जलगांव के नौजवान शाइर ज़ुबैर अली ‘ताबिश’ के सम्मान में शे’री-नशिस्त हुई

बीकानेर /’दरख़्त काट के जब थक गया लकड़हारा /तो इक दरख़्त के साए में जाके बैठ गया | |जो मेरे वास्ते कुर्सी लगाया करता था /वो मेरी कुर्सी से कुर्सी लगाके बैठ गया |’
नए अंदाज और जदीद लब्बो-लहजे की शाइरी से श्री शांति निवास होटल के हॉल में श्रोता बेहतरीन शाइरी का लुत्फ़ लेते रहे | मौक़ा था अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नाम रोशन करने वाले जलगांव के नौजवान शाइर ज़ुबैर अली ‘ताबिश’ के सम्मान में राष्ट्रीय कवि चौपाल द्वारा आयोजित शे’री-नशिस्त का | आपने हम्द के इस कलाम से अपने काव्यपाठ का आग़ाज़ किया-‘मैं क्या बताऊं वो कितना क़रीब है मेरे / मेरा ख़याल भी उसको सुनाई देता है | | वो जिसने आंख अता की है देखने के लिए /उसी को छोड़कर सब कुछ दिखाई देता है |’
आपका ये शे’र भी ख़ूब पसंद किया गया-‘ध्यान से पक्षियों को देते हो दाना पानी / इतने अच्छे हो तो पिंजरे से रिहा कर दो ना |’ शाइर ज़ुबैर अली ‘ताबिश’ ने एक से बढ़कर एक शे’र सुनाते हुए श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया | श्रोता बार-बार वाह वाह कर उठे और बार-बार पढ़ने की फ़रमाइशें करते रहे |
राष्ट्रीय कवि चौपाल के राष्ट्रीय अध्यक्ष शाइर क़ासिम बीकानेरी ने बताया कि कार्यक्रम में शाइर ज़ुबैर अली ताबिश को संस्था की तरफ से शॉल, श्रीफल, स्मृति चिन्ह एवं माल्यार्पण अर्पित करके सम्मानित किया गया |
कार्यक्रम की अध्यक्षता वरिष्ठ कवि कथाकार कमल रंगा ने करते हुए ज़ुबैर अली ताबिश को आला दर्जे का शाइर बताते हुए उनके उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं दी | शेरी-नशिस्त के मुख्य अतिथि उर्दू अदीब डॉ. मोहम्मद हुसैन ने कहा कि शाइरी के मैदान में अभी से ज़ुबैर अली ताबिश की शाइरी में वो कशिश है कि आने वाले वक्त में वो शाइरी के मैदान मैं बहुत कामयाबी हासिल करेंगे | इस अवसर पर डॉ. मोहम्मद हुसैन ने अपने शे’र ‘एक झंकार सी सुनी सबने / छन से बिखरी जो टूटकर आवाज़’ सुना कर ख़ूब दाद लूटी | कार्यक्रम के विशिष्ट अतिथि शाइरा डॉ. मंजु कछावा ‘अना’ ने अपनी ग़ज़ल के इस शे’र से श्रोताओं से भरपूर वाहवाही लूटी- मेरी आंखों में कोई और ही है /जो सपने देखता है मैं नहीं हूं || जो छोड़े साथ मंज़िल पर किसी का / फ़क़त वो रास्ता है मैं नहीं हूं ||’ विशिष्ट अतिथि बासनी नागौर के नौजवान शाइर इरफ़ान नोमानी जाहिदी ने बेहतरीन तरन्नुम के साथ ‘बला की तीरगी है और उस पर / मेरा जलता दिया है और मैं हूं’ शे’र सुनाकर शे’री-नशिस्त को ख़ूब परवान चढ़ाया | कार्यक्रम संयोजक क़ासिम बीकानेरी ने ‘हुसैनी होकर यज़ीदियों सा जो काम हम लोग कर रहे हैं/ हया करें दम हुसैनी होने का फिर भी हम लोग भर रहे हैं’ शे’र के माध्यम से जागरूकता पैदा करने की कोशिश की | शाइर डॉ. ज़िया उल हसन क़ादरी ने इस शे’र से ख़ूब तारीफे़ं पाईं-‘घोड़े दौड़ाए कल जो दरिया में /आज वो क़ौम क्यूं थकान में हैं |’ बुनियाद हुसैन ‘ज़हीन’ ने बेग़ैरत इंसान को रुसवा क्या करते /नंगा था वो उसको नंगा क्या करते | ‘शेर सुनाकर श्रोताओं की भरपूर तालियां बटोरी | असद अली ‘असद’ ने -‘सफ़र तैबा का भी कैसा सफ़र है / मुअत्तर जिसकी हर इक रहगुज़र है ‘ ना’त शरीफ़ पेश करके अपनी अक़ीदत देश की | इंजीनियर निर्मल कुमार शर्मा ने ‘किया रुसवा मुझे तुमने नहीं शिकवा मुझे कोई /चलो इस ही बहाने से ये दुनिया जानती तो है,’गिरिराज पारीक ने ‘काबुल से कोलंबो तक अमेरिका से जापान तक आंतकवाद का साया / इसे अमेरिका और पाकिस्तान ने पनपाया’, माजिद ख़ान ग़ौरी ने ‘न हिंदू ख़तरे में हैं न मुसलमान ख़तरे में है, हनुमंत गौड़ ने ‘ख़्वाहिश नहीं की कोई मशहूर मुझको करे’, सोनू लोहमरोड़ ने ‘जब झगड़े हो मज़हब के कहां शैतान मरता है, डॉ. सुलक्षणा दत्ता ने ‘बर्क ने ख़ुद को शर्मसार किया /अब्र को आज आबशार किया’, गोविंद शर्मा ने हमारा दिल ये दीवाना मचलता है करें क्या हम, देवीलाल महिया ने ‘पड़े चाहे कांटों के पथ से गुज़रना, अल्लाह बख़्श साहिल ने ‘न मिला सुकून मुझको न मिला मुझे ठिकाना’, अनिल भारद्वाज ने पंजाबी रचना ‘नदियां विचो नेहरा कड़वी /नेहरा व्हिच पानी ना’ सुनाकर कार्यक्रम को परवान चढ़ाया | कार्यक्रम में मधुरिमा सिंह, घनश्याम सिंह, अजमल हुसैन क़ादरी, उमर चिश्ती, पूनम चंद गोदारा, डॉक्टर महेंद्र चाडा, दीपेंद्र स्वामी सहित अनेक साहित्यानुरागी मौजूद थे | अंत में आभार संस्कृतिकर्मी मुनीन्द्र प्रकाश अग्निहोत्री ने ज्ञापित किया | कार्यक्रम का संचालन क़ासिम बीकानेरी ने किया |

– Mohan Thanvi

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