बछबारस आई ए माय, बेटे री मां पूजे गाय

बीकानेर। ‘बच्छ बारस आई ए माय, बेटे री मां पूजे गायÓ की परंपरानुसार शुक्रवार को पुत्रवान महिलाओं ने बछबारस का व्रत रखकर गाय व बछड़े की पूजा की। सुबह ही महिलाओं ने गाय बछड़े को कुमकुम से तिलक कर मोली बांधी और बाजरे के आटे से बने लड््डू को खिलाया। तत्पश्चात कहानी सुनकर पुत्र के पांव के अंगूठे से गोबर से बनी पाल को तुड़वाया। महिलाओं ने गाय-बछड़े की पूजा कर परिवार की खुशहाली की कामना की। गाय-बछड़े को वस्त्र भी चढ़ाए गए। इसके बाद गौ-वत्स की कथा सुनकर परिवार की मंगलकामना और संतान की दीर्घायु की कामना की। घरों में मंूग, मोठ, मक्के व बाजरे के आटे की रोटी और अन्य पकवान बनाए गए। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार व्रत करने वाली महिलाएं बछबारस के दिन गाय का दूध व उसके उत्पाद, गेहूं से बने खाद्य पदार्थ व लोहे के चाकू से काटी हुई तथा लोहे के बर्तन में पकाई हुई खाद्य सामग्री का उपयोग नहीं करती बल्कि इस दिन पूजन करने वाली महिलाएं शाम होने से पहले भोजन कर लेती है और बाजरे की रोटी, मोठ, सांगरी की सब्जी व भैंस के दूध दही का सेवन करती है।

error: Content is protected !!