नवग्रह आश्रम में पार्किंसंन के लिए भी आयुर्वेदिक उपचार हुआ प्रारंभ

रूग्ण मानवता की सेवा में नवग्रह आश्रम का मुकाबला नहीं- मेघवाल
भीलवाड़ा/रायला/शाहपुरा – भीलवाड़ा जिले के मोती बोर का खेड़ा में स्थित श्रीनवग्रह आश्रम में अब पार्किंसन रोग भी आयुर्वेदिक उपचार करने की पद्वति को खोज निकाला है। आश्रम संचालक हंसराज चोधरी की अगुवाई में तीन चिकित्सकों डा.शिवशंकर राड़, डा. लोकपाल आर्य, डा. प्रदीप चैधरी की टीम ने लंबे शोध के बाद शुक्रवार को उपचार के लिए औषधी को तैयार कर लिया है।
शुक्रवार को रात्रि में राज्य विधानसभा के अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने उदयपुर के असिस्टेंड कमिश्नर मनफूलसिंह चैधरी, भाजपा जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मीलाल सोनी, पूर्व सरपंच जयराज सिंह, शाहपुरा कृषि मंडी के पूर्व वाइस चेयरमेन लालूराम जागेटिया, पूर्व पार्षद भगवान सिंह यादव, प्रसिद्व कवि राजकुमार बादल व अशोक चारण सहित जनप्रतिनिधियों की मौजूदगी में इस पार्किंसंन की औषधी को जनता के लिए समर्पित करते हुए इसकी लाचिंग की। आश्रम संचालक हंसराज चोधरी ने बताया कि उनके यहां लंबे समय से इस प्रकार के रोगियों की संख्या को देखते हुए लंबा शोध करने के बाद ओषधी का निर्माण किया गया है।
मुख्य अतिथि मेघवाल ने इस मौके पर कहा कि पार्किंसन रोग के उपचार की व्यवस्था भी अब श्रीनवग्रह आश्रम में उपलब्ध होने से इसकी ख्याति और बढ़ेगी। उन्होंने इस बात पर भी प्रसन्नता व्यक्त की प्रत्येक शनिवार व रविवार को देश व दुनियां से आने वाले करीब दो हजार केंसर सहित अन्य बिमारियों के रोगी यहां से लाभान्वित हो रहे है। रूग्ण मानवता की सेवा करना ही सर्वोपरी है। इसके मुकाबले कोई सेवा हो ही नहीं सकती है। उन्होंने आश्चर्य जताया कि इतनी भारी तादाद में आने वाले केंसर रोगियों को आश्रम से हर बार निःशुल्क औषधी दी जाती है। प्रत्येक रोगी को प्रति बार दी जाने वाली औषधी की लागत ही दो हजार रू की आती है। उन्होंने आम जनता से इस प्रकार के सेवा कार्य में मुक्त हाथों से सहयोग करने का भी आव्हान किया। उन्होंने कहा कि यह यहां की धरती और किसी मनीषी का पुण्य प्रताप ही हो सकता है कि आश्रम के संचालक हंसराज चैधरी इस प्रकार की मानवता की सेवा कर न केवल अपने आश्रम का वरन संपूर्ण जिले को गौरान्वित कराने का कार्य कर रहे है। मेघवाल ने कहा कि आज देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समूचे विश्व में भारत की गौरव गाथा का बखान कर हम सभी को ही गौरान्वित कर रहे है। सनातन काल से हिन्दुस्तान विश्व गुरू के रूप में विख्यात रहा है। प्रधानमंत्री ने आयुष मंत्रालय को अधिक बजट देने का भी कार्य किया है, वो प्रयास करेेंगें कि केंद्र सरकार की ओर से भी यहां की सुविधाओं के लिए कुछ प्रयास करेंगें।
