केंद्र-राज्य खींचतान में अटकी गैस पर राहत

राज्य के कोटे के रियायती सिलेण्डरों के मामले में राज्य और केंद्र सरकार की खींचतान प्रदेश के 64 लाख रसोई गैस उपभोक्ताओं पर भारी पड़ रही है। राज्य सरकार के फैसले के बावजूद उपभोक्ताओं को 865 रुपये में गैर रियायती सिलेण्डर लेना पड़ रहा है।

राज्य सरकार रियायती सिलेंडर के पेटे पड़ने वाले 832 करोड़ रुपये के भार से बचना चाहती है। इसके लिए वह दो बार पेट्रोलियम मंत्रालय को पत्र लिख चुकी है। इनमें एक पत्र तो स्वयं मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने लिखा, लेकिन इस पर कोई कार्रवाई नहीं हुई। अब राज्य सरकार इस काम के लिए प्रमुख शासन सचिव को भेजने की तैयारी कर रही है। उधर तेल कम्पनियों ने स्पष्ट किया है कि जब तक केंद्र सरकार से निर्देश नहीं मिलेगा, वे रियायती सिलेंडर नहीं देगी।

राज्य के खाद्य एवं नागरिक आपूर्ति मंत्री परसादी लाल मीणा का कहना है कि सिलेंडर आपूर्ति की नीति तो केंद्र को ही तय करनी है। अब प्रमुख शासन सचिव को वार्ता के लिए पेट्रोलियम मंत्रालय भेजा जाएगा। इधर पेट्रोलियम कंपनियां दो माह से नया रसोई गैस कनेक्शन गैर रियायती दे रही हैं। हर कनेक्शन पर करीब पौने पांच सौ रुपये अधिक वसूले जा रहे हैं।

सालभर में छह रियायती सिलेंडर की बाध्यता लागू होने के साथ ही पेट्रोलियम कंपनियों ने मनमानी शुरू कर दी है। पहले नए कनेक्शन जारी करने पर रोक लगा दी। लोगों के विरोध के बाद नए कनेक्शन जारी करना तो शुरू कर दिया, लेकिन केवाईसी और सॉफ्टवेटर की अड़चनें बता गैर रियायती दर से कनेक्शन जारी किए जा रहे हैं। गैस एजेंसी संचालकों और खाद्य विभाग के जानकारों की मानें तो अकेले जयपुर में ही दो माह में 3 से 4 हजार नए कनेक्शन जारी हो चुके हैं।

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