अब प्रसव या गर्भ समापन पश्चात् आईयूसीडी अपनाने पर महिला को 300 रूपए प्रोत्साहन

bikaner samacharसरकार ने बच्चों में अंतराल के प्रचलित साधन आईयूसीडी (कॉपर टी) के लिए प्रोत्साहन स्वरुप देय राशि का दायरा बढ़ा दिया है। प्रसव पश्चात 48 घंटे में इंट्रा यूटेराइन कॉण्ट्रासेप्टिव डिवाइस (पीपीआईयूसीडी) लगवाने पर जहां पहले केवल प्रेरित करने वाली आशा व सेवा प्रदाता एएनएम या चिकित्सक को 150-150 रूपए प्रोत्साहन स्वरुप दिए जाते थे, लाभार्थी महिला को कुछ भी वित्तीय प्रोत्साहन नहीं मिलता था, अब लाभार्थी महिला को भी 300 रूपए वित्तीय प्रोत्साहन देने के आदेश सरकार ने जारी कर दिए हैं। इसके साथ ही योजना को और विस्तार देते हुए सरकार ने यही लाभ गर्भसमापन पश्चात् कॉपर टी (पीएआईयूसीडी) लगवाने पर भी लागू कर दिया है। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. देवेन्द्र चौधरी ने स्पष्ट किया कि पीएआईयूसीडी की ये प्रोत्साहन राशि इंड्यूसिव (सर्जिकल) या अपने आप हुए (स्पोनटेनियस) गर्भ समापन के पश्चात आईयूसीडी लगवाने पर ही देय होगी, मेडिकल मेथड एबॉर्शन यानिकी दवाओं- गोलियों द्वारा एबॉर्शन के लिए नहीं।

यूं देय होगी प्रोत्साहन राशि
उपमुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी (प.क.) डॉ. राधेश्याम वर्मा ने बताया कि कुल प्रोत्साहन राशि 600 रूपए में से 300 रूपए लाभार्थी को, 150 रूपए प्रशिक्षित सेवा प्रदाता / एएनएम /चिकित्सक को तथा 150 रूपए लाभार्थी को प्रेरित करने वाली आशा सहयोगिनी को दिए जाएंगे। लाभार्थी को ये राशि 2 चरणों में दी जाएगी 150 रूपए आईयूसीडी लगाने पर और शेष 150 रूपए 2 फोलोअप के बाद। लाभार्थी को कम से कम 2 बार फोलोअप के लिए आना होगा ताकि ये तय हो सके की डिवाइस सही तरह से लग चुकी है। आशा को देय प्रोत्साहन राशि आशा सॉफ्ट के माध्यम से तथा लाभार्थी व सेवा प्रदाता को देय राशि अकाउंट पेयी चेक के माध्यम से देय होगी।

सुरक्षित गर्भसमापन सेवाओं से मातृ मृत्यु पर होगा नियंत्रण
सुरक्षित गर्भसमापन सेवा विस्तार में सहयोगी आईपास डेवलपमेंट फाउंडेशन के अधिकारी सत्यप्रकाश नामा ने बताया कि विभाग के साथ मिलकर अबतक जिले के 15 चिकित्सकों को कॉम्प्रेहेंसिव एबॉर्शन केयर का प्रशिक्षण दिया जा चुका है और जल्द ही खण्ड स्तरीय प्रशिक्षण आयोजित कर सभी सीएचसी के चिकित्सकों को प्रशिक्षण दिलवाया जाएगा। इससे सुरक्षित गर्भ समापन सेवाएं मिलेंगी और गर्भ समापन पश्चात आईयूसीडी (पीएआईयूसीडी) का फायदा भी। इससे मातृ मृत्यु के एक कारण- असुरक्षित गर्भसमापन को दूर किया जा सकेगा।

क्या है आईयूसीडी ?
डीपीएम सुशील कुमार ने बताया कि आईयूसीडी या कॉपर-टी एक अन्तरागर्भाशयी उपकरण है। यह विकल्प अक्सर 2 बच्चों में अंतर रखने के लिए दिया जाता है । इस उपकरण को महिला के गर्भाशय में स्थापित किया जाता है। इससे मां और बच्चे दोनों के स्वास्थ्य पर कोई असर नहीं पड़ता। जब दंपत्ति को अगले बच्चे की इच्छा हो, तो वह यह डिवाइस गर्भाशय से निकलवा सकते हैं।

शिशु जन्म दर व मातृ मृत्यु दर कम करने में सहायक

जिला आईईसी समन्वयक मालकोश आचार्य ने बताया कि आईयूसीडी महिलाओं को समय से पहले गर्भवती होने से बचाती है जिससे शिशु जन्म दर के साथ-साथ मातृ मृत्यु दर में भी कमी आती है। इसके अतिरिक्त जल्दी गर्भवती होने के कारण अन्य परेशानियों से भी मुक्ति पाई जा सकती है।

“ पीपीआइयूसीडी में हमारा जिला राज्य में पहले स्थान पर है। बच्चों में अंतर रखने के लिए प्रसव के बाद पीपीआइयूसीडी लगवाना बेहतर साधन है। अब गर्भसमापन पश्चात आईयूसीडी पर भी प्रोत्साहन लागू है। सभी फील्ड स्टाफ व आशा सहयोगिनियों को इस नई प्रोत्साहन योजना का लाभ उठाते हुए अधिकाधिक आईयूसीडी का लाभ दिलाने के निर्देश दिए हैं”
– डॉ. देवेन्द्र चौधरी, सीएमएचओ, बीकानेर

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