सत्संग मनुष्य का चरित्र का सच्चा दर्पण

DSC_1661बीकानेर(जयनारायण बिस्सा)। मधुर काषर््िण मंडल के तत्वावधान में समता नगर स्थित राधा कृष्ण मंदिर में चल रही श्रीमद भागवत कथा ज्ञान यज्ञ महोत्सव में भागवताचार्य रजनीशानंद महाराज ने कहा कि व्यक्ति दर्पण के द्वारा अपना चेहरा तो देख सकता है लेकिन अपने चरित्र को नहीं देख सकता है। मानव का चेहरा कितना स्वच्छ कितना सुंदर क्यों न हो,परन्तु उसका चरित्र स्वच्छ नहीं है। चरित्र पवित्र नहीं है तो वह व्यक्ति स्वयं को मानवता की श्रेणी पर नहीं रख सकता। उन्होंने कहा कि व्यक्ति चरित्र को केवल सत्संग रूपी दर्पण के माध्यम से ही देख सकता है। सत्संग ही ऐसे स्वच्छ और पारदर्शी दर्पण है,जिसके माध्यम से मनुष्य अपने चरित्र का दर्शन कर सकता है। आचार्य श्री ने व्यास नारद संवाद पर चर्चा करते हुए कहा कि श्री नारद जी पूर्व जन्म में दासी पुत्र थे। उनकी मां आश्रम में संतो की सेवा किेया करती थी। छोटे से वटु के रूप में दवर्षि नारद जी भी संतो का महाप्रसाद लेते थे। उन्हीं के सानिध्य में सत्संग किया करते थे। उसी सत्संग के प्रभाव से उन्होंने अपने जीवन को स्वच्छ और सुदंर बनाया। आचार्य श्री ने सत्य पर व्या यान देते हुए कहा कि सत्य की साधना करना मानवीय कल्याण की संकल्पना है यदि हम सत्य की राह पर चले तो प्रभू की उपासना से कम नहीं है। उन्होंने सभी को सच्चे मन से सत्य साधना की सीख दी। कथा स्थल पर सतपाल कंसल ने सपत्निक पूजा अर्चना करवाई। इस अवसर पर लालचंद भाटी,समता नगर विकास समिति के अध्यक्ष रमेश पारीक,ताराचंद सारस्वत,हर्ष कंसल,ओमप्रकाश,हरि खत्री,मोनू सहित बड़ी सं या में श्रद्वालु कथा श्रवण के लिये उपस्थित थे।

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