तकनीक प्रयोग से पशुपालन में मिल सकते हैं उद्यमिता के नए आयाम-राठौड़

एसकेआरयू में तीन दिवसीय कार्यशाला प्रारम्भ
बीकानेर, 21 फरवरी। स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय बीकानेर में गुरूवार को राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत राजस्थान में पशुपालन में खेतिहर महिलाओं की उद्यमिता संभावनाएं विषय पर राज्य स्तरीय कार्यशाला का शुभारंभ हुआ। तीन दिवसीय राज्य स्तरीय कार्यशाला के उद्घाटन सत्र में आईसीएआर के उपनिदेशक (कृषि शिक्षा) डॉ एन एस राठौड़ मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। उन्होंने कहा कि पशुपालन के माध्यम से खेतीहर महिलाओं को उद्यमिता के नए आयाम प्रस्तुत करने के लिए तकनीक का प्रयोग अनिवार्य है। इस कार्यशाला में माध्यम से यह तलाश करने की आवश्यकता है कि किस तकनीक को प्रयोग इन महिलाओं प्रशिक्षित करने में किया जा सकता है। उद्यमिता संभावना के लिए इसकी पहचान करना सर्वाधिक जरूरी है कि किस तकनीक का और कैसे इस्तेमाल किया जाए। उन्होंने कहा कि डिजीटल मोड का प्रयोग करते हुए प्रौद्योगिकीय नवाचारों का उपयोग किया जाए। राठौड़ ने कहा कि महिला सशक्तीकरण की दिशा में कार्य करने के लिए प्रशिक्षण सर्वाधिक अहम है लेकिन इसके लिए तकनीकी की पहचान, उसका विकेन्द्रीकरण और इसे लक्ष्ति तक पहुंचाने के लिए सम्बंधित की जवाबदेही तय करनी होगी।
इस अवसर पर स्वामी केशवानंद राजस्थान कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो विष्णु शर्मा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कहा कि विश्वविद्यालय इस सम्बंध में मॉडल तैयार करें और इसका उपयोग कैसे महिलाओं को दिया जाएगा इस सम्बंध में कार्यशाला में रोडमैप तैयार कर प्रस्तुत की जाएगी। उन्होंने कहा कि इस राज्य स्तरीय कार्यशाला के माध्यम से इस विषय पर नए सुझाव मिल सकेंगे, जिन्हें शामिल करते हुए इस दिशा में और बेहतर कार्य किया जाएगा। उद्घाटन सत्र में अनुसंधान निदेशक एस एल गोदारा, क्षेत्रीय निदेशक अनुसंधान पी एस शेखावत ने अपने विचार रखे। प्रोजेक्ट की मुख्य अन्वेषक प्रो चित्रा हेनरी ने बताया कि सहायक अन्वेषक डॉ सीमा त्यागी व तीन छात्रों अमित, सुभाष और देवेन्द्र की टीम द्वारा 10 हजार 800 खेतीहर महिलाओं पर अध्ययन कर यह सर्वे तैयार किया है। इस प्रोजेक्ट में खेती से जुड़ी महिलाआंें को पशुपालन के जरिए नये रोजगार सृजित करने के लिए बैंक, गैर सरकारी संगठनों, वेटरनरी, कृषि, पशुपालन विभाग सहित सम्बंधित एंजेसियों से विस्तृत विचार विमर्श कर इस विषय पर एक रोडमैप प्रस्तुत किया गया है। इस विषय पर तीन दिन तक चलने वाली इस कार्यशाला में विस्तृत चर्चा की जाएगी।

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