साध पुरसनाराम साहिब का वार्षिक मेला 27-28 फरवरी को सांभर में

सिंधी समुदाय के महान् सन्त योगीराज स्वामी पुरसनाराम साहिब का हर साल की भांति सिन्धी मौहल्ले में स्थित सन्त पुरसनाराम साहिब की मुख्य पीठ पर 27 व 28 फरवरी को बड़े धूमधाम से मनाया जायेगा।
सन्त के वंषज प्रदीप साध ने बताया कि इस दो दिवसीय मेे में समस्त साध परिवार वाले भजन व सत्संग आदि करते है तथा भक्तजनों को नाम की दीक्षा भी दी जाती है।
27 मार्च को सुबह 11 बजे झण्डे की रस्म के साथ-साथ मेले की शुरूआत की जाती है। मेले में बाहर से आने वाले मेलार्थियों के लिये रहने व खाने का प्रबन्ध मेला व्यवस्था समिति द्वारा किया जाता है।
प्रदीप साध ने बताया कि भारतवर्ष हित दुबई, स्पेन, सिंगापुर, पौलेण्ड व अन्य देषों में रह रहे सिन्धी प्रवासीगण मेले के अवसर पर सन्त पुरसनाराम की मुख्य पीठ पर हाजिरी देने अवष्य आते है।
साध प्रदीप के अनुसार मेले के दौरान बाहर से आये कलाकार (बालक मण्डली, कटनी, सागर मुजिकल ग्रुप डबरा) द्वारा भजन सत्संग एवं मनोरंजक हंसी-कॉमेडी की शानदार प्रस्तुतियां दी जायेगी एवं सुबह-षाम महाआरती तथा श्रृद्धालुओं को प्रवचन व सत्संग का अम्रतपान कराया जायेगा।
सिंधी समुदाय के महान् सन्त योगीराज स्वामी पुरसनाराम साहिब का हर साल की भांति सिन्धी मौहल्ले में स्थित सन्त पुरसनाराम साहिब की मुख्य पीठ हर साल वार्षिक मेला बड़े धूमधाम से मनाया जाता है।
सन्त के वंषज प्रदीप साध ने बताया कि इस दो दिवसीय मेे में समस्त साध परिवार वाले भजन व सत्संग आदि करते है तथा भक्तजनों को नाम की दीक्षा भी दी जाती है।
झण्डे की रस्म के साथ-साथ मेले की शुरूआत की जाती है। मेले में बाहर से आने वाले मेलार्थियों के लिये रहने व खाने का प्रबन्ध मेला व्यवस्था समिति द्वारा किया जाता है।

कौन थे साध पुरसनाराम साहिब:- साध पुरसनाराम का जन्म पाकिस्तान के सिन्ध प्रान्त, जिला थरपारकर के ग्राम हथूंगा में संवत 1889 को माघ माह की 26वीं तिथि को हुआ था। यहां आज भी इनकी समाधि है। सन्त साहिब ने यहां पर नियत स्थान पर एक ठिकाना बना रखा था, जहां पर हर रोज अपने श्रृद्धालु-भक्तों को प्रवचनों का रसास्वादन कराते थे। इनके जन्म की कथा भी कुछ इस प्रकार है कि इनके दादा छताराम साहिब गुजरात के गांधीधाम के पास ग्राम द्रुंग में मेेकन साहिब के दरबार की सेवा किया करते थे। मेकन-दादा ने आप जैसे ही पुत्र की अभिलाषा की तभी मेकन साहिब ने इन्हें आपके घर जन्म लेने का वरदान दिया। अन्ततः हुआ भी वही। कुछ समय पष्चात् साध प्रेमजी साहिब के यहां अपनी माँ के गर्भ में 36 माह के उपरान्त जन्म लिया। साध पुरसानाराम ने पाकिस्तान के हैदराबाद जिले के मातली ताल्लुकान्तर्गत ग्राम ग्यान्दरखोस में 12 साल तक बबूल के वृक्ष पर बैठकर कठोर तपस्या की थी जहां बाद में इन्हें ईष्वर के दर्षन लाभ हुए। इनके बड़े भ्राता धर्मदास की भी सिंधी समाज में गादेष्वरजी के नाम से पूजा-अर्चना की जाती है। साध पुरसनाराम ने जीवन पर्यन्त ईष्वर की भक्ति में नाम जप की महिमा का सन्देष दिया तथा इसके माध्यम से ईष्वर प्राप्ति का सरल मार्ग बताया। इन्होंने संवत 1964 में फाल्गुन मास में समाधि ली। माना जाता है कि देह त्यागने के पष्चात् भी इनके हाथ की माला यथावत चलती रही। साध परिवार इसी उपलक्ष में हर वर्ष सांभर कस्बे स्थित साध मौहल्ले में दो दिवसीय मेले का आयोजन करता है। उल्लेखनीय है कि पाकिस्तान से आकर बसे सिन्ध प्रान्त के निवासियों ने अपनी संस्कृति के प्रतीक रूप में अनमोल विरासत को सहजकर रखने हेतु सांभर कस्बे को ही चुना और कस्बे में दरबार साहिब पुरसनाराम साहिब की मुख्य-पीठ के रूप में भव्य मन्दिर की स्थापना की। सांभर के साध पुरसानाराम साहिब मन्दिर पर विगत कई वर्षों से फाल्गुन मास में दो दिवसीय वार्षिक मेले का आयोजन किया जाता है।

देष की एकमात्र मुख्य पीठ:- यूं तो साध पुरसानाराम के गुजराज के अहमदाबाद, कच्छ एवं भुज, मध्यप्रदेष ेक उज्जैन, उत्तरप्रदेष के लेखनऊ, आगरा एवं कानपुर तथा राजस्थान के अजमेर, जोधपुर, गंगापुर सिटी, जयपुर, खैरथल में भी मंदिर है लेकिन इनकी मुख्य पीठ भारतवर्ष में एकमात्र जयपुर जिले के सांभर कस्बे में ही है। यही कारण है कि यहां विदेषों से भी सिंधी समाज के सैकड़ों लोग हर साल आकर अपनी आस्था प्रकट करते है।

प्रमुख:- इसी दिन सन्त पुरसनाराम साहिब का मेला दुबई में सिन्धी सेरेमनी हॉल में मनाया जाता है। दुबई में रह रहे सन्त के वंषज तथा भक्तगण इस मेले का आयोजन बहुत ही सुन्दर रूप से करते है।

प्रदीप साध
सांभर लेक

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