जायज मांगों को लेकर चिकित्सक समुदाय दोहराएगा अगस्त क्रांति

अरिस्डा साधारण सभा की बैठक में सेवारत चिकित्सकों ने बजरंग धोरा से भरी हुंकार

DSCN6708बीकानेर 29/7/17। सबसे कठिन प्रतियोगिता और उच्चस्थ पढाई पर जीवन का बड़ा हिस्सा कुर्बान करने के बाद एक व्यक्ति चिकित्सक बन पाता है, सेवा और कौशल के दम पर समाज उसे भगवान का दर्जा देने लगता है लेकिन वही चिकित्सक कार्य परिस्थितियों, सेवा शर्तों, वेतन, भत्तों व वेतन-वृद्धि के विषय में सदैव ठगा जाता है। लेकिन अब संगठित चिकित्सक समुदाय अपनी जायज मांगों को लेकर अगस्त क्रान्ति दोहराएगा। चिकित्सक समुदाय की मांगों को लेकर अखिल राजस्थान सेवारत चिकित्सक संघ (अरिस्डा) के नवनिर्वाचित प्रदेशाध्यक्ष व सीएमएचओ चूरू डॉ. अजय चैधरी ने बीकानेर के सेवारत चिकित्सकों के साथ शुक्रवार सांय स्थानीय बजरंग धोरा से आन्दोलन का बिगुल बजा दिया। डॉ. चैधरी ने सरकार से 2011 में हुए समझौते को लागू करने ,चिकित्सको की सेवानिवृति की आयु 62 करने के कारण तृतीय पदोन्नति में कैपिंग को समाप्त करने एवं चैथी पदोन्नति 10000 ग्रेड पे में देने की मांग की साथ ही सभी चिकित्सालयो को एक पारी में संचालित करने तथा सभी ग्रामीण क्षेत्रो में कार्यरत चिकित्सको को सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार 10, 20, 30 प्रतिशत बोनस अंको का लाभ देने की मांग की।
अरिस्डा साधारण सभा की बैठक में सीएमएचओ बीकानेर डॉ. देवेन्द्र चैधरी, अरिस्डा बीकानेर अध्यक्ष डॉ. एन के सुथार, पीएमओ जिला चिकित्सालय डॉ. बीएल हटीला, डीटीओ डॉ. सीएस मोदी, डा नवल किशोर गुप्ता, डॉ. एम. अबरार पंवार, डा राहुल हर्ष, डा सुनील हर्ष व डा कैलाश मोर्य सहित जिले के अधिकाँश सेवारत चिकित्सकों ने एक सुर में अपनी मांगों को लेकर आन्दोलन की हुंकार भरी। सभा की अध्यक्षता इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के प्रदेशाध्यक्ष डॉ महेश शर्मा ने की। डॉ शर्मा ने चिकित्सको में लादे जा रहे नए नए कानून से चिकित्सको को रही परेशानियों का जिक्र करते हुए चिकित्सको से एकजुट होने का आह्वान किया। डॉ. देवेन्द्र चैधरी ने आए दिन चिकित्सक समुदाय पर हो रहे हमलों की घोर निंदा करते हुए इस विषय में सख्त कानून व्यवस्था की वकालत की। सभा को संबोधित करते हुए संगठन की बीकानेर इकाई के अध्यक्ष डॉ एन के सुथार ने चिकित्सको से एकजुट होने का आह्वान किया और वर्तमान परिस्थितियो को राजकीय सेवा के प्रतिकूल बताया और सरकार को चिकित्सको की जायज मांगों को तुरंत मानने की अपील की। डॉ लक्ष्मण सिंह ओला ने सभी चिकित्सको से अगस्त माह में होने वाले आंदोलन को सफल बनाने हेतु अभी से जुट जाने का आह्वान किया । प्रदेश प्रवक्ता डॉ राकेश हीरावत ने 2011 के आंदोलन को याद करते हुए बताया कि 11 जुलाई 2011 को समझौते की मूल भावना को पीछे छोड़ सरकार डी ए सी पी को डी पी सी बनाने में लगी हुई है देय तिथि से 4-4 साल देरी से मिल रही डी ए सी पी के लिए सरकार जिम्मेवार है इसके लिए सरकार को इसका एरियर देना होगा और इसकी रिकवरी बंद करनी ही होगी वर्ना चिकित्सक 2011 की भांति फिर आंदोलन की राह पर होंगे। प्रदेश संयुक्त सचिव डॉ राजीव शर्मा ने दंत चिकित्सको की मानो को विस्तार से बताया और दंत चिकित्सको की प्रोबेशन अवधि चिकित्सा अधिकारियो की भांति एक वर्ष और चिकित्सा परिचर्या भत्ता देने की मांग की ।
संगठन द्वारा अपनी लंबित माँगों को राज्य सरकार के सामने रख 11 अगस्त से शुरू हो रही प्रदेशव्यापी क्रांति का आगाज किया गया। अगस्त में आन्दोलन के विभिन्न चरणों के बाद 30 अगस्त को पूरे प्रदेश के सेवारत चिकित्सक सामूहिक अवकाश लेंगे।

