प्रदेश में उच्च शिक्षा का बिगडा ढ़र्रा, सुधारने के लिए बनाए नियामक आयोग

प्रो. वासुदेव देवनानी
जयपुर, 19 फरवरी।
विधानसभा में बुधवार को पूर्व शिक्षा मंत्री एवं अजमेर उत्तर विधायक वासुदेव देवनानी ने प्रदेश में निजी विश्वविद्यालय की कार्यशैली पर प्रखरता से विचार रखे। देवनानी ने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा का ढ़र्रा बिगडा पडा है जिसमें सुधार करने के लिए मध्यप्रदेश एवं छतीशगढ की तर्ज पर उच्च शिक्षा नियामक आयोग बनाना होगा।
पूर्व शिक्षा मंत्री देवनानी ने कहा कि सीनियर सैकेण्डरी उत्तीर्ण करने के बाद विद्यार्थियों को गुणवत्तायुक्त शिक्षा उपलब्ध हो, उन्हें वैधानिक डिग्री मिले, नामांकन में वृद्धि हो एसे उद्धेश्यों को लेकर निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना की गई थी तथा इन्हीं उद्धेश्यों को लेकर राजकीय विश्वविद्यालय भी खोले गए। प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या तो काफी बढी लेकिन सरकार से पर्याप्त अनुदान नहीं मिल पाने से नये खुले राजकीय विश्वविद्यालय उतने प्रभावी साबित नहीं हो रहे है।
उन्होंने कहा कि भाजपा सरकार के कार्यकाल में निजी विश्वविद्यालयों की स्थापना का विधेयक इसलिए लाया गया था कि प्रदेश के विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा हेतु प्रवेश के अधिक अवसर मिल सके, कम फीस में बेहतर शिक्षा मिले, योग्य विद्यार्थी पढकर आगे बढें, पीएचडी का स्तर बना रहे। हालांकि प्रदेश में निजी विश्वविद्यालयों की संख्या काफी बढी है लेकिन उनसे उच्च शिक्षा के क्षेत्र में जो सकारात्मक परिणाम आने चाहिए थे वो नहीं आ पाए ै। समुचित पर्यवेक्षण के अभाव में आज भी निजी विश्वविद्यालयों द्वारा मनमाने ढंग से प्रवेश दिये जा रहे हैं। कोर्स कौनसा और कितनी अवधि का हो इसका कोई ठोर ठिकाना नहीं है। फर्जी डिग्रियां बांटने तक की शिकायतें आ रही है। नियम व मापदण्डों के विरूद्ध प्राध्यापकों की नियुक्तियां की जा रही है जो कि यूजीसी के नियमों के विपरित है।
देवनानी ने कहा कि सरकार को निजी विश्वविद्यालयों की कार्यशैली पर विचार करने की आवश्यकता है। सरकार को यह सुनिश्चित करना होगा कि प्रदेश का गरीब विद्यार्थी को सस्ती उच्च शिक्षा मिल सके साथ ही पारदर्शी प्रक्रिया द्वारा योग्य प्राध्यपकों को नियुक्ति मिल सके। उन्होंने कहा कि प्रदेश में उच्च शिक्षा के एसे बिगड़े हालातों में विद्यार्थियों के साथ धोखा हो रहा है व विद्यार्थी अपने आप को ठगा सा महसूस कर रहा है। उन्होंने कहा कि प्रदेश के किसी विद्यार्थी के साथ कोई धोखा ना हो तथा वह ठगा सा महसूस नहीं करें इसके लिए हम सबको राजनीति से उपर उठकर प्रयास करना ही होगा। प्रदेश में उच्च शिक्षा के बिगडे ढ़र्रे को पटरी पर लाने के लिए समय रहते मध्यप्रदेश एवं छतीशगढ की तर्ज पर उच्च शिक्षा नियामक आयोग बनाना ही चाहिए।

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