नवरात्रि में मंदिरो में सन्नाटा ,जैसलमेर चौथे दिन भी घरों में

जैसलमेर लॉकडाउन के चौथे दिन नवरात्री स्थापना के बावजूद जैसलमेरवासियों
ने संयम दिखाया और पुलिस ने भी समझाइश कर लोगों को बाहर निकलने से रोका।
साथ ही यह संदेश दिया कि बिना वजह घर से बाहर निकले तो समाज व अपने
परिजनों के दुश्मन कहलाओगे। क्योंकि बाहर आने पर कोरोना का खतरा बना
रहेगा और ऐसी स्थिति में जिसके भी संपर्क आए उसे भी मुसीबत में पहुंचा
दोगे। पुलिस की यह थीम कामयाब रही, कई युवक सुबह बाइक लेकर बाहर निकले और
वापस घरों में लौट आएं। इतना ही नहीं पुलिस ने आवश्यक कार्य के लिए बाहर
निकलने वालों के लिए भी बैरिकेडिंग पर संदेश लिखा जिसमें बेशर्मों मुंह
तो ढक लो लिखा हुआ था। पुलिस का कहना था कि यदि घर से बाहर निकल रहे हो
तो मास्क आदि पहनकर निकलें।

लॉकडाउन के चौथे दिन बाजार में सन्नाटा पसरा रहा। शहर के बाजार सूने नजर
आए। किराणा, सब्जी, डेयरी व मेडिकल की दुकानें खुली थी। कई किराणे की
दुकानें भी बंद रही। लोग नवरात्रि के चलते आवश्यक खरीदारी के लिए बाहर
आए। फतेहगढ कोरोना वायरस के संक्रमण से बचाव के लिए राजस्थान सरकार
द्वारा जारी किए गए लॉकडाउन के तहत फतेहगढ़ में सन्नाटा पसरा रहा।

शहर के प्रवेश मार्गों पर नाकेबंदी, बाजार में मंदी

बुधवार को पुलिस ज्यादा सख्त नजर आई। प्रदेश में निजी वाहनों पर रोक
के बाद मंगलवार को पुलिस ने बाजार में बिना वजह घूमने वाले वाहनों को
रुकवाया और उनके खिलाफ कार्रवाई भी की। सुबह से शहर के प्रमुख प्रवेश
स्थलों पर नाकेबंदी कर दी गई। बाड़मेर व रेलवे स्टेशन से आने वाले मार्ग
पर पुलिस सख्त रही और किसी को भी शहर में प्रवेश नहीं करने दिया। इसी तरह
विजय स्तंभ तिराहा, हनुमान चौराहा, गोपा चौक भी पुलिस की छावनी में
तब्दील रहा और वाहन चालकों को रोका गया। कोरोना के चलते लॉकडाउन में सभी
दुकानें बंद है। ऐसे में बाजार में मंदी का दौर देखने को मिल रहा है।
व्यापारियों के अनुसार इस मंदी से बाजार खुलने के बाद एक माह तक उबरना
मुश्किल होगा। हालांकि सेहत जरूरी है, इसलिए मंदी की ज्यादा चिंता नहीं
है।

नवरात्रि को भी मंदिर सूने रहे

जैसलमेर में चैत्र नवरात्रि के प्रति जबरदस्त आस्था रहती हे ,पहली बार
जैसलमेर कुलदेवी माँ स्वांगिया ,सरहद का विख्यात तनोट माता मंदिर ,सहित
नो देवियों देवियों के मंदिरों में सन्नाटा पसरा रहा ,मंदिरों सिर्फ
पुजारी मौजूद रहे जिन्होंने प्रतिपदा घट स्थापना शुभ मुहूर्त में किये
,आमजन मंदिरों से दूर रहे। जबकि आम दिनों में नवरात्रि में हज़ारो लोग
दर्शनार्थ आते हैं

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कोरोना लॉक डाउन का असर

सरहदी सैन्य शक्ति और भक्ती आस्था केंद्र तनोट माता मंदिर में सन्नाटा
,पुजारी के आलावा कोई नहीं

जैसलमेर सदियों में पहली बार सैन्य भक्ति और शक्ति आस्था केंद्र तनोट
माता मंदिर में कोरोना संक्रमण के चलते लॉक डाउन के कारन सन्नाटा पसरा
हैं ,जबकि आम नवरात्रि में हज़ारो की तादाद में श्रद्धालु दर्शार्थ
स्थानीय और बहरी प्रांतो से आते हैं ,खासकर सैनिक परिवारों की इस मंदिर
के प्रति प्रगाढ़ आस्था हैं ,इस बार करोनाबन्दी के चलते मंदिर व्यवस्थापक
ने मंदिर 31 मार्च तक आमजन के लिए बंद रखने की घोषणा की थी ,तब से मंदिर
में सिर्फ पुजारी द्वारा ही पूजा अर्चना करवाई जा रही हैं ,

