एनएसवी लाभार्थी पुरुषों को जीवन साथी से मिला सम्मान

-✍️ मोहन थानवी
मैं गांव में जिस जोड़े को चयनित कर लेती हूं, उन्हें सीमित परिवार रखने के लिए नसबंदी करवाने की हां भरने तक चैन की सांस नहीं लेती…, जैसे ही यह वाक्य महिला स्वास्थ्यकर्मी ने पूरा किया वैसे ही संयुक्त निदेशक डॉ देवेन्द्र चौधरी सहित मौजूद अधिकारियों ने तालियों से सहकर्मी की हौसला अफजाई की। और ऐसा तमाम मेल और फीमेल स्वास्थ्यकर्मी के उद्बोधन के बाद होता रहा। बीकानेर में ऐसे आयोजन का साक्षी बनने का अवसर पहली मर्तबा तमाम लोगों को मिला। यह अवसर था
पुरुष नसबंदी के लाभ बताने, इससे जुड़े भ्रम तोड़ने और सेवा लाभार्थियों के अनुभव जानने स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग बीकानेर ने अनूठी पहल करते हुए दूसरा एनएसवी सम्मलेन आयोजन का। पुरुष नसबंदी पखवाड़े के मोबिलाइजेशन सप्ताह के अंतिम दिन बुधवार को स्वास्थ्य भवन सभागार में आयोजित कार्यक्रम में एनएसवी करवा चुके 14 पुरुषों को सपत्नीक आमंत्रित कर सम्मानित किया गया। एनएसवी करवाकर परिवार कल्याण की जिम्मेदारी स्वयं पर लेने वाले व्यक्तियों को उनकी पत्नियों ने वरमाला पहनाकर अभिनन्दन किया। कार्यक्रम में सभी दम्पतियों ने अपने-अपने अनुभव बताए। “पुरुष नसबंदी पखवाड़े” की थीम “पुरुषों की है अब बारी, परिवार नियोजन की जिम्मेदारी” रखी गई है।
संयुक्त निदेशक डॉ देवेन्द्र चैधरी ने बताया कि महिला नसबंदी एक पूर्ण शल्य क्रिया है जिसमे समय भी लगता है और उसके बाद आराम व एहतियात की आवश्यकता होती है जबकि एनएसवी के बाद लाभार्थी सीधा काम पर जा सकता है और किसी प्रकार की कमजोरी नहीं होती। ऐसे में एनएसवी में ही समझदारी है।
सीएमएचओ डॉ. बी.एल. मीणा ने कहा कि परिवार में बाकी जिम्मेदारियों को बखूबी निभाने वाले पुरुषों को परिवार कल्याण की जिम्मेदारी भी अपने पर लेनी चाहिए। उन्होंने सभी से एनएसवी के ब्रांड अम्बेस्सेडर बन कर समाज में इसके लिए सकारात्मक माहौल बनाने में सहयोग करने की अपील की। डॉ. मीणा ने बताया कि जिले में एनएसवी के प्रति रुझान बढ़ रहा जहां 2017-18 में कुल 76 एनएसवी हुए वहीं 2018-19 में 132 और चालू वर्ष में अब तक 90 केस हो चुके हैं जबकि 4 माह अभी शेष हैं।
डिप्टी सीएमएचओ (प.क.) डॉ. योगेन्द्र तनेजा ने एनएसवी यानिकी नॉ स्केलेपल वेसेक्टोमी की सम्पूर्ण विधि संक्षेप में बताते हुए स्पष्ट किया की ये बिना चीरा, बिना टांका, बिना दर्द की और 5 मिनट में पूर्ण होने वाली आसान सी प्रक्रिया है जो हर लिहाज से सुरक्षित और उत्कृष्ट विधि है जिसे अपनाने वाले बहुत संतुष्ट हैं। सरकार द्वारा प्रोत्साहनस्वरुप 2000 रूपए भी दिए जाते हैं।

ये हुए सम्मानित
पुरुष नसबंदी कार्यक्रम में वर्ष भर श्रेष्ठ योगदान के लिए डॉ एस.के. बिहानी, डॉ दुर्गा टाक, मेलनर्स अनिल मोदी, मदन पालीवाल, एएनएम अनीता कुमारी, निर्मला कुमारी, एनजीओ परिवार सेवा क्लिनिक से सुपर्णा मेहता, एफआरएचएस से प्रफुल्ल जोशी, वाहन चालक बाबूराम व आई.ई.सी. समन्वयक मालकोश आचार्य को शील्ड व प्रशस्ति पत्र देकर सम्मानित किया गया।

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