राजस्थान में सत्ता बदलने की 20 साल की परंपरा इस बार भी नहीं टूटी। पिछले 20 सालों से यहां बारी-बारी से बीजेपी-कांग्रेस की सरकार आती रही है। इस बार यहां की सियासत में इतिहास फिर दोहराया गया और कांग्रेस सत्ता की दहलीज तक पहुंच गई। 1952 से अब तक (इस बार के नतीजों को छोड़कर) राजस्थान विधानसभा के 14 चुनाव हो चुके हैं। 9 बार कांग्रेस की सरकारें बनी तो 4 बार भाजपा सत्ता में रही। एक बार जनता पार्टी की सरकार रही थी। 1972 तक प्रदेश की राजनीति में कांग्रेस का एकतरफा दबदबा रहा। 1977 में पहला मौका आया जब कांग्रेस सत्ता से बेदखल हुई। तब जनता पार्टी ने 200 में से 151 सीटें जीत कर सरकार बनाई और भैरोंसिंह शेखावत पहले गैर-कांग्रेसी मुख्यमंत्री बने थे।
सत्ता कैसे बीजेपी और कांग्रेस के हाथों में आती-जाती रही
– ऐसे में वर्ष 1980 में अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, राजमाता विजयाराजे सिंधिया एवं भैरों सिंह शेखावत की अगुवाई में नए दल भारतीय जनता पार्टी का गठन हुआ।
– हालांकि अगले दो चुनावों (1980 और 1985) में फिर कांग्रेस सत्ता में रही। 1980 से चुनाव मैदान में उतरी भाजपा को पहली कामयाबी 1990 में मिली। तब पार्टी को 85 सीटें मिली थीं। शेखावत फिर सीएम बने।
– 1993 में प्रदेश की दसवीं विधानसभा के लिए चुनाव हुए और 95 सीटों के साथ भाजपा फिर सत्ता में लौटी। राजस्थान के इतिहास में यह पहला और एक मात्र मौका रहा जब भाजपा लगातार दो बार सत्ता में रही।
– इसके बाद से भाजपा और कांग्रेस के बीच सत्ता की अदला-बदली चल रही है। 1998 में कांग्रेस ने धमाकेदार प्रदर्शन किया और 200 में से 153 सीटों जीत दर्ज की। यह पहला मौका था, जब कांग्रेस ने 150+ सीटें हासिल की। अशोक गहलोत सीएम बने।
– 2003 विधानसभा चुनाव में गहलोत दूसरी पारी नहीं खेल पाए और उनके नेतृत्व में लड़े गए चुनाव में कांग्रेस बुरी तरह हार गई। 120 सीटें जीतकर भाजपा सत्ता में लौटी, वसुंधरा राजे सीएम बनीं।
– 2008 में वसुंधरा भी लगातार दूसरी पारी नहीं खेल पाईं। 96 सीटें पाकर कांग्रेस सत्ता में लौटी, गहलोत फिर सीएम बने।
– 2013 में अदला-बदली का क्रम जारी रहा और भाजपा ने राजस्थान विधानसभा के इतिहास में अपनी सबसे बड़ी जीत दर्ज की। 163 सीटों के साथ वसुंधरा राजे फिर सीएम बनीं।
– 2018 विधानसभा चुनाव में कांग्रेस फिर सत्ता की दहलीज पर।