई है कि वे वसुंधरा राजे से तालमेल बनाकर चलें, क्योंकि राजस्थान में वे एकमात्र जनाधार वाली नेता है।

भाजपा के एक पूर्व प्रदेश अध्यक्ष का कहना है कि मुख्यमंत्री के बारे में अधिकारिक घोषणा तो चुनाव के बाद सत्ता में आने पर विधायक दल की बैठक में होगा,लेकिन यह साफ है कि वसुंधरा राजे ही मुख्यमंत्री बनेगी,यह संदेश केन्द्रीय नेतृत्व ने सभी स्तर पर दे दिया है।

सूत्रों के मुताबिक राष्ट्रीय परिषद की बैठक में शुक्रवार को वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आड़वाणी, राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गड़करी सहित सभी नेताओं ने वसुंधरा राजे से राजस्थान विधानसभा चुनाव को लेकर चर्चा की और साफ कहा कि वे ही पार्टी के सत्ता में आने पर मुख्यमंत्री बनेंगी।

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