गौरीशंकर ‘कमलेश’ राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार समारोह कोटा में

bikaner samacharबीकानेर/कोटा 20 दिसम्बर 2017। गौरीशंकर ‘कमलेश’ राजस्थानी भाषा साहित्य पुरस्कार एवं सम्मान समारोह कोटा में शनिवार 23 दिसम्बर को प्रातः 11 बजे आयोजित होगा जिसमें बीकानेर के कवि-आलोचक डा. नीरज दइया को उनकी राजस्थानी काव्य-कृति “पाछो कुण आसी” के लिए यह सम्मान अर्पित किया जाएगा। संस्था द्वारा सम्मानित रचनाकार डॉ. नीरज दइया को सम्मान स्वरूप रु 11,000 नकद, सम्मान-पत्र, शाल एवं श्रीफल भेंट किया जाएगा।
ज्ञान भारती संस्था के सचिव सुरेन्द्र शर्मा एडवोकेट ने बताया कि कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि अंबिकादत्त चतुर्वेदी करेंगे तथा मुख्य अतिथि राजस्थान सरकार के पूर्व केबिनेट मंत्री भरत सिंह होंगे। पुरस्कार समारोह के सचिव कवि जितेंद्र निर्मोही ने बताया कि काव्य विधा अंतर्गत डॉ. नीरज दइया से पूर्व यह सम्मान डा. भगवती लाल व्यास, अम्बिकादत्त आदि अनेक प्रतिष्ठित कवियों को अर्पित किया जा चुका है। उन्होंने बताया कि इस अवसर पर संस्था की निदेशक श्रीमती कमला कमलेश की हाड़ौती कहावतों एवं मुहावरों की कृति ‘धरोहर’ का लोकार्पण भी होगा। साथ देश के प्रतिष्ठित शायर जनाब शकूर अनवर, राजस्थानी के कवि किशनलाल वर्मा व वरिष्ठ साहित्यकार वपत्रकार ओम कटारा को गौरी शंकर कमलेश स्मृति सम्मान से समादरित किया जाएगा। ज्ञान भारती संस्था द्वारा यह आयोजन ज्ञान भारती स्कूल, नई बिल्डिंग, इन्द्रा मार्केट कोटा में स्व. गौरीशंकर कमलेश स्मृति में रखा जाता है।
राजस्थानी और हिंदी में सक्रिय लेखक डॉ. नीरज दइया का जन्म 22 सितम्बर, 1968 को प्रख्यात लेखक सांवर दइया के घर हुआ। वे विद्यार्थी जीवन से ही साहित्य में सक्रिय हुए और उनकी अब तक दो दर्जन से अधिक कृतियों का प्रकाशन हो चुका है। डॉ. नीरज दइया का हिंदी कविता संग्रह ‘उचटी हुई नींद’ चर्चित रहा तो राजस्थानी में ‘साख’ के बाद लंबी कविता ‘देसूंटो’ को भी पर्याप्त चर्चा मिली। पुरस्कृत कृति ‘पाछो कुण आसी’ में डॉ. नीरज दइया की अलग भावभूमि की जमीन से जुड़ी ऐसी कविताएं हैं जो राजस्थानी कविता यात्रा को आगे बढ़ाती हुई अपने अभिनव प्रयोग और भाषा-शैली के कारण उल्लेखनीय कही गई है। डॉ. नीरज दइया ने वरिष्ठ कवि डॉ. नंदकिशोर आचार्य और सुधीर सक्सेना की काव्य यात्रा से चुनी हुई कविताओं का राजस्थानी अनुवाद भी किया है और वरिष्ठ कवि मोहन आलोक के पुरस्कृत संग्रह ‘ग-गीत’ का हिंदी अनुवाद साहित्य अकादेमी से प्रकाशित हुआ है। कविता के अतिरिक्त डॉ. दइया आलोचना और व्यंग्य विधा के भी सशक्त हस्ताक्षर कहे जाते हैं। आपको बाल कहानियों के संग्रह ‘जादू रो पेन’ पर साहित्य अकादेमी का बाल साहित्य पुरस्कार भी अर्पित किया जा चुका है। वर्ष 2017 में डॉ. नीरज दइया की 6 पुस्तकें प्रकाशित हुई हैं तथा आपको सात पुरस्कार अर्पित किए गए हैं जो अपने आप में एक कीर्तिमान है।
– मोहन थानवी

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