चिकिसकों की प्रमुख मांगें
1. केंद्र के समान वेतनमान एवं इंडियन मेडिकल सर्विस कैडर का गठन।
2. डीएसीपी का लाभ चिकित्सकों को डीएसीपी की मूल भावना के अनुरूप समयबद्ध रूप से दिया जावे एरियर डीएसीपी की तिथि से दिया जाए। वसूली के आदेश रद्द करवाना, साथ ही डीएसीपी में विलम्ब कर सेवारत चिकित्सकों को मानसिक रूप से पीड़ा देने के उत्तरदायी राज्य अधिकारियों-कर्मचारियों को चिन्हित कर उनके विरुद्ध अनुशासनात्मक कार्यवाही।
3. समस्त अस्पतालों का एकल पारी में संचालन।
4. इन सर्विस पीजी के लिए 10-20-30 के फार्मुले से छेड़छाड़ न हो, सभी ग्रामीण क्षेत्रों को दुर्गम और दूरस्थ की श्रेणी में रखते हुए सरकार सुप्रीम कोर्ट में दायर एसएलपी तत्काल वापिस ली जाए ताकि ग्रामीण क्षेत्र में विशेषज्ञ चिकित्सकों की उपलब्धता हो सके और चिकित्सकों का सरकारी सेवा के प्रति रुझान बढ़े।
5. पीजी उपरांत सभी सेवारत चिकित्सको को अनिवार्य रूप से 3 अतिरिक्त वेतन वृद्धियां, 8700 ग्रेड पे पर लगी 18 प्रतिशत की कैपिंग हटाना। चूँकि सेवनिवृत्ति आयु 62 साल कर दी गयी है अतः चतुर्थ पद्धोंनत्ति 10,000 ग्रेड पे का लाभ सभी चिकित्सकों को 60 वर्ष की आयु पर देने के प्रावधान एवं 60 वर्ष की आयु उपरांत सेवा में रहने की बाध्यता को समाप्त कर इसे सवेच्छिक रखा जावे।
7. 24 गुणा 7 की बजाय सेवा कार्य का समय निर्धारण हो, अतिरिक्त कार्य के लिए ओवरटाइम भत्ता, अन्य राज्यों की तरह पोस्ट्मोर्टम कार्य के लिए भत्ता देय हो।
8. विभिन न्यायिक कार्यों के दायित्वों के लिए प्रशासनिक कार्यालयों में लीगल असिस्टेंट के पद का सृजन।
9. प्रत्येक पीएचसी पर एक दंत चिकित्सक का पद बनाना और उनकी पीजी में प्रवेश हेतु पात्रता नियम पूर्वानुसार हो। एक वर्ष की प्रोबेशन अवधि, प्रोबेशन में चिकित्सा परिचर्या भत्ता मिले।
10. इंटर्नि्शप में 10000/- प्रति माह स्टाईफेंड का प्रावधान।
11. प्री पीजी प्रवेश एवम् आरपीएसी द्वारा सहायक आचार्य के पदों पर भर्ती में अधिकतम आयु सीमा के प्रावधान में संशोधन कर आयु सीमा 52 वर्ष करना।
12. मेंडिकल कॉलेज में एमएससी योग्यताधारियों के द्वारा शिक्षण कार्य करवाने पर तत्काल रोक।
– मोहन थानवी

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