कवि सम्मेलन, मुशाइरा तथा सृजनधर्मियों का सम्मान

बीकानेर। लोक जागृति संस्थान बीकानेर द्वारा गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी स्वतंत्रता सेनानी भाईजी रामरतन कोचर की स्मृति में उनकी 36वीं पुण्यतिथि पर कवि सम्मेलन एवं मुशाइरा तथा सृजनधर्मियों का सम्मान समारोह महाराजा नरेद्र सिंह ऑडिटोरियम बीकानेर में किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ लेखक एवं व्यंग्यकार बुलाकी शर्मा ने कहा कि आज का आयोजन सर्वश्रेष्ठ रहा और अविस्मरणीय भी रहेगा। आज जरूरत है भाईजी रामरतन कोचर के कार्यों का मूल्यांकन करने की एवं उनके बताये हुए पदचिन्हों पर चलने की। समारोह के मुख्य अतिथि समाजसेवी एवं पत्रकार श्री लूणकरण छाजेड़ ने कहा कि स्व. रामरतन कोचर दलितों एवं गरीबों के मसीहा थे एवं इनके कार्यों पर शोध होना चाहिए।
विशिष्ट अतिथि शाइर गुलाम मोहियूदीन माहिर ने कहा कि स्व. रामरतन कोचर जैसे व्यक्तित्व के धनी बिरले ही पैदा होते हैं। उन्होंने हमेशा दीन दुखियों की सेवा की और जरूरत है उनके मार्ग पर चलने की एवं उनके कार्यों का प्रचार-प्रसार करने की।
संस्थान के सचिव एडवोकेट इसरार हसन कादरी ने अतिथियों का स्वागत करते हुए कहा कि भाईजी रामरतन कोचर सद्भावना के प्रतीक थे। वे बिना किसी भेदभाव के सबको सहयोग देते थे और सबको साथ लेकर चलने वाले व्यक्ति थे।
लोक जागृति संस्थान के अध्यक्ष गुलाम मुस्तफा बाबू भाई ने संस्था का परिचय प्रस्तुत करते हुए कहा कि संस्था विकास एवं साम्प्रदायिक सद्भाव के लिए हर साल राज्य स्तरीय कार्यक्रम राजधानी जयपुर में आयोजित करती रही है। उन्होंने कहा कि जल्द ही राज्य स्तरीय आयोजन फिर से जयपुर में आयोजित करेंगे। उन्होंने आगे कहा कि स्व. कोचर साहब बीकानेर की गंगा जमुना संस्कृति के पर्याय थे।
कार्यक्रम के प्रारंभ में तमाम अतिथियों का माल्यार्पण द्वारा स्वागत किया गया एवं अतिथियों द्वारा स्व. रामरतन कोचर के चित्र पर पुष्पांजलि अर्पित की गई।
कार्यक्रम में वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. मदन केवलिया, हरदर्शन सहगल, डॉ. उषाकिरण सोनी, नदीम अहमद नदीम, वली मोहम्मद गौरी, मोनिका गौड़ और वरिष्ठ चित्रकार मोहम्मद सलीम कलाश्री को अतिथियों द्वारा शॉल सम्मान पत्र एवं श्रीफल भेंट कर और माल्यार्पण कर सम्मानित किया गया। इस अवसर पर कवि सम्मेलन एवं मुशाइरा आयोजित किया गया। जिसमें बीकानेर शहर के लगभग 21 कवियों शाइरों और कवयित्रियों ने अपनी हिन्दी, उर्दू एवं राजस्थानी भाषा की रचनाओं का प्रस्तुतिकरण करके श्रोताओं से भरपूर वाहवाही हासिल की। कार्यक्रम में कवि कथाकार सर्वश्री कमल रंगा ने अपनी राजस्थानी कविता रम्मत एवं असल वसीयत के माध्यम से राजस्थानी भाषा की मिठास घोली तो बुनियाद हुसैन जहीद ने अपने शेअर से खूब दाद लूटी। ‘‘यह नहीं जाना किसी ने और क्या है दर्दे दिल, रूह की पाकीजगी का आईना है दर्दे दल।’’ वरिष्ठ शाइर मोहम्मद शकील ने जिसे सुनकर झूमेंगे वो साज होगा, निराला जमाने में अंदाज होगा। युवा शाइर कासिम बीकानेरी ने प्यारी है गजल जैसी यह नगमों सी हसीं है कुदरत है अगर नज्म तो उनवान है औरत। डॉ. मंजू कछावा ने कवि सम्मेलन मुशाइरे को परवान चढ़ाते हुए कहा कि उसको जो मेरी याद ने नाशाद कर दिया, यह मोजजा अजल ने मेरे बाद कर दिया। इरशाद अजीज ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा कि अपने शहर से अपनी दुनिया तो वार कर दी तुझ पर/मेरे दामन में अब बचा क्या है।
युवा शाइर सागर सिदिकी ने अपना कलाम कुछ यूं पेश किया जुल्फ को ताबदार मत करना /होश मेरे शिकार मत करना। वली मोहम्मद गौरी ने अपना राजस्थानी गीत एवं उर्दू गजल के माध्यम से काव्य गोष्ठी को परवान चढ़ाया। कवि निर्मल कुमार शर्मा ने अपना कलाम पेश करते हुए कहा दुनिया में जब तलक मुझे बस ऐब ही दिखते रहे, जहनो जिगर में तब मेरे फरेब ही पलते रहे। वरिष्ठ शाइर अल्लाह बख्श साहिल ने कहा तूफान का जोर है कश्ती फंसी भंवर में। साहिल को मेरे मौला, साहिल पे तू ही लाना। कवि सम्मेलन मुशाइरे में अंकित कोचर, माहिर बीकानेरी, इद्रा व्यास, कमल किशोर पारीक, पुखराज सोलंकी, असद अली असद ने भी अपना कलाम प्रस्तुत किया।
इस अवसर पर मोहनलाल थानवी, शरद केवलिया, तुलसी राम मोदी, अभिशेख गहलोत, चन्द्रप्रकाश गहलेात, सुरेश हिन्दुस्तानी, डॉ. मोहम्मद फारूक चौहान, अरविन्द उभा, पुखराज सोलंकी आदि कवियों शाइरों ने अपना कलाम प्रस्तुत किया और कार्यक्रम के अंत में संस्थान की ओर से एडवोकेट शमशाद अली ने धन्यवाद ज्ञापित किया।

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