शिक्षा सचिव एवम् निदेशक माध्यमिक शिक्षा , राजस्थान , बीकानेर तथा जिला शिक्षा अधिकारी, अलवर को न्यायालय के आदेश की
अवमानना के लिए जवाब तलब
(राजस्था उच्च न्यायालय, जयपुर का मामला)
जयपुर, राजस्थान उच्च न्यायालय के खण्डपीठ के न्यायाधीश श्री अजय रस्तोगी एवम् न्यायाधीश श्री अशोक कुमार गौड ने विपक्षीगण श्री एन.पी. गंगवार, प्रधान शिक्षा सचिव, शिक्षा विभाग, जयपुर एवम् श्री बी.एल. स्वर्णकार, निदेशक, माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान , बीकानेर (राज.) एवम् श्री पी. किशन, निदेशक, प्रारम्भिक शिक्षा, राजस्थान, बीकानेर (राज0) एवम् सचिव, राज्य सरकार शिक्षा विभाग, सचिवालय, जयपुर को नोटिस जारी कर पूछा कि क्यों न उनके खिालाफ जानबूझकर स्वेच्छा से माननीय न्यायालय के निर्णय दिनांक 6-11-2015 की पालना नहीं करने के कारण अवमानना की कार्यवाही की जावे एवम् इस हेतु माननीय न्यायालय ने विपक्षीगण से 4 सप्ताह में जवाब भी मांगा। उल्लेखनीय है कि याचिकाकर्ता बालहित शिक्षा समिति , स्वामी दयानन्द मार्ग , अलवर (राजस्थान) के सचिव श्री सत्य नारायण गुप्ता ने खण्डपीठ के समक्ष अपने अधिवक्ता श्री डी.पी.शर्मा के माध्यम से अवमानना याचिका दायर कर निवेदन किया कि याचिकाकर्ता संस्था ने अपने कर्मचारियों को छठे वेतन आयोग, उपार्जित अवकाश के बदले वेतन एवम् अन्य राशि का सम्पूर्ण भुगतान कर भुगतान की राशि व विवरण को जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के लेखाकार व अन्य जांच दल से सत्यापित कराकर अनुदान हेतु मामला निदेशक माध्यमिक शिक्षा, राजस्थान , बीकानेर को जनवरी, 2017 में भेज दिया परन्तु विपक्षीगण द्वारा माननीय न्यायालय के न्यायाधीश श्री अजय रस्तोगी एवम् श्री जे.के. रांका द्वारा विशेष अपील संख्या 663/2015 उनवान राज्य सरकार बनाम भगवान दास टोडी कॉलेज में पारित निर्णय /आदेश दिनांक 6-11-2015 की पालना कर उक्त भुगतान चायिकाकर्ता संस्था को नहीं किया इस हेतु भुगतान करवाने हेतु तथा उक्त पदाधिकारियों को दण्डित करने हेतु निवेदन किया। उल्लेखनीय है कि चायिचककर्ता संस्था ने अपने कर्मचारियों को छठा वेतन आयोग, उपार्जित अवकाश के बदले वेतन व अन्य परिलाभ का भुगतान कर जिला शिक्षा अधिकारी से इन सभी राशियों के भुगतान का सत्यापन कराकर निदेशक , माध्यमिक शिक्षा को अनुदान हेतु जनवरी, 2017 में ही भेज दिया परन्तु उक्त पुर्नभरण राशि के भुगतान हेतु समय -समय पर आवेदन भेजे तथा न्याय प्राप्ति हेतु विधिक नोटिस भी दिया परन्तु विपक्षीगण द्वारा कोई भुगतान नहीं किया गया। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डी.पी.शर्मा का तर्क था कि भुगतान का सत्यापन करने के बाद राज्य सरकार को केवल भुगतान ही करना था परन्तु जानबूझकर स्वेच्छा से माननीय न्यायालय के आदेश दिनांक 6-11-2015 की पालना नहीं की गई है। मामले की सुनवाई के पश्चात् माननीय न्यायालय द्वारा उक्त आदेश पारित किया गया।
डी.पी.शर्मा
एडवोकेट
मो.नं. 9414284018