बालोतरा : राजस्व प्राप्त करने से संबंधित किसी भी विभाग के अधिकारी की ये जिम्मेदारी होती है कि पर्याप्त राजस्व विभाग के लिए इकट्ठा करे, परन्तु क्या इसके लिए आमजन को लूट लिए जाए ? क्या विभाग अधिकारी अपने मातहत कर्मचारी को आदेश कर जनता से अवैध वसूली करवा कर विभाग को राजस्व लाभ देगा ?
बालोतरा में विद्युत विभाग में ऐसा ही एक कारनामा सामने आया है। विद्युत विभाग बालोतरा के सहायक अभियंता पुरुषोत्तम नागर ने कर्मचारियों के वॉट्सएप ग्रुप में साफ तौर पर लिखा कि लोगों के मीटर रीडिंग बढ़ा कर ही लिखनी है जिससे उपखंड पर विभाग का राजस्व घाटा कम हो । इतना ही नहीं जब सहायक अभियंता को लगा कि यह बात गोपनीय रखनी थी जनता से छुपानी है तो उन्होंने यह भी लिख डाला कि यह संदेश आम जनता तक ना जाने पाए, परन्तु सोशल मीडिया कहां किसी के बस में है।
श्रीमान अभियंता के कहने अनुसार बहुत सारे लोगों के घरों में मीटर में आयी रीडिंग से भी ज्यादा रीडिंग का बिल लोगों को मिल गया, बढ़े हुए बिल मिलने से गरीब आमजनता भारी परेशानी में है, ऐसे परिवार जिनका बिल १५०० से अधिक कभी नहीं आता ऐसे लोगों का बिल दुगुना आए तो एक कमजोर आदमी कैसे भरे ? क्या अब कांग्रेस सरकार के राज में जनता की जेब काटकर विभाग के घाटे पूरे होंगे ?
अब ये मामला यदि भूल वश हुआ हो तो भूल सुधार करना मात्र समाधान हो सकता है परन्तु जब अधिकारी ने स्वयं जानबूझ कर जनता पर अनुचित आर्थिक भार डाला है तो यह गंभीर अपराध है। इसे पद का दुरुपयोग व पद की धोंस पर मातहत से अनुचित कार्य करवाना भी कहा जाए तो अतिश्योक्ति तो नहीं है।
प्रश्न यह उठता है कि क्या पुरुषोत्तम नागर की यह तानशाही आखिर क्यों ? ओर क्या इस मामले में इनके उच्चाधिकारी भी शामिल हैं ? क्या पुरषोत्तम नागर पर भी ऐसा करने का उच्चाधिकारियों का दबाव हो सकता है ? जीरो टॉलरेंस पॉलिसी की बात करने वाली गहलोत सरकार में क्या ऐसी पॉलिसी चलेगी ?
कारण चाहे जो भी हो विभाग के इस अधिकारी की तानशाही का परिणाम आम गरीब कमजोर जनता को भुगतना पड़ रहा है जो की सर्वदा अनुचित है। देखने की बात यह है कि अब विभाग के अधिकारी और सरकार इसमें कोई सख्त कदम लेंगे या अपने कर्मचारी को बचाने के लिए मात्र स्थानांतरण या चार्जशीट जैसी छोटी मोटी कार्यवाही कर इती श्री कर ली जाएगी । ओर जिन लोगों के बिल अकारण आए हैं उनके लिए विभाग क्या रियायत दे सकेगा ?