तनोट राय माता मंदिर का इतिहास

जैसलमेर से करीब 130 किमी दूर स्थि‍त माता तनोट राय (आवड़ माता) का मंदिर
है। तनोट माता को देवी हिंगलाज माता का एक रूप माना जाता है। हिंगलाज
माता शक्तिपीठ वर्तमान में पाकिस्तान के बलूचिस्तान प्रांत के लासवेला
जिले में स्थित है।

भाटी राजपूत नरेश तणुराव ने तनोट को अपनी राजधानी बनाया था। उन्होंने
विक्रम संवत 828 में माता तनोट राय का मंदिर बनाकर मूर्ति को स्थापित
किया था। भाटी राजवंशी और जैसलमेर के आसपास के इलाके के लोग पीढ़ी दर
पीढ़ी तनोट माता की अगाध श्रद्धा के साथ उपासना करते रहे। कालांतर में
भाटी राजपूतों ने अपनी राजधानी तनोट से हटाकर जैसलमेर ले गए परंतु मंदिर
तनोट में ही रहा।तनोट माता का य‍ह मंदिर यहाँ के स्थानीय निवासियों का एक
पूज्यनीय स्थान हमेशा से रहा परंतु 1965 को भारत-पाक युद्ध के दौरान जो
चमत्कार देवी ने दिखाए उसके बाद तो भारतीय सैनिकों और सीमा सुरक्षा बल के
जवानों की श्रद्धा का विशेष केन्द्र बन गई। सितम्बर 1965 में भारत और
पाकिस्तान के बीच युद्ध शुरू हुआ। तनोट पर आक्रमण से पहले श‍त्रु (पाक)
पूर्व में किशनगढ़ से 74 किमी दूर बुइली तक पश्चिम में साधेवाला से
शाहगढ़ और उत्तर में अछरी टीबा से 6 किमी दूर तक कब्जा कर चुका था। तनोट
तीन दिशाओं से घिरा हुआ था। यदि श‍‍त्रु तनोट पर कब्जा कर लेता तो वह
रामगढ़ से लेकर शाहगढ़ तक के इलाके पर अपना दावा कर सकता था। अत: तनोट पर
अधिकार जमाना दोनों सेनाओं के लिए महत्वपूर्ण बन गया था।

17 से 19 नवंबर 1965 को श‍त्रु ने तीन अलग-अलग दिशाओं से तनोट पर भारी
आक्रमण किया। दुश्मन के तोपखाने जबर्दस्त आग उगलते रहे। तनोट की रक्षा के
लिए मेजर जय सिंह की कमांड में 13 ग्रेनेडियर की एक कंपनी और सीमा
सुरक्षा बल की दो कंपनियाँ दुश्मन की पूरी ब्रिगेड का सामना कर रही थी।
शत्रु ने जैसलमेर से तनोट जाने वाले मार्ग को घंटाली देवी के मंदिर के
समीप एंटी पर्सनल और एंटी टैंक माइन्स लगाकर सप्लाई चैन को काट दिया था।

दुश्मन ने तनोट माता के मंदिर के आसपास के क्षेत्र में करीब 3 हजार गोले
बरसाएँ पंरतु अधिकांश गोले अपना लक्ष्य चूक गए। अकेले मंदिर को निशाना
बनाकर करीब 450 गोले दागे गए परंतु चमत्कारी रूप से एक भी गोला अपने
निशाने पर नहीं लगा और मंदिर परिसर में गिरे गोलों में से एक भी नहीं फटा
और मंदिर को खरोंच तक नहीं आई।

सैनिकों ने यह मानकर कि माता अपने साथ है, कम संख्या में होने के बावजूद
पूरे आत्मविश्वास के साथ दुश्मन के हमलों का करारा जवाब दिया और उसके
सैकड़ों सैनिकों को मार गिराया। दुश्मन सेना भागने को मजबूर हो गई। कहते
हैं सैनिकों को माता ने स्वप्न में आकर कहा था कि जब तक तुम मेरे मंदिर
के परिसर में हो मैं तुम्हारी रक्षा करूँगी।

सैनिकों की तनोट की इस शानदार विजय को देश के तमाम अखबारों ने अपनी हेडलाइन बनाया।

एक बार फिर 4 दिसम्बर 1971 की रात को पंजाब रेजीमेंट की एक कंपनी और
सीसुब की एक कंपनी ने माँ के आशीर्वाद से लोंगेवाला में विश्व की महानतम
लड़ाइयों में से एक में पाकिस्तान की पूरी टैंक रेजीमेंट को धूल चटा दी
थी। लोंगेवाला को पाकिस्तान टैंकों का कब्रिस्तान बना दिया था।

