ओम पुरोहित कागद साहित्य सम्मान से सम्मानित हुए साहित्यकार

IMG-20170812-WA0012रामलाल तू गाय जैसा आदमी है इसलिए घास खा,वो शेर जैसे आदमी हैं इसलिए मांस खायेंगे तेरा,देखना लोकतंत्र में कोई भूखा ना सोये।हिन्दी एवं राजस्थानी साहित्य के सशक्त हस्ताक्षर,कुचरणी और पंचलड़ी के प्रणेता ओम पुरोहित कागद की यह कविता जब पढ़ी गई तो लोग अपनी तालियां नहीं रोक सके।यह अवसर था रयान कॉलेज फॉर हायर एजुकेशन हनुमानगढ़ जंक्शन में कागद फाउंडेशन के तत्वावधान में ओम पुरोहित कागद की प्रथम पुण्यतिथि पर आयोजित साहित्य सम्मान कार्यक्रम का।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि आईएएस पी.सी.किशन निदेशक प्रारम्भिक शिक्षा बीकानेर,कार्यक्रम अध्यक्ष श्रीमती भगवती पुरोहित,जनकराज पारीक,नीरज दइया सहित अतिथियों ने श्री कागद को पुष्पांजलि देकर समारोह की विधिवत शुरूआत की।कार्यक्रम में अतिथियों और साहित्यकारों का माल्यार्पण कर स्वागत किया गया।
कार्यक्रम में श्री गंगानगर के वरिष्ठ साहित्यकार श्री जनकराज पारीक को हिन्दी साहित्य में अमूल्य योगदान हेतु तथा बीकानेर के प्रख्यात समीक्षक व आलोचक डॉ.नीरज दइया को राजस्थानी साहित्य में अमूल्य योगदान के लिए ओम पुरोहित कागद साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।इसके उपरांत चुरू के युवा साहित्यकार उम्मेद धानिया को ओम पुरोहित कागद युवा साहित्य सम्मान प्रदान किया गया।
सचिव दिनेश दाधीच ने कागद फाउंडेशन के गठन और कार्यों के बारे में विस्तृत जानकारी दी।केन्द्रिय साहित्य अकादमी से पुरस्कृत वरिष्ठ बाल साहित्यकार दीनदयाल शर्मा ने श्री कागद के व्यक्तित्व और कृतित्व पर प्रकाश डाला।
श्री जनकराज पारीक ने श्री कागद से जुड़े संस्मरण सुनाते हुए कहा कि फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कार्य ही श्री कागद को सच्ची श्रंद्धांजलि है।श्री पारीक ने तोलकर पंख अपने उड़ता हूं,आंधियों का ना डर दिखा मुझको,
दहकती लौ पर हूं खूब निखरूंगा और दबा मुझको सुनाई तो उपस्थित श्रोता अपने आप को तालियां बजाने से नहीं रोक सके।आलोचक नीरज दइया ने कागद द्वारा संपादित थार सप्तक को एेतिहासिक उपलब्धि बताया।थार सप्तक में शामिल कविगण ने राजस्थानी साहित्य में अपना अलग वर्चस्व कायम किया।वरिष्ठ साहित्यकार डॉ.भरत ओला ने कहा कि श्री कागद का यह बड़प्पन ही था कि उन्होंने छोटे से छोटे कवि को भी मंच उपलब्ध करवाया है।प्राचार्य संतोष राजपुरोहित ने कहा कि कागद जी ने भाषा विमर्श के लिए उन्होंने खूब काम किया।
इसके उपरांत श्री कागद की कविताओं का वाचन किया गया तथा उपस्थित अतिथियों ने श्री कागद को युवा प्रतिभाओं को आगे लाने के लिए उनके अद्वितीय प्रयास को याद किया।उम्मेद धानिया ने कहा कि एक साहित्यकार क्यूं लिखता है इसके बारे में अलग-अलग राय हो सकती है पर जहां कहीं भी अन्याय या शोषण होगा कलम उसको जरूर लिखेगी।
इसके बाद कवि गोष्ठी का आयोजन किया गया जिसमें हिन्दी व राजस्थानी के युवा और वरिष्ठ कविगण ने अपनी कविताओं के माध्यम से श्रोताओं को विविध रंगों से सराबोर किया।
कवि गोष्ठी में नरेश मेहन ने घर के कोने में खुलकर हंसने की जगह रखना कविता सुनाकर भागदौड़ से भरी जिंदगी में कुछ खुशी के पल ढूंढने का आह्वान किया।सुरीले कंठ के धनी डॉ.शिवराज भारतीय ने लाड कोड रो समंदर मा,मोह ममता रो मिंदर मा गीत सुनाकर माँ की महिमा का बखान किया।इसके बाद सुरेन्द्र सत्यम ने क्यूं हुई माँ कोख में ही कत्ल की तैयारीयां सुनाकर बेटी बचाओ का संदेश दिया।वासुदेव ने भारत मेरी मातृभूमि है,मैं इसका वासी हूँ सुनाकर देशभक्ति का पाठ पढ़ाया।डॉ.प्रेम धींगड़ा भटनेरी ने अपनी ग़ज़ल वंश का कुल का मान होती हैं,बेटियां घर की शान होती है,टूट जाता है एक घर कुछ दिन,बेटियां जब आँगन से दान होती हैं सुनाकर खूब वाहवाही लूटी।सुरेन्द्र सुन्दरम् ने नाव कागज की सही चलाते रहिए,किनारे मिले ना मिले कागज गलाते रहिए सुनाकर खूब तालियां बंटोरी।इसके बाद कविता ये हाथ रोशनी की हिफाजत में जले हैं,हम चुप हैं आदमी भले हैं सुनाई।रूपसिंह राजपुरी ने अपने चिर परिचित अंदाज में हास्य कविताएं सुनाई।
मुख्य अतिथि पी.सी.किशन ने श्री कागद को याद करते हुए कहा कि उनके समान कोई दूसरा नहीं हो सकता।उन्होंने राजस्थानी भाषा के लिए बहुत काम किया।फाउंडेशन द्वारा किए जा रहे कार्यों पर खुशी व्यक्त की।
कार्यक्रम में प्राचार्य संतोष राजपुरोहित,वरिष्ठ पत्रकार गोपाल झा,पार्षद कालूराम शर्मा,प्रख्यात चित्रकार श्री रामकिशन अडिग,कर्णवीर चौधरी,जिला प्रैस क्लब अध्यक्ष बालकृष्ण थरेजा,चाणक्य क्लासेज के निदेशक राज तिवारी,श्रमजीवी पत्रकार संघ के प्रदेश उपाध्यक्ष अनिल जांदू,प्रो.सुमन चावला,प्रह्लाद पारीक,प्रवीण पुरोहित, कविताकोश के सहसंपादक आशीष पुरोहित,भारती पुरोहित,अंकिता पुरोहित कागदांश,गौरीशंकर निम्मिवाल,राजू सारसर राज,हरीश हैरी,अशोक परिहार उदय,नरेश वर्मा सहित अनेक गणयमान्य नागरिक उपस्थित थे।कार्यक्रम का मंच संचालन आकाशवाणी सूरतगढ़ के वरिष्ठ उद्घोषक राजेश चड्ढा ने किया।भरत ओला ने सभी का आभार व्यक्त किया।

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