आगामी पीढ़ियों को बचाने के लिए संगठित संघर्ष की जरूरत

आज का किसान मुक्ति यात्रा दिवस मामा बालेश्वर दयाल को समर्पित

किसानों पर गोली चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर चले हत्या का मुकदमा

संसद से सड़क तक का संघर्ष एक साथ होगा
IMG-20170713-WA0044अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति द्वारा आयोजित किसान यात्रा का आज आठवाँ दिन है।मध्यप्रदेश, महाराष्ट्र और गुजरात की यात्रा पूरी करने के बाद आज किसान मुक्ति यात्रा की शुरुआत राजस्थान में हुई।आज की पहली जनसभा सिरोही जिले के कृष्णगंज में हुई।विदित हो कि विनोबा भावे की पहल पर चलाये गए ‘भूदान आंदोलन’ के दौरान दान की गए ग्रामों में एक ग्राम कृष्णगंज भी है। कृष्णगंज के किसानों ने मुख्यतः फसलों के कम दाम और कर्ज तथा अन्य कृषि से सम्बंधित समस्याओं का एक ज्ञापन किसान नेताओं को सौंपा।

कृष्णगंज की सभा का संचालन राजस्थान के किसान नेता आरके मेघवाल ने किया।यहाँ सभा में बोलते हुए प्रोफेसर एच एम देशरड़ा ने कहा कि बलों में सबसे बड़ा बल भाईचारे का बल है।हमें भाईचारे के साथ संगठित होकर किसानों की लड़ाई लड़ना है। कृष्णगंज की सभा में बोलते हुए पंजाब के किसान नेता रुलदू सिंह ने कहा कि किसानों की आत्महत्या के पीछे सरकार की गलत नीतियाँ पूरी तरह से जिम्मेदार हैं।उन्होंने पंजाब का उदाहरण देते हुए कहा कि पंजाब में किसानों पर 80 हजार करोड़ रुपये का कर्ज है।उन्होंने कहा कि किसानी की समस्या से परेशान होकर पंजाब में हर रोज 3 लोग आत्महत्या करते हैं।विदित हो कि राजस्थान में पिछले 35 दिनों में 9 किसानों ने आत्महत्या की है। राजस्थान में किसानों की आत्महत्या के मामले में यह सबसे बड़ा आँकड़ा है।

सिरोही के सर्किट हाउस में किसान नेताओं ने मीडिया को सम्बोधित किया।मीडिया को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति के संयोजक वीएम सिंह ने कहा कि अगर हमें आने वाली पीढ़ियों को बचना है तो हमें मिलकर संघर्ष करना होगा।उन्होंने कहा कि जब तक हम एकजुट होकर संघर्ष नहीं करेंगे तब तक सरकारें हमारी बात को नजरअंदाज करती रहेंगी।सिरोही में मीडिया को सम्बोधित करते हुए योगेंद्र यादव ने कहा कि किसानों की सबसे बड़ी समस्या आमद-खर्च और आपद-कर्ज की है। सिरोही की प्रेसवार्ता में राजस्थान के किसान नेता रामनारायण बेड़ा(पूर्व विधायक),कान्हाराम(अध्यक्ष-ग्रामदानी) और धन्नाराम भी मौजूद रहे।

सिरोही की प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद किसान मुक्ति यात्रा की अगली सभा उदयपुर में हुई।रास्ते में पिण्डलिया में ग्रामीण किसान साथियों ने यात्रा का स्वागत किया।सभी किसान नेताओं ने उदयपुर में जनसभा को सम्बोधित किया और जनसुनवाई भी की।जनसुनवाई में आदिवासी समुदाय के किसानों ने बताया कि किस तरह से किसानी उनके लिए घाटे का सौदा हो गयी है।आदिवासियों ने जहाँ एक तरफ जमीन पर खातेदारी की माँग की वहीं दूसरी तरफ जिन कृषि भूमियों का अधिग्रहण ग़ैरकृषि कार्यों के लिए किया जा रहा है उस पर तत्काल प्रभाव से रोक लगाने माँग भी की।आदिवासियों ने जमीन पर संविधान प्रदत्त सामुदायिक अधिकार को लेकर अपने विचार व्यक्त किये।आदिवासी किसान मंच ने किसान मुक्ति यात्रा के समर्थन की घोषणा की।जनसभा को सम्बोधित करते हुए अखिल भारतीय किसान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमराराम(पूर्व विधायक) ने कहा कि किसान सभा 1936 से किसान के अधिकार के लिए संघर्ष कर रही है।उन्होंने कहा कि वर्तमान सरकार आज तक कि सबसे बड़ी किसान विरोधी सरकार है।

