सनातन संस्कृति में राष्ट्रधर्म सर्वोपरी- जगतगुरू रामदयालजी

भगवान राम का अस्तिव नकारने वालों को उखाड़ फैकने का आव्हान
शाहपुरा जिला भीलवाड़ा
रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगतगुरु आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने कहा है आज देश में राम, रोटी के साथ राष्ट्रीय धर्म भी महत्वपूर्ण है। तीनों में राष्ट्रधर्म को प्राथमिकता देने के वो हिमायती है। तीनों में राष्ट्र धर्म ही सर्वोपरी है।
रामनिवास धाम में फुलडोल महोत्सव के दौरान आयोजित प्रवचन सभा में रामस्नेही संप्रदाय के पीठाधीश्वर जगतगुरु आचार्यश्री रामदयालजी महाराज ने जोर देकर कहा कि सनातन संस्कृति की मर्यादाओं के अनुसरण में हिन्दूस्तान में किसी भी प्रकार के आंतकवाद, गंगा नदी का अपमान, गौहत्या, भगवान राम के अस्तित्व को नकारने वाली कार्रवाई बर्दाश्त नहीं होगी। भगवान राम का अस्तित्व व आदर्श नकारने वालों को उखाड़ फैकंना होगा। उन्होंने कहा कि विश्व की पुरातन संस्कृति को पुनः यथोचित सम्मान दिलाने के लिए एक बार फिर जागृति लाने व इसके लिए संघर्ष करना होगा।
उन्होंने कहा कि सत्ता लोलुपता व अदूरदर्शिता भारत में राजनीति का पर्याय बन चुकी है। विदेशी षडयंत्रकारियों के यंत्र बनकर भारतीय राजनेता काम कर रहे है। गौवंश की दु्रतगति से हत्या, गंगा नदी को विलोप करने का अभियान हिन्दूओं पर चोट है।
फुलडोल महोत्सव के समापन की पूर्व संध्या पर आयोजित धर्मसभा में पीठाधीश्वर आचार्यश्री ने देश के राजनेताओं पर दल बदल राजनीति करने वालों को शह देने की बात कहते हुए कहा कि राष्ट्रीय रक्षा को नजरअंदाज करने के कारण देश में स्थितियां खराब हुई है।
खचाखच पांडाल में आयोजित धर्म सभा में आचार्यश्री ने कहा कि भारतीय संस्कृति पर हो रहे हमलों व कुठाराघात को रोकना होगा। ऐसा देश में पाश्चात्य संस्कृति के बढ़ते प्रभाव के कारण हो रहा है। उन्होनें आद्याचार्य महाप्रभु श्री रामचरणजी महाराज के आदर्शो का अनुसरण करते रहने का आव्हान करते हुए कहा कि जो व्यक्ति रामभक्ति नहीं कर सकता है, वो कभी भी राष्ट्र भक्त नहीं हो सकता है। उन्होंने जोर देकर कहा कि स्वार्थवाद की आग में आज समूचा देश भस्म होता दिख रहा है। उन्होंने संत को चलता फिरता पुस्तकालय बताते हुए संत सानिध्य प्राप्त करने का अनुरोध भी किया। उन्होंने कहा कि देश में स्वतंत्रता के बजाय स्वच्छद्वंता बढ़ गई है, जो घातक है।
प्रवचन सभा में संप्रदाय के अन्य वरिष्ठ संतों ने भी राम नाम सुमिरन पर जोर देकर महाप्रभु के आदर्शो पर चलने का आव्हान किया।

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