नाबार्ड की जिला स्तंरीय कार्यशाला हुई आयोजित

नाबार्ड जिले में योजनाओं को धरातल पर लागू करे-केन्द्रीय राज्यमंत्री श्री मेघवाल

बीकानेर,29 जून। भारत सरकार की कृषि विपणन आधारिक संरंचना (।डप्) योजना अक्टूंबर 2018 से मार्च 2020 तक के कार्यान्वयन के लिए 29 जून 2019 को नाबार्ड द्वारा आत्मा, बीकानेर में जिला स्तरीय कार्यशाला का आयोजन किया गया।
इस अवसर पर केन्द्रीय संसदीयकार्य,भारी उद्योग और सार्वजनिक उद्यम राज्यमंत्री अर्जुनराम मेघवाल ने नाबार्ड की स्वयं सहायता समूहों की योजना,किसान उत्पादक संगठन योजना पर प्रतिभागकियों के साथ विस्तार से चर्चा की और बताया की नाबार्ड की आरआईडीएफ योजना से जिले को नये आयाम मिल सकते है। . उन्होंने उपस्थित सभी बैंकों के वरिष्ठ प्रतिनिधियों, अग्रणी जिला प्रबंधक, राजूवास, काजरी तथा उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र से नाबार्ड के साथ मिलकर विकास कार्य करने की बात कही। उन्होंने नाबार्ड को योजनाओं को धरातल पर लागू करने के लिए सुझाव भी दिया।
इस अवसर पर मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, राजस्थारन क्षेत्रीय सुरेश चंद ने कहा कि नाबार्ड की किसान उत्पाधदक संगठन योजना, स्वयं सहायता समूहों के डिजिटाईजेशन के लिए ई-शक्ति का योगदान, आजीविका उद्यमी विकास योजना तथा गैर कृषि क्षेत्र के लिए रोजगार सृजन के लिए चलाई जा रही योजनाओं के बारे में बैंकों के प्रतिनिधियों से चर्चा की। उन्होंने गॉव के समेकित विकास में नाबार्ड की भागीदारी की अपेक्षा की, जिससे समाज के उपेक्षित वर्ग को वित्तीय सहायता उपलब्धव हो सके। साथ ही उनका विकास हो और किसानों तथा खेती से जुड़े सभी वर्गों को समय पर वित्तीय सहायता उपलब्धि कराने के नाबार्ड के लक्ष्यों को पाने के लिए किये जा रहे कार्यों की जानकारी दी।
इस अवसर पर राष्ट्रीय बैंक मुख्य महाप्रबंधक ने भी भारत सरकार की सामाजिक योजनाओं यथा प्रधानमंत्री जीवन ज्योति योजना, प्रधान मंत्री सुरक्षा बीमा योजना तथा अटल पेंशन योजना पर बैंकों द्वारा किये जाने वाले कार्यो पर अपने विचार व्यक्तं करते हुए विश्वाास दिलाया कि किसानों की आय को 2022 तक दोगुना करने का प्रयास किया जायेगा।
कार्यशाला में जिले में सभी जिला बैंक समन्वय, राज्य सरकार तथा डीएमआई, भारत सरकार तथा पशु चिकित्सा एवं पशु विज्ञान विश्ववविद्यालय के वरिष्ठ प्रतिनिधियों ने सहभागिता की तथा नाबार्ड के साथ चल रही योजनाओं पर अपने विचार व्यवक्त किये।
कार्याशाला का संचालन जिला विकास प्रबंधक रमेश ताम्बिया किया। विणन और निरीक्षण निदेशालय, भारत सरकार के डॉं. अनिल गहलोत द्वारा एम आई योजना की विस्तार से जानकारी दी । शाक्ति बालन, प्रबंधक, नाबार्ड, जयपुर ने धन्यवाद ज्ञापित किया।
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ऊँट अनुसंधान केन्द्र ने ग्रामीण अंचल में किया पशुओं का इलाज

