महिला कहानीकारों ने प्रस्तुत की तीन कहानियां

bikaner samacharबीकानेर 16 अगस्त 17। कथापुरुष यादवेन्द्र शर्मा ‘चन्द्र’ की 85वीं जयंति पर मुक्ति एवं वरिष्ठ नागरिक समिति द्वारा अम्बेडकर सर्किल स्थित हर्ष क्लिनिक सभागार में चंद्र स्मरण कार्यक्रम में जहां चंद्र की साहित्य साधना का स्मरण किया गया वहीं नगर की तीन महिला कहानीकारों के कहानी पाठ के माध्यम से कथा-सृजन शब्दाजंलि अर्पित की गई। डॉ. वत्सला पाण्डे ने ‘वह’, डॉ. संजु श्रीमाली ने ‘तुम नहीं सुधरोगे’ तथा ऋतु शर्मा ने ‘अहसास’ कहानी का वाचन किया। कहानियों पर त्वरित टिप्पणी करते हुए कवि आलोचक डॉ. नीरज दइया ने कहा कि ‘चन्द्र’ की रचनाओं में ‘स्त्री’ शोषण तथा परिस्तिथियों से संघर्ष को जीवंत किया गया है उसका आज पठित कहानियां विस्तार करती हैं।
मुख्य अतिथि डूंगर महाविद्यालय के राजस्थानी विभाग की विभागाध्यक्ष डॉ. प्रकाश अमरावत ने चंद्र की कहानी कांच रो चिलको पर प्रकाश डालते हुए कहा कि मानवीय संबंधों और जीवन सरोकारों की अभिव्यक्ति ही कहानी की आधारभूमि होती है। विशिष्ट अतिथि डॉ. बसंती हर्ष ने साहित्यकार यादवेंद्र शर्मा की साहित्य साधना पर प्रकाश डालते हुए कहा कि प्रस्तुत तीनों कहानीकारों की कहानियां इस बात का प्रमाण है कि बीकानेर में कहानी परंपरा का विकास हो रहा है। कार्यक्रम में व्यंग्यकार कहानीकार बुलाकी शर्मा ने अपने कथा-गुरु यादवेंद्र शर्मा चंद्र का स्मरण कराते उनकी सृजन यात्रा पर प्रकाश डाला व कहा कि बीकानेर के साहित्यिक विकास में उनका अविस्मरणीय योगदान रहा है।
कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ मधु आचार्य ‘आशावादी’ ने यादवेन्द्र शर्मा चंद्र काे सघन संवेदना का कथाकार बताया। पठित तीनों कहानियों पर चर्चा करते हुए कहा कि किसी भी रचना की परख विमर्शों के आधार पर नहीं वरन उनकी अंतर्वस्तु और शिल्प के नवीन अन्वेषण को ध्यान में रखते हुए की जानी चाहिए
कार्यक्रम में मदन केवलिया, पृथ्वीराज रतनू, नवनीत पाण्डे, हरिश बी शर्मा, कृष्ण कुमार बिस्सा, मोहन थानवी, राजाराम स्वर्णकार, नदीम अहमद नदीम, डॉ शंकरलाल स्वामी, संजय जनागल, महेन्द्र जैन, प्रो अजय जोशी, गायत्री शर्मा , प्रमिला बिस्सा, शीला व्यास आदि उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन डॉ. रेणुका व्यास ने किया। समिति के महासचिव सुरेश चंद्र गुप्ता ने आभार ज्ञाप्ति किया।
– मोहन थानवी

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