शैलेष को हरदम चाहिए ‘हास्य’ की छत्रछाया

bikaner samacharबीकानेर । हास्य कवि, मशहूर हास्य सीरियल ‘तारक मेहता का उल्टा चश्मा’ में अभिनय का जलवा बिखेरने वाले ‘मेहता जी’ शैलेश लोढ़ा शनिवार को बीकानेर आए। एलआईसी की ओर से हीरक जयंती कार्यक्रम में शिरकत करने बीकानेर आए लोढ़ा ने रविंद्र रंगमंच पर हुए कार्यक्रम में शिरकत करने से पहले बीकानेर संभाग के चूरू जिले के सालासर कस्बे में विश्वविख्यात सालासर बालाजी के दर्शन कर देश में अमन-चैन की दुआ मांगी। उन्होंने यहां पत्रकारों से अनौपचारिक बातचीत करते हुए कहा कि दुनिया के किसी कोने में चले जाओ, रहना ‘हास्य’ की छत्रछाया में ही ठीक रहता है। हंसना, हंसाना मुझे अच्छा लगता है। उनके मुताबिक कविता का कोई विकल्प नहीं हो सकता। कविता हर युग, मौसम में उतनी ही ताजी रहती है साथ ही साथ आसपास में जो माहौल होता है उससे ही कविता उपजती है। इसलिए राजनीतिक और समाज का अक्स उसमें आना लाजिमी है। एक प्रश्न के उत्तर में वे बोले कि अभिनय और कविता उनकी आत्मा है। अभिनय में कविता सहायता कर देती है और कविता के समय अभिनय काम आ जाता है।
– मोहन थानवी

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