जनसभा के बाद उदयपुर में ही सभी नेताओं ने प्रेस को सम्बोधित किया।उदयपुर में मीडिया को सम्बोधित करते हुए डॉ. सुनीलम ने सरकार पर सीधा निशाना साधते हुए कहा कि कॉरपोरेट जगत को बढ़ावा देने की सरकार की नीति ने किसान और किसानी दोनों को हाशिये पर खड़ा कर दिया है।उन्होंने कहा कि किसानों पर गोलियाँ चलाने वाले पुलिसकर्मियों पर हत्या के मुक़दमे चलाये जाएँ एवं किसानों पर लादे गए फ़र्ज़ी मुकदमे वापस लिए जाएँ।

प्रेसवार्ता में बोलते हुए सांसद राजू शेट्टी ने कहा कि मैंने एनडीए के साथ इसीलिए गठबंधन किया था कि यह सरकार किसानों के हित और सरोकारों को तवज्जो देगी लेकिन यह सरकार आज तक की सबसे बड़ी किसान विरोधी सरकार साबित हो रही है।उन्होंने कहा कि
हमें किसानों को उनके अधिकार दिलाने के लिए संसद से सड़क तक कि लड़ाई एक साथ लड़नी होगी।

उदयपुर में प्रेस को सम्बोधित करते हुए राजस्थान के किसान नेता रामपाल जाट ने कहा कि किसानों की आज की यह लड़ाई राजस्थान में ही शुरू हुई थी।उन्होंने किसानों का आह्वान किया कि वे 18 जुलाई को ज्यादा से ज्यादा संख्या में जंतर-मंतर पहुँचें और किसानों के हक़ की लड़ाई में भागीदार बनें।ज्ञात हो कि पिछले कुछ समय से राजस्थान के किसान ने जगह-जगह ‘गाँव बन्दी’ कर अपना विरोध जताने शुरू किया है।इस गाँव बन्दी में प्रत्येक गाँव में हर तरह के सरकारी कार्यों के बहिष्कार से लेकर अपना अनाज बाज़ार में ना बेचने तक की नीतियाँ शामिल हैं। किसान नेता विज्ञान मोदी ने कहा कि राजस्थान में उस समय में भी किसानों को किसानी से जुड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ता है जब कि यहाँ पूरी बारिश होती है।उन्होंने इन समस्याओं के पीछे सरकार की गलत नीतियों को जिम्मेदार ठहराया।उदयपुर की जनसुनवाई और प्रेसवार्ता में मेघराज तावड़(सीपीआई),राजेश सिंघवी(सीपीएम),रमेश नन्दवाना(जंगल,जमीन,जन आंदोलन),शंकरलाल चौधरी(सीपीआई एमएल),मन्नाराम डांगी, हिम्मतसेठ,अर्जुनदान देथा,आर.पी. सिंह,राघव,धर्मचंद्र,चन्द्रदेव,लालूराम,देवलीबाई,मांगीलाल गुर्जर,मोहनलाल, गुमानसिंह, प्रभुलाल और कमलाशंकर भी मौजूद रहे।

विदित हो कि किसान मुक्ति यात्रा में प्रत्येक दिवस एक महान किसान नेता को समर्पित किया जाता रहा है।इसी श्रृंखला में आज का दिन महान किसान नेता एवं स्वतंत्रता संग्राम सेनानी मामा बालेश्वर दयाल को समर्पित है। मामा बालेश्वर दयाल ने अंग्रेजीराज में लगानमाफी, कर्जमाफी और जमीदारी प्रथा के विरुद्ध संघर्ष किया।उन्होंने स्वतंत्र भारत में किसान एवं गाँव केंद्रित अर्थव्यवस्था निर्मित करने के लिए आजीवन प्रयास किया।

किसान मुक्ति यात्रा में किसान नेता चंद्रशेखर(तेलंगाना),गोरा सिंह(पंजाब),लिंगराज(उड़ीसा),रश्मि(कर्नाटक) और विमलनाथन(तमिलनाडु),पार्वती(मध्यप्रदेश) सहित 15 राज्यों के 150 यात्री शामिल रहे।

मंदसौर के गोलीचालन, बारदौली और खेड़ा की विरासत को याद करते हुए यह यात्रा नर्मदा के विस्थापित किसानों के संघर्ष से जुड़ी साथ ही व्यारा के आदिवासी महिलाओं और मेहसाणा में दलित संगठनों के आज़ादी कूच का हिस्सा बनी।यह किसान मुक्ति यात्रा मध्यप्रदेश के मंदसौर से शुरू होकर 6 राज्यों से होती हुई 18 जुलाई को दिल्ली के जंतर-मंतर पहुँचेगी। इस यात्रा के साथ हज़ारों की संख्या में किसान जंतर-मंतर पहुँचेंगे।

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