मंडावर शराबबंदी अभियान
दो साल के लंबे संघर्ष, कोर्ट केस, पुलिस प्रकरण एवं अभियान को दबाने की साजिश के बाद भी जीता था अभियान एक अप्रैल से शराब मुक्त होगी मंडावर पंचायत
20 जनवरी को हुआ था मतदान और 91 फीसदी लोगों ने किया था शराब बंदी के पक्ष में मतदान
मण्डावर गांव में शराबबंदी को लेकर पिछले दो साल से अभियान जोर-शोर से चल रहा था और इस अभियान के लिए आबकारी एक्ट के अनुरूप 20 जनवरी को मतदान हुआ। जिसमें मण्डावर की जनता ने 91 फ़ीसदी पक्ष में मतदान करके शराबबंदी पर अपनी मुहर लगा दी और इस तरह मंडावर में शराबबंदी के बाद एक अनुपम नजीर पेश की गई।
अब 1 अप्रैल से नए वित्तीय वर्ष में मंडावर गांव में आबकारी का नया ठेका नहीं लगेगा तथा गांव को शराब मुक्त घोषित कर दिया गया है। राजसमंद जिला कलेक्टर पीसी बेरवाल ने सरपंच प्यारी रावत को पत्र जारी करके मंडावर को शराब का ठेका मुक्त गांव घोषित करने के साथ मण्डावर में अवैध शराब की बिक्री रोकने के लिए लिखा है।
इधर ग्रामीणों में मंडावर गांव में शराबबंदी को लेकर काफी उत्साह है और ग्रामीणों ने एक सूचना पत्र के माध्यम से गांव में शराब की बिक्री नहीं होने का हवाला देते हुए शराब का परिवहन करना, हथकड़ी शराब बनाना, सामाजिक समारोह में शराब का प्रचलन रोकने, शराब पीकर घूमना तथा शराब लाना ले जाना प्रतिबंधित बताते हुए कानूनी तथा सामाजिक अपराध के श्रेणी में मानकर अपील की है। ग्रामीणों ने शराब के प्रचलन पर रोक लगाने के लिए पुलिस विभाग में आबकारी विभाग की सहयोग की अपील भी की है तथा इस शराब मुक्त गांव को अभियान को सफल बनाने में सहयोग देने वालों को पुरस्कृत करने की घोषणा की है।
शराबबन्दी की दो साल पुरानी जंग, आज मुकाम तक पहुँचा
मंडावर शराबबंदी को लेकर वर्ष 2016 में महाशिवरात्रि के आयोजन पर सरपंच प्यारी रावत के साथ युवा मंडल के पदाधिकारियों मिठू सिंह, लूम्ब सिंह, प्रेम सिंह, भंवर सिंह , जसवन्त सिंह ने शराबबंदी को लेकर संकल्प पत्र भरवाए गए तथा गांव को शराब मुक्त बनाने का सपना देखा। गांव में कई लोगों ने संकल्प पत्र भरकर शराबबंदी हेतु एकजुटता दिखाने का प्रयास किया पर आबकारी एक्ट के अनुरूप वर्ष 2017 में 15 मार्च को सरपंच प्यारी रावत के नेतृत्व में तत्कालीन जिला कलेक्टर अर्चना सिंह को ज्ञापन देकर ग्रामीणों ने शराबबंदी की मांग की थी।
प्रशासन ने 25 अप्रैल 2017 को भौतिक सत्यापन कराया । जिसमें मंडावर की एकतरफा सफलता मिली इसके बाद लंबे संघर्ष में कोर्ट केस के माध्यम से एवं अंत में सूचना के अधिकार के द्वारा मंडावर शराबबंदी की जानकारी मांगी गई तो प्रशासन ने तुरंत शराबबंदी के मतदान की तारीख घोषित कर दी और इस तारीख की घोषित होते ही ग्रामीणों ने अपना पूरा दमखम लगाते हुए मंडावर गांव को शराब मुक्त बनाने का सपना साकार करने में 91 फीसदी लोगों ने एकतरफा मतदान करते हुए 20 जनवरी को राजस्थान के इतिहास में रिकॉर्ड दर्ज करा दिया । इस तरह मंडावर ग्राम पंचायत राजस्थान की तीसरी शराब मुक्त पंचायत का गौरव हासिल हुआ।
मतदान में जीत के बाद भी सरपंच ने किया संघर्ष
मंडावर शराबबंदी को लेकर 20 जनवरी को हुए मतदान में एकतरफा फैसले के बावजूद भी सरपंच प्यारी रावत ने जिला प्रशासन और आबकारी विभाग को अवगत कराते हुए शराब का ठेका हटाने की निरंतर मांग करती रही और इस पर जिला प्रशासन ने कार्रवाई करते हुए नए वित्तीय वर्ष 1 अप्रैल से शराब का ठेका नहीं लगाने की बात होने पर संतुष्टि मिली।
इनका कहना
मंडावर शराबबंदी में संघर्ष में मिली ऐतिहासिक जीत को अभी धरातल पर लागू करने के लिए हम सब ग्रामवासी एकजुट हैं।
हीरा कँवर चौहान
जिला परिषद सदस्य
मंडावर शराबबंदी कराने के लिए लंबा संघर्ष करना पड़ा इसके लिए धरना प्रदर्शन कोर्ट केस पुलिस प्रकरण दर्ज हुए और मंडावर शराबबंदी की जीत का श्रेय मंडावर की जनता को जाता है ।
प्यारी रावत
सरपंच मण्डावर
मंडावर शराबबंदी में ग्राम वासियों ने एकजुटता का प्रदर्शन करते हुए कार्य किया और हमने गांव को शराब मुक्त किया हमारा गांव खुशहाल होगा।
भंवर सिंह
अध्यक्ष शराबबन्दी अभियान