प्रीति जैन, आई.पी.एस. पुलिस अधीक्षक, टोंक को क्यों हटाया गया ?

राजेश टंडन एडवोकेट
विगत दिनों श्रीमती प्रीति जैन, पुलिस अधीक्षक को टोंक से हटाकर एन्टी ह्यूमन ट्रैफिकिंग ब्रान्च जयपुर में ठण्डे बस्ते में लगा दिया गया, श्रीमती जैन अकेली एक मात्र महिला पुलिस अधीक्षक थीं-राजस्थान में, एक तरफ तो राज्य सरकार नारी सशक्तिकरण की बात करती है और 33 प्रतिशत महिलाओं की सहभागिता की बात करती है और राजस्थान की एकमात्र महिला पुलिस अधीक्षक को भी निभा नहीं पाई और उसे हटाकर क्या संदेश आम जनता को देना चाहती है, महिलाओं को देना चाहती है, यह समझ के बाहर है। श्रीमती जैन गन्दी राजनीति का शिकार हुईं, उन पर पहला आरोप लगा कि वह बजरी खनन माफिया से मिली हुई हैं, दूसरा मालपुरा में बरामद हुए प्राचीन सिक्के खुर्द-बुर्द कर चुकी हैं, तीसरा टोडारायसिंह में एक छात्रा ने जो प्राचार्य पर आरोप लगाया था उस पर उन्होंने कार्यवाही नहीं की, पहले तो मुकदमा ही दर्ज नहीं किया, फिर दर्ज करना पड़ा तो कार्यवाही नहीं की।*
*इस तरह से कई अर्गनल, झूठे आरोप श्रीमती जैन पर लगाए गए, बिना किसी जांच पड़ताल के, एक साजिश के तहत आरोप लगाए गए, पिछले 6 महीने से उनके विरूद्ध एक साजिश चल रही है और साजिशकर्ता अपनी गन्दी रणनीति में सफल हो गए और श्रीमती जैन तो पूर्णतया गन्दी राजनीति का शिकार हो गई हैं, बजरी खनन माफिया श्रीमती जैन से पहले भी टोंक में सक्रिय था और तत्कालीन पुलिस अधीक्षक किशनलाल मीणा पर भी बजरी खनन माफिया से मिले होने के आरोप लगते रहे और उन्हें भी हटाया गया, टोंक में बजरी का खनन प्रचुर मात्रा में होना, यह वहां की प्राकृतिक सम्पदा है, सरकार की गलत नीतियों के कारण बजरी का अवैध खनन होता रहा, अब सरकार ने भी अपनी गलती मान ली है और बजट प्रावधानों में भी उसका उल्लेख किया गया है, टोंक निवासी तथा बजरी खनन माफिया तो खुलेआम यह कहता है कि अवैध बजरी खनन में सरकार की भी मिलीभगती है, सी.एम.ओ. में बैठे बड़े अधिकारियों की शह पर यह सब कुछ होता है और 3-4 जिलों में अधिकारी यह कहकर लगाए जाते हैं कि इस मलाईदार काम में राजस्थान के बड़े-बड़े मठाधीशों, सत्ताधीशों एवं उनके परिवारजनों की भागीदारी है इसलिए इस विषय पर कोई दिमाग लगाने की कोई जरूरत नहीं है, अगर होशियारी की तो भुगता दिये जाओगे, इसलिए खनन माफिया निःसंकोच होकर कार्य करता है कि ‘‘मेरे पिया घर नहीं और मुझको किसी का डर नहीं‘‘। अगर कोई अधिकारी उस पर अंकुश लगाने की चेष्ठा करता है तो फिर खनन माफिया और राज्य सरकार में बैठे मठाधीश उसको ऐसा सबक सिखाते हैं कि वह कई दिन तक झाग लेता रहता है, इस तरह के मामलों में पुलिस मुख्यालय में तो जिसकी भी पूंछ उठाओं वो ही अधिकारी मादा निकलता है, अपनी नौकरी और अपनी रोजी-रोटी के चक्कर में पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारी किसी भी ईमानदार पुलिस अधीक्षक के लिए कभी पार्टी नहीं बनते और अपना पल्ला झाड़ लेते हैं, जो पुलिस अधीक्षक इनकी बेगारें करे, सामान-सट्टे भेजे उसके लिए तो वैरी-गुड, वैरी-गुड करते रहते हैं परन्तु कोई ईमानदार अधीनस्थ अधिकारी कभी किसी राजनीति का शिकार हो जाए तो उसे पहचानने से ही मना कर देते हैं, पिछले दिनों जब