बीकानेर,29 जून। भाकृअनुप-राष्ट्रीय उष्ट्र अनुसंधान केन्द्र (एनआरसीसी) ने शनिवार को जोड़बीड़ ग्रामीण अंचल कोटड़ी गांव में पषु स्वास्थ्य षिविर एवं कृषक-वैज्ञानिक संवाद का कार्यक्रम आयोजित किया गया। अनुसूचित जाति उपयोजना के तहत रखे गए इस षिविर में 127 महिला एवं पुरुष पशुपालक गाय, भैंस, ऊँट, भेड़ व बकरी कुल 654 पशुधन सहित पहुंचे। इन पशुओं का स्वास्थ्य जांच कर इलाज व दवा आदि का वितरण किया गया।

इस अवसर पर ग्रामीण पशुपालकों से चर्चा के दौरान केन्द्र के निदेषक डाॅ.आर.के.सावल ने पशुधन को पशुपालकों की आजीविका का मुख्य साधन बताते हुए कहा कि पशुओं के उचित प्रबंधन आदि की जानकारी से पशुधन स्वस्थ रहेगा तो पर्याप्त उत्पादन लिया जा सकेगा। उन्होंने कहा कि भारत सरकार निरंतर ऐसी योजनाओं का प्रचार-प्रसार कर रही है ताकि पशुपालक इनका लाभ उठाते हुए अपने जीवन स्तर में सुधार ला सके। उन्होंने पशुपालकों की पशुधन से जुड़ी विभिन्न समस्याओं को सुनते हुए आष्वस्त किया कि एनआरसीसी प्रदेष के अलग-अलग क्षेत्रों में स्वास्थ्य कैम्प व संवाद आदि कार्यक्रमों के माध्यम से पशुपालकों से जुड़े हुए हैं। साथ ही किसानों के लिए विषयवस्तु विषेषज्ञ पशुओं के इलाज एवं प्रबंधन आदि हेतु केन्द्र में उपलब्ध रहते हैं।
केन्द्र के प्रधान वैज्ञानिक डाॅ.सुमन्त व्यास ने पशुओं के प्रजनन आदि से जुड़ी समस्याओं पर चर्चा करते हुए वैज्ञानिक जानकारी दी। वहीं डाॅ.एफ.सी.टुटेजा, वरिष्ठ वैज्ञानिक ने पशुओं में पाए जाने वाले थनैला, पांव, खुजली आदि के लक्षणों पर अपनी बात रखी।
अनुसूचित जाति उपयोजना के नोडल अधिकारी डाॅ.काषीनाथ ने कार्यक्रम संबंधी जानकारी देते हुए कहा कि कोटड़ी एवं आस-पास क्षेत्र के पशुधन में मुख्यतः चीचड़, पेट में कीड़े होने, दस्त, खुजली, घाव, कमजोरी आदि की समस्याएँ पाई गई जिनका इलाज कर बचाव हेतु उचित समाधान भी बताया। पशुधन में उत्पादकता बढ़ाने हेतु केन्द्र निर्मित ‘करभ पशु आहार‘ व खनिज मिश्रण का भी वितरण किया गया। प्रधान वैज्ञानिक डाॅ.राकेष रंजन ने पशुओं में पाए जाने वाले विभिन्न रोगों के निदान हेतु दवा व उचित खुराक के बारे में जानकारी दी।
शिविर में लाए गए कमजोर व बीमार पशुओं का डाॅ. बी.एल.चिरानियां, डाॅ.काषीनाथ, राधाकृष्ण आदि ने इलाज किया तथा उन्हें मल्टीविटामिनयुक्त इंजेक्षन भी लगाए गए। किसानों के पंजीयन, दवा व पशु आहार आदि वितरण में मनजीत सिंह, नेमीचंद व अमित आदि ने सक्रिय योगदान दिया।
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