पहले भूख से अब मौत से जूझ रहा है अजय

bikaner samacharबीकानेर (जयनारायण बिस्सा)। हिन्दी फिल्म का एक गाना कसमें वादे प्यार वफा सब वादें है वादों का क्या,कोई किसी का नहीं रे बन्दे झूठे नाते है नातों का क्या…..! यह गाना वास्तव में देश की राजनैतिक पार्टियों पर सटीक बैठती है। जब चुनाव आते है तो वोटों को बटोरने की जुगत में प्रत्येक वर्ष लाखों युवाओं को रोजगार देने के वादे किये जाते है। गरीबी मिटाने की बातें होती है। परन्तु सरकारों के गठन के बाद ये धरातल पर खरे नहीं उतर पातें। कुछ ऐसा ही बीकानेर के एक युवा के साथ हो रहा है जो पहले अपने परिवार के ारण पोषण और अब मौत व जिन्दगी की जंंग लड़ रहा है। बेरोजगारी की मार झेल रहा अजय पीबीएम के एच वार्ड के बैड नं 43 में भर्ती है। जिसे लीवर में इन्फेक्शन के बाद भर्ती करवाया गया है। बताया जा रहा है कि पिछले डेढ़ साल से लीवर संबंधित रोग से ग्रसित अजय का वजन महज 20 किलो रह गया है। हालात ये है कि अब अजय उठने और बैठने की स्थिति नहीं है।
राजनीतिक दबाव वाले पुन:लगे
अगस्त 2016 में निकाले गये करीब 150 कार्मिकों में से कई कर्मचारियों को राजनीतिक दबाव के चलते रख लिया गया है। यही नहीं कुछ जातिय आधार पर भी कार्मिकों को रखने की प्रक्रिया हुई। मजे की बात तो ये है कि ईसीबी कॉलेज प्रशासन ने उन कार्मिकों पर गाज गिराई जो मध्यम श्रेणी के कार्मिक थे। किन्तु भ्रष्टाचार में लिप्त उन कार्मिकों को बाहर का रास्ता नहीं दिखाया। यही नहीं ईसीबी में ऐसे कई विभाग चल रहे है जिनमें विद्यार्थियों संया न के बराबर है और उनमें लगे व्यायातागणों का मासिक वेतन इतना ज्यादा है कि वो विद्यार्थियों की फीस से भी पूर्ति नहीं हो पाता। ऐसे व्याताओं को निकालने की बजाय ऐसे कर्मचारियों को निकालना जो आर्थिक स्तर से पहले से जूझ रहे थे।
ईसीबी से निकाला गया था अजय
आर्थिक मार को आधार बनाकर ईसीबी कॉलेज से अगस्त 2016 में निकाले 150 कार्मिकों में अजय शर्मा भी एक था। जिसके बाद से वह बेरोजगारी से लड़ रहा था। पता चला है कि नौकरी से निकाले जाने के बाद से मानसिक रूप से परेशान अजय शर्मा को अपने परिवार के पालन पोषण की चिंता सताने लगी। इसी चिंता की वजह से वो लगातार बीमार होता चला गया और आर्थिक मंदी के कारण अजय शर्मा अपना ईलाज नहीं करवा पाया। अजय के पिता ने बताया कि किराये के मकान में रहने व घर का गुजारा भी बमुश्किल हो पाता है।आर्थिक मार के चलते मौत व जिदंगी से जूझ रहा है। बेरोजगारी के कारण मानसिक तनाव में रहने की वजह से दिनों दिन इसका स्वास्थ्य गिरता गया।
कार्यवाही से क्यों बच रही है सरकार
ईसीबी कॉलेज में जांच में दोषी पाये गये व्यायाता और कार्मिकों पर कार्यवाही करने से आखिर सरकार क्यों बच रही है। स्थिति ये है कि मंत्री से लेकर अधिकारियों को ईसीबी में भ्रष्टाचार के काले कारनामों की जानकारी है। यही नहंीं इन्हें निकाले गये कार्मिकों के आर्थिक हालात की भी जानकारी है। उसके बाद भी न तो मंत्री और न ही अधिकारी ऐसे लोगों के खिलाफ कोई कार्यवाही कर रहे है। आर्थिक हालातों के चलते अजय जैसे कार्मिकों की बिगड़ी स्थिति के लिये आखिर कौन जिमेदार है। ये तो चिंतनिय विषय है।

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