राजस्थान पुलिस में जिलों की रैंकिंग की गई तो टोंक बहुत ऊंचे स्थान पर था जबकि अजमेर, नागौर उससे कहीं पीछे थे, एक ही महीने में ऐसा क्या हो गया ? जो पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारी प्रीति जैन की पैरवी ही नहीं कर पाए, जबकि प्रीति जैन से तो कहीं ज्यादा भ्रष्ट, निकृष्ट अधिकारी जिलों में बैठे हैं जिनके यहां जिलों में ना तो पुलिस का इकबाल बुलन्द है और ना ही पुलिस वालों की हत्याओं पर आज तक कोई कार्यवाही नहीं हुई और वो मजे से रंगरेलियां पुलिस मुख्यालय में बैठे अधिकारियों की सरपरस्ती में मना रहे हैं, श्रीमती जैन के खिलाफ तीन माननीय विधायक हीरालाल जी, देवली विधायक राजेन्द्र गुर्जर जी, मालपुरा विधायक कन्हैयालाल जी लामबन्ध हुए और वे प्रीति जैन पर अपने प्रभामण्डल का अपने कामों के लिए दबाव बनाते रहे परन्तु प्रीति जैन ने भी साबित कर दिया कि वो किसी दबाव में आकर काम नहीं करेंगी।*
*जबकि बजरी के एक मामले में एस.डी.एम. द्वारा जब्त की गई गाड़ी को एक माननीय विधायक ने छुड़वा दिया था परन्तु उनका तो कोई कुछ बिगाड़ सकता नहीं इसलिए सरकार ने एक गऊ हत्या कर दी, एक छात्रा द्वारा प्राचार्य पर की गई रिपोर्ट जांच में पूर्णतया झूठी पाई गई, ऐसे में कैसे झूठे केस में कोई चालान कर दे, सरकार चाहती तो उसकी उच्च स्तरीय जांच कहीं से भी करवा सकती थी और दोषी को दण्ड दिलवाया जा सकता था परन्तु सरकार तो स्वयं दबाव में थी, श्रीमती प्रीति जैन के पक्ष में सारी टोंक की जनता है, पुलिस का बेड़ा है, उनके कामों की सराहना करता है और जहां उनके कार्यकाल में अपराधों पर अंकुश लगा है, जो सड़क दुर्घटनाएं होती थीं उन पर बहुत अंकुश लगा है, पुलिस का मनोबल ऊंचा हुआ है परन्तु सरकार में बैठे लोगों को यह नहीं सुहा रहा है, कभी वे उन पर मोगिया लोगों का मामला उठाते हैं, कभी मालपुरा में प्राचीन सिक्कों का मामला उठाते हैं जबकि बरामद कुछ भी नहीं हुआ है और ना ही किसी जांच में प्रीति जैन को दोषी पाया गया है, और ना ही कोई जांच उजागर की गई, सिर्फ जबानी जमा खर्च से ही सरकार ने कार्यवाही की है और महिला पुलिस अधिकारियों के मनोबल को तोड़-मरोड़ कर रख दिया है, एक महिला मुख्यमंत्री के होते हुए इस प्रकार की घटना का होना और पुलिस मुख्यालय में बैठे कुछ धन्धेबाज पुलिस अधिकारियों की चालबाजियों के चलते एक ‘‘आयरन लेडी‘‘ को जिस तरह प्रताडि़त किया गया है वह अति-दुर्भाग्यपूर्ण है, और जो भ्रष्ट, निकृष्ट जातिवाद के आधार पर, राजनीतिक आकाओं की सिफारिशों पर लगे हुए पुलिस अधीक्षकों के खिलाफ कोई कार्यवाही नहीं करके पता नहीं सरकार क्या संदेश राजस्थान की जनता को देना चाहती है यह तो सरकार ही जाने परन्तु आने वाले चुनाव में टोंक की जनता मन बना चुकी है कि सरकार को इन सब दुर्भि संधि का जवाब जरूर देगी क्यों कि टोंक में सांसद महोदय का तो कोई दखल ही नहीं है और ना ही उनका कोई आना-जाना है, और माननीय विधायकों पर तो किसी का भी कोई अंकुश नहीं है, ऐसे में जनता को समय का इन्तज़ार है जैसा अभी उपचुनाव में जनता ने सरकार को निपटाया है वैसा ही टोंक में भी होगा, यह तय है।*

राजेश टंडन, वकील, अजमेर।*

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