यह बजट वसुंधरा सरकार के ताबूत में कील का काम करेगा

संकट में है राजस्‍थानी फिल्‍म उद्योग –

राज जाँगिड़
जयपर 14 फरवरी / मुख्‍यमंत्री वसुंधरा राजे सिंधिया द्वारा बजट के दौरान प्रस्‍तुत बजट में राजस्‍थानी फिल्‍म उद्योग की अनदेखी करके इस उद्योग को किसी भी तरह की राहत नहीं देने से राजस्‍थानी फिल्‍म उद्योग गहरे संकट के दौर से गुजर रहा है। जिससे इस उद्योग से जूडे कलाकारों एवं फिल्‍म निर्माताओं के सामने भी एक बडी समस्‍या खडी हो गई है। कई हिन्‍दी व दर्जनों राजस्‍थानी फिल्‍मों और धारावाहिकों में अभिनय कर चुके अभिनेता हाल ही रिलीज हुई राजस्थानी ” माँ ” फिल्म के अभिनेता राज जाँगिड़ ने कहा कि राज्‍य सरकार ने पिछले चार सालों के बजट में मरणासन्‍न राजस्‍थानी फिल्‍म उद्योग के हितों की अनदेखी करती आई है और सरकार के अंतिम कार्यकाल के बजट में सिनेमा उद्योग आस लगाए बैठा था कि राज्‍य सरकार संवेदनशीलता दिखाएगी मगर मुख्यमंत्री ने अपनी हठ धर्मिता दिखा दी। राज जाँगिड़ ने विज्ञप्ति जारी कर बताया कि सरकार के इस बजट घोषणा से राजस्‍थानी फिल्‍म बनाने वालों को राजस्‍थानी भाषा कला एवं संस्‍कृति को कोई फायदा नहीं हुआ। उल्टा सरकार ने अपने खिलाफ हजारों मतदाताओं को खड़ा कर लिया है । यह बजट वसुंधरा सरकार के ताबूत में कील का काम करेगा ।
जाँगिड़ ने सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि वर्षो से राजस्‍थानी फिल्‍मों के निर्माता अनुदान की मांग करते आ रहे है उनकी तरफ देखना भी गंवारा नहीं समझा । पिछली कांग्रेस सरकार ने 5 लाख अनुदान की घोषणा व टेक्स फ्री की थी फिल्में और इस सरकार ने तीन साल पहले 5 लाख से बडाकर 10 लाख रूपए तक के अनुदान की घोषणा की मगर तीन सालों से एक भी फिल्म को 10 लाख का अनुदान नहीं मिला । सिर्फ सिनेमा के साथ धोखे पे धोखा देती आई है सरकार ।
जाँगिड़ ने मांग कि है की आगे से सरकार द्वारा राजस्‍थान दिवस मनाने पर राजस्‍थानी भाषा व संस्‍कृति से ओतप्रोत राजस्‍थानी फिल्‍मोत्‍सव मनाया जाए । साथ ही ’’ राजस्‍थान फिल्‍म डवलपमेंट कार्पोरेशन’’ का गठन किया जाए और प्रति राजस्‍थानी फिल्‍मों को मिलने वाली 2/5 लाख रूपए तक की सबसिडी बडाकर 15 से 20 लाख रूपए करनी चाहिए तथा जाँगिड़ ने सरकार से मांग की है कि राज्‍य के समस्‍त सिनेघरों के मालिको को आदेश पारित करे कि वर्ष के 365 दिनों में से 28 दिन यानी 4 सप्‍ताह तक राजस्‍थानी फिल्‍म चलाना अनिवार्य करें अन्‍यथा लाइसेंस खारिज कर दिया जाएगा। यही सबसे बडा प्रमोशन होगा इस युग के मृत : प्राय पड़े राजस्‍थानी फिल्‍म उद्योग के लिए। सरकार अगर ऐसा नहीं करती है तो राजस्थानी फिल्‍में इतिहास के पन्‍नों में सिमट कर रह जाएगी। जाँगिड़ ने कहा कि हालात तो इतने बुरे है कि नए निर्माता समृद्ध माने-जाने वाली इस राजस्‍थानी संस्‍कृति को पर्दे पर उतारने का ख्‍वाब तक देखना पसंद नहीं करते ,क्‍योंकि लाखों रूपए लगाने के बाद निर्माता को राज्‍य सरकार,डिस्‍ट्रीब्‍यूटर व सिनेमा मालिकों के चक्‍कर लगाने पड़ते है। समय रहते इस फिल्‍म इण्डस्‍ट्रीज की तरफ ध्‍यान नहीं दिया गया तो राजस्‍थानी फिल्‍में अतीत का अंग बनकर रह जाएगी।

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