विनोबा भावे की 123वीं जयंती एवम आचार्य कुल की स्वर्णिम जयंती समारोह

IMG-20170912-WA0011स्थानीय लेडी एल्गिन स्कूल के प्रांगण में “आचार्य विनोभा भावे की १२३ वि वरसगॉँठ अवं आचार्यकुल का जुबली समारोह” सम्पन हुआ।
आचार्य खचा की भरे प्रांगण में कार्यक्रम के मुख्या अतिथि प्राचार्य डूंगर महाविधालय श्रीमती बेला भनोत , श्री विजय शंकर आचार्य सयुक्त निदेशक शिक्षा विभाग, आचार्यकुल के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री खुशाल चंद व्यास आदि महानुभाव द्वारा सरस्वती एवं संत विनोबा भावे को माल्यार्पण एवं दीप प्रज्वलित किया ।

जुबली समारोह की अध्यक्षता करते श्री खुशाल चाँद व्यास ने अपने उद्बोधन में विनोबा भावे की जीवनी एवं उनके द्वारा किये गए कार्यो पर प्रकाश डालते हुए बताया की संत विनोबा हिंदुस्तान के सबसे बड़े भूदानी एवं सर्वोदयी नेता थे।
विनोबा जी ने १९६७-६८ में पवनार वर्धा में आचार्यकुल की स्थापना कर कहा की मानव निष्पक्ष, निर्भय एवं निर्वेर आचार्य शक्ति को विकसित करना होगा।
इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्रीमती बेला भनोत ने कहा की आचार्यकुल के गुणों को आत्मसात करना होगा जिससे मानव के विकास की संभावनाए बढ़ेगी।
वसिष्ठ अतिथि के रूप में श्री विजय शंकर आचार्य ने कहा की मानव को अपनी क्षमताओ को इस प्रकार जगाना होगा की बाहरी प्रशासन की आवश्यकता एवं निर्भरता उत्तरोत्तर कम हो जाएगी।राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष श्री व्यास ने बताया कि श्री भावे को विश्व प्रसिद्ध भारत रत्न,अटल बिहारी वाजपेई एवं रेमन मैग्सेसे पुरस्कार प्रदान किए गए हैं।
इस समारोह में डा शुक्लाबाला पुरोहित, राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेज के असिस्टेंट प्रोफेसर डा महेंद्र व्यास, समाजसेवी राजेश चूरा , पूनम चाँद गिरी ,दुर्गाशङ्कर पुरोहीत, श्रीमती अल्का डॉली पठाक, श्रीमती अनुराधा हर्ष प्रदीप चौधरी, अरविंद मिश्रा पुनम चन्द्र गिरी गुरु गणेश व्यास सम्पूर्ण विद्यालय की छात्राये उपस्थित थे।

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