गुरू जांभोजी के बताए सिद्धांतो का पालन करने का आव्हान

बीकानेर 4 अगस्त। महाराजा गंगा सिंह विष्वविद्यालय एवं जाम्भाणी साहित्य अकादमी के संयुक्त तत्वावधान में आज विष्वविद्यालय परिसर में राष्ट्रीय संगोष्ठी सम्पन्न हुई। संगोष्ठी के मुख्य अतिथि माननीय उच्च न्यायालय जोधपुर के न्यायाधीष श्री विजय विष्नोई, विषिष्ट अतिथि अलवर के अतिरिक्त पुलिस अधिक्षक श्री देवेन्द्र कुमार विष्नोई एवं अध्यक्ष कुलपति प्रो. भगीरथ सिंह रहे। संगोष्ठी के मुख्य वक्ता श्री कृष्णानन्द जी आचार्य रहे।
कार्यक्रम के प्रारम्भ में अतिथियों ने गुरू जम्भेष्वर जी की प्रतिमा के आगे दीप प्रज्जवलित कर उद्घाटन किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए आयोजन सचिव डॉ. इन्द्रा विष्नोई ने सभी अतिथियों का परिचय कराया। संगोष्ठी निदेषक प्रो. एस.के.अग्रवाल ने विषय प्रवर्तन किया। उन्होनें विष्वविद्यालय परिसर में मदन मोहन मालवीय पीठ एवं नैतिक षिक्षा के बारे में विस्तार से बताया। विषिष्ट अतिथि श्री देवेन्द्र विष्नोई ने विष्नोई समाज की उपलब्धियों एवं पर्यावरण संरक्षण के प्रति योगदान के बारे में सदन को अवगत कराया।
मुख्य वक्ता आचार्य श्री कृष्णानन्द जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि हवन के कण कण में एक विषेष शक्ति होती है। उन्होनें पानी, शील और संतोष के सिद्धान्त को अपनाने पर बल दिया। उन्होनें कहा कि मनुष्य जीवन के लिये कुछ नियमों को अपनाने की आवष्यकता होती है जो कि विष्नोई समाज में देखने को मिलती है।
मुख्य अतिथि माननीय न्यायाधिपति श्री विजय विष्नोई ने अपने ज्ञानवर्द्धक उद्बोधन में कहा कि मनुष्य को 500 वर्ष पर गुरू जांभोजी द्वारा दिये गये सिद्धांतो का पालन करना चाहिये। उन्होनें कहा कि जांभोजी के सिद्धान्तों की पालना से ही सही अर्थों में पर्यावरण संरक्षण हो सकेगा। श्री विष्नोई ने कहा कि आज दुनिया भर में जांभोजी के सिद्धान्तों पर अनुसरण किया जा रहा है जिससे आज पर्यावरण संरक्षण में भारी सफलता मिली है। श्री विष्नोई ने पंजाब एवं हरियाणा में प्रदूषण की वजह से बढ़ते हुए केन्सर पर भी अपनी चिन्ता जताई।
अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में माननीय कुलपति श्री भगीरथ सिंह ने कहा कि गंगा सिंह विष्वविद्यालय इस प्रकार की संगोष्ठी के आयोजन से समाज को पर्यावरण संरक्षण का संदेष देना चाहता है। उन्होनें विष्नोई समाज से विष्वविद्यालय परिसर में पेड़ लगाने की अपील की। साथ ही उन्होने सदन से नषामुक्ति का संकल्प भी दिलवाया। उनकी अपील का अनुसरण करते हुए समाजसेवी श्री राजाराम धारणिया ने 1000 पेड़ तथा श्री जगदीष धारिणयां ने 100 पेड़ लगाने की घोषणा की।
डॉ. अनिला पुरोहित ने उद्घाटन सत्र में उपस्थित अतिथियों एवं सभी आगन्तुकों का अपने जोषीले अन्दाज में धन्यवाद ज्ञापित किया।
आयोजन सचिव डॉ. इन्द्रा विष्नोई ने बताया कि उद्घाटन सत्र के पष्चात दो तकनीकी सत्र आयोजित हुए जिसमें नई दिल्ली के प्रो. कृष्ण कुमार कौषिक, बीकानेर के प्रो. अनिल छंगाणी, डॉ. कृष्ण लाल विष्नोई, डूंगर कॉलेज की डॉ. प्रकाष अमरावत, डॉ. नन्दिता सिंघवी, जयपुर के डॉ. जगदीष गिरी, आरजेएस श्री पवन विष्नोई तथा डॉ. ओम प्रकाष भादू सहित अनेक आचार्य एवं सह आचार्यों ने अपना पत्र वाचन किया। तकनीकी सत्रों का संचालन डॉ. सीमा शर्मा एवं हिसार के डॉ. सुरेन्द्र खीचड़ ने किया।
तकनीकी सत्रों के पष्चात हुए समापन समारोह के मुख्य अतिथि षिवबाड़ी के महन्त संवित श्री सोमगिरी जी महाराज एवं विषिष्ट अतिथि समाजसेवी श्री राजाराम जी धारणिया रहे। अपने उद्बोधन में श्री सोमगिरी जी महाराज ने वर्तमान समय में पर्यावरण संरक्षण में इस प्रकार की संगोष्ठी की महती आवष्यकता पर बल दिया। समाजसेवी श्री राजाराम जी धारणिया ने भविष्य में इस प्रकार की संगोष्ठी के आयोजन में पूर्ण सहयोग देने एवं पर्यावरण संरक्षण हेतु पूरे विष्वविद्यालय परिसर को हरा भरा बनाने में पूर्ण सहयोग देने की घोषणा की।
इस अवसर पर डॉ. सरस्वती विष्नोई, डुंगर कॉलेज के प्राचार्य डॉ. सतीष कौषिक, ज्ञान विधि महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ. भंवर विष्नोई, विधि महाविद्यालय के डॉ. भगवानाराम विष्नोई, श्री बीरबल जी धारणिया, श्री बलवन्त विष्नोई, श्री ओमप्रकाष विष्नोई, श्री सोहनलाल जी विष्नोई, विष्नोई महासभा के कोषाध्यक्ष श्री रामस्वरूप धारणिया मीडिया प्रभारी डॉ. राजेन्द्र पुरोहित, डॉ. प्रषान्त बिस्सा, डॉ. पंकज जैन सहित जाम्भाणी साहित्य अकादमी के अनेक पदाधिकारी उपस्थित रहे। समापन सत्र का संचालन डॉ. बनवारी लाल साहू ने किया।
-✍️ मोहन थानवी

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