भाजपा जिला उपाध्यक्ष लक्ष्मीलाल सोनी ने नवग्रह आश्रम में इतनी भारी तादाद में मरीजों के आने व उनके उपचार की व्यवस्था पर संचालक हंसराज चोधरी का साधुवाद व्यक्त करते हुए कहा कि आश्रम के पास में आने वाले दिनों में सामुदायिक भवन का निर्माण कराया जायेगा जिससे रोगियों को वहां पर ठहरने की सुविधा मुहैया हो सकेगी।
आश्रम संचालक संचालक हंसराज चोधरी बताया कि पार्किंसन रोग केन्द्रीय तंत्रिका तंत्र का एक ऐसा रोग है जिसमें रोगी के शरीर के अंग कंपन करते रहते हैं। पार्किंसन का आरम्भ आहिस्ता-आहिस्ता होता है। पता भी नहीं पड़ता कि कब लक्षण शुरू हुए। अनेक सप्ताहों व महीनों के बाद जब लक्षणों की तीव्रता बढ़ जाती है तब अहसास होता है कि कुछ गड़बड़ है। उन्होंने इस प्रकार के रोगियों से कहा है कि अब घबराइए नहीं क्योंकि आयुर्वेदिक की मदद से पार्किंसंस के प्राकृतिक उपचार में मदद मिलेगी। जिससे बीमारी से छुटकारा पाकर आपका शरीर पूरी तरह स्वस्थ हो जाता है। यह एक ऐसा इलाज है जिसमें पूरे शरीर का इलाज किया जा सकता है। आयुर्वेदिक उपचार तथ्य पर आधारित होता है, जिसमें अधिकतर समस्याएं त्रिदोष में असंतुलन यानी कफ, वात और पित्त के कारण उत्पन्न होती है।
उन्होेंने कहा कि तनावपूर्ण व अनियंत्रित जीवन शेली के यह रोग ज्यादा फैलता है। मुख्य रूप् से यह बढ़ती उम्र के साथ ज्यादा बढ़ता जाता है। आधुनिक चिकित्सा पद्वति में इस रोग के निदान का कोई उपाय नहीं है क्यों कि रोग के परीक्षण की अब तक कोई व्यवस्था नहीं है।
चोधरी ने बताया कि पार्किसन के लिए ब्राह्मी को वरदान माना जाता है। यह दिमाग के टॉनिक की तरह काम करती है। भारत में सदियों से कुछ चिकित्सक इसका उपयोग स्मृति वृद्धि के रूप में करते आ रहे हैं। मैरीलैंड यूनिवर्सिटी के मेडिकल सेंटर के अध्ययन के अनुसार, ब्राह्मी मस्तिष्क में ब्लड सर्कुलेशन में सुधार करने के साथ मस्तिष्क कोशिकाओं की रक्षा करती है। पेनसिल्वेनिया स्टेट यूनिवर्सिटी कॉलेज ऑफ मेडिसिन के द्वारा किए एक अन्य अध्ययन के अनुसार, ब्राह्मी के बीज का पाउडर पार्किंसंस के लिए बहुत बढिया इलाज है। यह रोग को दूर करने और मस्तिष्क की नुकसान से रक्षा करने करने का दावा करती है। इस ओषधी के मिश्रण में कपिकच्यू, हल्दी, अश्वगंधा, शंखपुष्पी, अकरकरा को निश्चित अनुपात में मिलाया जाकर ओषधी तैयार की गई है जो आज से आश्रम में उपलब्ध हो सकेगी। उन्होंने बताया कि इस रोग के रोगियों को ओषधी के साथ खान पान में कुछ परहेज, पानी का ज्यादा उपयोग करने, योग करने की सलाह भी दी जाती है।
शुरूआत में विस अध्यक्ष कैलाश मेघवाल ने आश्रम में पहुंच कर वहां प्रत्येक ग्रह व राशि और नक्षत्र आधारित आयुर्वेदिक पौधों व आश्रम का निरीक्षण किया। संचालक चोधरी ने उनको आश्रम द्वारा दी जाने वाली समस्त सुविधाओं के बारे में विस्तार से बताया और उनका स्वागत कर आश्रम का साहित्य भी भेंट किया।
मूलचन्द पेसवानी

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