साहित्यिक चोरी के मूल में कॉपी राइटस कानूनों का अनभिग्यता

1बीकानेर 4 अगस्त, जब तक शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को शैक्षणिक असत्यनिष्ठा से परिचित नहीं करवाया जाता, शैक्षणिक आचरण की समस्या का समाधान संभव नहीं है। साहित्यिक चोरी के मूल में कापी राइटस कानूनों की अनभिज्ञता प्रमुख कारण है। आज साहित्य लेखक ‘आदर्शवादी‘ लेखन से ‘यथार्थवादी‘ लेखन की तरफ शिफ्ट हो रहा है। शैक्षणिक असत्यनिष्ठा प्रसारण सुविधा को भी अपराध की श्रेणी में रखा जावें। उपर्युक्त विचार ‘शैक्षणिक आचरण एवं सत्यनिष्ठा‘ पर आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में बीजवक्ता पेसिफिक विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भगवती प्रसाद शर्मा ने व्यक्त किये।
महाराजा गंगासिंह विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. भागीरथ सिंह ने कहा कि विश्वविद्यालय में असत्यनिष्ठा के जो क्षेत्र प्रमुख रूप से सम्मिलित किये जा सकते है उनमें विश्वविद्यालय की प्रवेश प्रक्रिया, परीक्षा पद्धति, मूल्यांकन पद्धति इत्यदि सम्मिलित है। उन्होंने कहा कि अब हमें ‘वर्कशाप‘ के स्थान पर ‘राइटिंग सोप‘ का आयोजन किया जाना चाहिए जिससे शोधार्थी की लेखन कला को सुदृढ़ किया जा सकें।
कार्यशाला में अन्य दो वक्ता वरिष्ठ पुलिस सेवा के अधिकारी डॉ. चर्तुभुज शर्मा एवं राजस्थान विश्वविद्यालय जयपुर के प्रो. सुधीर रानीवाला थे। डॉ. चर्तुभुज शर्मा ने ‘साहित्यिक चोरी एवं शैक्षणिक इमानदारी‘ पर एक सजीव प्रस्तुति देते हुए बताया कि आज तकनीकी का सदुपयोग व दुर्पयोग दोनो संभव है। इसके सदुपयोग के लिए हमारा इससे संवाद आवश्यक है। अतः वर्तमान में इस तरह की कार्यशालाओं की उपादेयता और बढ़ जाती है।
प्रो. सुधीर रानीवाला ने साहित्यिक चोरी को परिभाषित किया। इसके विभिन्न प्रकारों से परिचित करवाया एवं इसके पहचानने की विधि से भी अवगत करवाया।
कार्यशाला के प्रारम्भ में कार्यशाला का परिचय देते हुए कार्यशाला समन्वयक अधिष्ठाता एवं अंग्रेजी विभागाध्यक्ष डॉ. एस.के. अग्रवाल ने बताया कि स्वतंत्र्योत्तर भारत में शैक्षणिक प्रसार के कारण गुणवत्ता में लगातार गिरावट आई है। उन्होंने पंतजली की शिक्षा पद्धति को अपनाकर इस समस्या का समाधान करने का सुझाव दिया।
उद्घाटन सत्र एवं समापन सत्र का संचालन अंग्रेजी विभाग में सहायक आचार्य डॉ. सीमा शर्मा ने किया। तकनीकी सत्रों का संयोजन श्रीमती संतोष कंवर शेखावत ने किया। धन्यवाद सहायक आचार्य, डॉ. अम्बिका ने ज्ञापित किया।

प्रो. एस.के. अग्रवाल
समन्वयक

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