में अकेली हूँ, पर सबके साथ हूँ

में अकेली हूँ, पर सबके साथ हूँ, में बहुत कुछ नही कर सकती, पर कुछ बन ही कर सकती हूं, फिर जो भी करना होगा, मुझे अकेले ही जुटना होगा

फ़िरोज़ खान
बारां 8 मार्च । जाग्रत महिला संगठन द्वारा 8 मार्च को मामोनी में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया गया । जिसमें सेकड़ो महिलाओं ने भाग लिया । “बहुत हुआ अब और न सहेगी, अपने हक अधिकार ले कर रहेगी” तोड़ तोड़ के बंधनों को देखो बहने आती है, ओ देखो लोगो देखो बहने आती है, आएंगी जुल्म मिटाएंगी, वह तो नया नया जमाना लाएंगी, कुछ इस तरह के नारों के साथ सैकड़ों महिलाओं ने नारी सशक्तिकरण का संदेश दिया । महिला दिवस पर महिला जागरूकता और उनके सशक्तिकरण को समर्पित अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का जाग्रत महिला संगठन ने आयोजन किया । संगठन में शक्ति है साथ ही महिलाओं को संगठित होकर कार्य करने पर बल दिया । महिला के लिए कानून तो कई है लेकिन बेहतर तरीके से नही होता पालन । उन्होंने कहा कि महिला का सम्मान करने के लिए वर्ष में एक दिन महिमा मंडित करने का कोई ठोस आधार नजर नहीं आता है । उसका सम्मान पूरे वर्ष या हमेशा किया जाना चाहिए इसलिए मात्र एक दिन के आयोजन से महिला के सशक्तिकरण की बात नही की जा सकती । महिलाओं की सशक्तिकरण की दिशा में ऐसे कार्य और ऐसी योजनाएं बनाई जानी चाहिये, ताकि वे स्वावलंबी बन सके । महिलाओं के स्वावलंबी बनने ही महिलाओं के सशक्तिकरण का उद्देश्य पूरा किया जा सकता है । अन्यथा महिलाओं का शोषण होता रहेगा । उन्होंने कहा कि महिला को सशक्तिकरण में सबसे बड़ी बात है महिलाओं को किसी भी प्रकार के शोषण से बचाना । शोषण चाहे प्रताड़ना के रूप में हो या दैहिक । शारिरिक शोषण के रूप में महिलाओं पर अत्याचार और अन्याय पिछले कई सदियों से जारी है । पुरुष प्रधान व्यवस्था में महिलाओं को उनके स्वाभाविक अधिकारों से जान बुझकर वंचित किया जाना पुरुषों के षड्यंत्र को दर्शाता है । बचपन से ही महिलाओं के प्रति दुराभाव रखा जाता है । चाहे माता पिता की और से हो या समाज की और से हो । पुत्र व पुत्री के लालन-पालन में भेद किया जाता है । और इससे पुत्री के भविष्य के निर्माण का मार्ग अवरोध हो जाता है । इसलिए महिलाएं आर्थिक रूप से सक्षम नही हो पाती है । आर्थिक असक्षमता मुख्य रूप से महिलाओं के उत्पीड़न का कारण है । इस दिशा में नीतियां बनाई जानी चाहिए । महिलाओं के सशक्तिकरण के लिए महिलाओं को शिक्षित करना भी अत्यंत आवश्यक है । जिसका सीधा असर महिलाओं की आर्थिक स्थिति सुदृढ़ करने पर पड़ेगा । अतः महिलाएं उत्पीड़न से बचे और प्रताड़ित ना कि जाए, इसलिए महिलाओ की शिक्षा और आर्थिक स्वावलंबन की दिशा में ठोस कार्य करने होंगे । तभी महिलाओं का शोषण बन्द हो सकेगा और महिला सशक्तिकरण का लक्ष्य फलीभूत हो सकेगा ।

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