कच्चे घरो से कब मिलेगा छुटकारा

फ़िरोज़ खान
बारां 18 अप्रेल । टोंडिया पंचायत के गांव जैतपुरा में करीब 35 सहरिया परिवार निवास करते है । यह गांव एमपी की सीमा से लगा हुआ है । इस गांव के लोगो को कई सुविधाओं का इंतजार है । कई सहरिया परिवार कच्चे घरो में ही निवास करते है । एक परिवार ऐसा है जो दोनों पति व पत्नी दिव्यांग है । इनके दो बच्चे है । रवीना व किस्मत । इस दिव्यांग पति व पत्नी को ना ही पेंशन मिलती है । और ना ही इनको सरकारी आवास मिला है । दिव्यांग होने के कारण मनरेगा में भी मजदूरी नही मिलती है । मजबूत व गुड्डी सहरिया ने बताया कि कच्चे घर के ऊपर पेड़ो के पत्ते डालकर सिर छुपाने के लिए आशियाना बना रखा है । इधर उधर मजदूरी कर अपने बच्चो का गुज़र बसर कर रहे है । उंन्होने बताया कि सरकार की और से राशन सामग्री मिल जाती है । इससे खाने की कोई चिंता नही रहती है । वरना तो हमारे पास तो परिवार को चलाने का कोई रास्ता नही है । इस गांव में पप्पू सहरिया, खेमराज सहरिया, मुरारीलाल सहरिया, पृथ्वीराज, रंग रसिया, जंगी सहरिया, राम सिंह, कन्हैया सहरिया के पास कच्चे घर है । यह परिवार कच्चे घर के ऊपर पत्ते डालकर रहते है । इसी तरह माधोपुर निवासी पांचूलाल बैरवा के 4 लडकियां व 3 लड़के है । इस परिवार के पास भी कच्ची टापरी है । इसको पेंशन भी नही मिलती है । मनरेगा में मजदूरी कर परिवार का खर्च चलाता है ।

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