मण संघीय महामंत्री सौभाग्यमुनि मसा का श्रीनवग्रह आश्रम में मंगलप्रवेश

आयुर्वेद से मानवता की सेवा भी तप साधना का ही परिणाम हैः सौभाग्यमुनि
वन वैभव ही मानव का संरक्षक है, इसे बढ़ाने की जरूरत भी है- श्रमण संघीय महामंत्री

*मोतीबोर का खेड़ा (भीलवाड़ा)-8 दिसंबर ……*
श्रमण संघीय महामंत्री श्रीसौभाग्य मुनि मसा, मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनिजी आदि ठाणा का रायला से विहार कर कवंलियास जाते समय निकटवर्ती मोतीबोर का खेड़ा ग्राम में स्थित श्रीनवग्रह आश्रम में मंगल प्रवेश संपन्न हुआ। मुनि महाराज के जयघोष के मध्य मुनियों के मंगल प्रवेश पर आश्रम की ओर से उनका भावभीना स्वागत किया गया।
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि मसा ने श्रीनवग्रह आश्रम के पूरे परिसर का अवलोकन करते हुए प्रत्येक औषधीय पौधे के बारे में आश्रम संचालक हंसराज चैधरी से पूरी जानकारी प्राप्त की तथा आयुर्वेद पर उनसे विषद चर्चा की। पूरे आश्रम परिसर का निरीक्षण करने के दौरान सनातन काल से चले आ रहे आयुर्वेद पद्वति से उपचार के बारे में आश्रम में उपलब्ध सेवाओं के बारे में भी विस्तार से जानकारी प्राप्त की।
श्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि मसा ने बाद में आश्रम में आयुर्वेद व उसके इतिहास के साथ आयुर्वेद से उपचार पर प्रवचन भी दिया। उन्होंने उदयपुर में गुरू अंबेश संस्थान में मौजूद आयुर्वेद के ग्रंथों का जिक्र करते हुए आश्रम संचालक से कहा कि वो उनका सहयोग लेकर उपचार को ओर सरल बनावें। सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि भक्ति के कई तरीके और चेहरे है। आयुर्वेद से मानवता की सेवा भी तप साधना का ही परिणाम है। कुछ लोग कपट और पाखंडपूर्ण भक्ति भी करते हैं। यह उनको लाभ की बजाय गर्त में ले जाएगा। उन्होंने कहा कि मानवता की सेवा मंे कपटता करने पर व्यक्ति को उसका परिणाम तो भुगतना ही होगा। सौभाग्य मुनि ने कहा कि पाखंड भक्ति बहुत खतरनाक होती है। यह दूसरों को धोखे में रखती है, लेकिन खुद को भी धोखा देती है। कपट करने वाले लोगों की भक्ति भी फलीभूत नहीं हो सकती। कई बार भक्ति साधना में व्यक्ति को अंहकार जाता है। इससे भी भक्ति दूषित हो जाती है।
सौभाग्यमुनि ने आयुर्वेद पर विस्तार से प्रकाश डालते हुए कहा कि नवग्रह आश्रम में जिस प्रकार से 455 औषधीय पौधों का रोपण किया गया है जिनको उन्होंने स्वयं देखा है यह अपने आप में विशिष्टता का अनुभव है। ऐसे पौधे देखे है जो प्रायः विलुप्त हो गये है। वन वैभव ही मानवता का संरक्षक है। प्राचीन काल में वन के संरक्षण का भाव प्रत्येक व्यक्ति में था अब तक यह सरकार के पास भी नहीं रहा है। आज वन समाप्त हो रहे है। वन वैभव सुरक्षित नहीं रहा तो मनुष्य के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल असर पड़ रहा है। उन्होंने कहा कि आयुर्वेद पद्धति से हर बिमारी का उपचार होता है पर समय लगता है। यह उसका चमत्कार ही है। आयुर्वेद अनमोल रत्न हैं मनुष्य के साथ पशुओं का भी उपचार होता है। आयुर्वेद से उपचार स्थायी होता है।
सौभाग्यमुनि ने भक्ति की विषद विवेचना करते हुए कहा कि हम सामायिक, प्रार्थना, जप-साधना आदि के समय प्रभु का स्मरण करते हुए एकाग्र रहते हैं। यह स्मरण भक्ति है। जितनी देर कर सके अच्छा है, पर सामान्य सांसारिक दिनचर्या में आने के कुछ समय बाद इसका प्रभाव कम पड़ जाता है। तब पाप कर्म से तभी दूर रह पाएंगे, जब हम परमात्मा को सामने देखेंगे। जब भी झूठ बोलने या क्रोध करने की परिस्थिति बने, अपने सामने भगवान महावीर को खड़ा कर दो। हम जहां भी रहे, जो भी करें यदि परमात्मा को ध्यान में रखकर करेंगे तो जीवन जीने का तरीका ही बदल जाएगा। ज्ञान को सुनकर जीवन में उतारने का लक्ष्य रखना चाहिए।
उन्होंने कहा कि ज्ञान का महत्व ही आचरण में उतारने से है। बत्तीस आगमों का ज्ञान और कई आगम कंठस्थ होना जितना महत्वपूर्ण नहीं, उतना महत्वपूर्ण उस ज्ञान को जीवन में उतारना है। उन्होंने कहा कि जिस प्रकार बहुत बड़े पुल में मामूली कील का भी महत्व होता है। उसी प्रकार परिवार समाज में हर व्यक्ति के अस्तित्व महत्व को स्वीकार करते हुए चलेंगे, तभी सामजस्य बना रहता है। कम बोलने से विवाद से बचेगें, ज्यादा बोलने वाले का कोई आदर-सम्मान नहीं होता।
जैनश्रमण संघीय महामंत्री श्री सौभाग्य मुनि कुमुद ने कहा कि जीवन में संयम बहुत जरूरी है। इसी से तप होगा और इसी से बुरी आदतों अन्य बुराइयों का नाश संभव है। इसलिए संयम में ही सुख है। उन्होंने कहा कि पाप कर्मों का नाश और सदकर्मों का अभ्युदय संयम से होगा।
श्रमण संघीय महामंत्री श्रीसौभाग्य मुनि मसा, मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनिजी ने नवग्रह आश्रम में औषधीय पौधों के निरीक्षण के अलावा वहां प्रदर्शनी का अवलोकन किया। इस मौके पर केंसर के उपचार के लिए तैयार किये गये नये पेंपलेट साहित्य का उन्होंने विमोचन करते हुए केंसर रोगियों के प्रति मंगलकामना भी की। आश्रम संचालक हंसराज चैधरी ने दोनो मुनियों को आश्रम का साहित्य भी भेंट किया। यहां से विहार करते समय श्रमण संघीय महामंत्री श्रीसौभाग्य मुनि मसा, मेवाड़ प्रवर्तक मदन मुनिजी ने आश्रम को वर्तमान चकाचैंध की दूनियां में एक आशा की किरण बताते हुए आश्रम संचालक से कहा कि उदयपुर के अंबेश गुरू संस्थान में स्थित आयुर्वेद के प्राचीन साहित्य को वो वहां से प्राप्त कर उनका अध्ययन कर समाज सेवा के कार्य को आगे बढ़ावे। दोनो मुनियों की गोचरी का सानिध्य में भी हंसराज चैधरी ने सपत्निक प्राप्त किया।

*मूलचन्द पेसवानी*
9414677775

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