1965 के युद्ध के बाद सीमा सुरक्षा बल ने यहाँ अपनी चौकी स्थापित कर इस
मंदिर की पूजा-अर्चना व व्यवस्था का कार्यभार संभाला तथा वर्तमान में
मंदिर का प्रबंधन और संचालन सीसुब की एक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है।
मंदिर में एक छोटा संग्रहालय भी है जहाँ पाकिस्तान सेना द्वारा मंदिर
परिसर में गिराए गए वे बम रखे हैं जो नहीं फटे थे।

लोंगेवाला विजय के बाद माता तनोट राय के परिसर में एक विजय स्तंभ का
निर्माण किया, जहाँ हर वर्ष 16 दिसम्बर को महान सैनिकों की याद में उत्सव
मनाया जाता है।

हर वर्ष आश्विन और चै‍त्र नवरात्र में यहाँ विशाल मेले का आयोजन किया
जाता है। अपनी दिनोंदिन बढ़ती प्रसिद्धि के कारण तनोट एक पर्यटन स्थल के
रूप में भी प्रसिद्ध होता जा रहा है।

इतिहास: मंदिर के वर्तमान पुजारी सीसुब में हेड काँस्टेबल कमलेश्वर
मिश्रा ने मंदिर के इतिहास के बारे में बताया कि बहुत पहले मामडि़या नाम
के एक चारण थे। उनकी कोई संतान नहीं थी। संतान प्राप्त करने की लालसा में
उन्होंने हिंगलाज शक्तिपीठ की सात बार पैदल यात्रा की। एक बार माता ने
स्वप्न में आकर उनकी इच्छा पूछी तो चारण ने कहा कि आप मेरे यहाँ जन्म
लें।

माता कि कृपा से चारण के यहाँ 7 पुत्रियों और एक पुत्र ने जन्म लिया।
उन्हीं सात पुत्रियों में से एक आवड़ ने विक्रम संवत 808 में चारण के
यहाँ जन्म लिया और अपने चमत्कार दिखाना शुरू किया। सातों पुत्रियाँ देवीय
चमत्कारों से युक्त थी। उन्होंने हूणों के आक्रमण से माड़ प्रदेश की
रक्षा की। माड़ प्रदेश में आवड़ माता की कृपा से भाटी राजपूतों का सुदृढ़
राज्य स्थापित हो गया। राजा तणुराव भाटी ने इस स्थान को अपनी राजधानी
बनाया और आवड़ माता को स्वर्ण सिंहासन भेंट किया। विक्रम संवत 828 ईस्वी
में आवड़ माता ने अपने भौतिक शरीर के रहते हुए यहाँ अपनी स्थापना
की।विक्रम संवत 999 में सातों बहनों ने तणुराव के पौत्र सिद्ध देवराज,
भक्तों, ब्राह्मणों, चारणों, राजपूतों और माड़ प्रदेश के अन्य लोगों को
बुलाकर कहा कि आप सभी लोग सुख शांति से आनंदपूर्वक अपना जीवन बिता रहे
हैं अत: हमारे अवतार लेने का उद्देश्य पूर्ण हुआ। इतना कहकर सभी बहनों ने
पश्चिम में हिंगलाज माता की ओर देखते हुए अदृश्य हो गईं। पहले माता की
पूजा साकल दीपी ब्राह्मण किया करते थे। 1965 से माता की पूजा सीसुब
द्वारा नियुक्त पुजारी करता है।

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_जैसलमेर हरिद्वार जत्थे में आये 33 पाकिस्तानी रामगढ़ प्रतिबंधित क्षेत्र
में रह रहे अवैध

ख़ुफ़िया और सुरक्षा एजेंसियां बेखबर

जैसलमेर नो मार्च को पाकिस्तान से जत्थे दर्शन करने हरिद्वार आये ३३
पाकिस्तानी नागरिक अवैध रूप से जैसलमेर के में रह , पुलिस और सुरक्षा
,ख़ुफ़िया एजेंसियों जानकारी नहीं ,इसका खुलासा देश में कोरोना वायरस के
खतरे को देखते हुए चिकित्सा विभाग की घर घर जा कर स्वास्थ्य जांच कर रही
सर्वे टीम ने की ।

तेजपाला गांव के नहरी क्षेत्र में जब चिकित्साकर्मी काश्तकारों की
स्वास्थ्य जांच करने पहुंचे तो पता चला कि वे सब पकिस्तान के रहने वाले
है। सूचना पर रामगढ़ सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के चिकित्सा प्रभारी मौके
पर पहुंचे और उनके साथ पुलिसकर्मी भी गए। उन सब के दस्तावेजों की जांच की
गई तो हैरान करने वाली बात सामने आई। वहां पर कुल 33 पाकिस्तानी असली
पहचान छिपा कर रह रहे थे जिनमें से 11 तो पिछले चार सालों से रह रहे है
और 22 लोग 9 मार्च को गुपचुप तरीके से वहां पहुंचे। इन पाकिस्तानियों ने
मुरब्बा मालिकों से अपनी पहचान छिपाई है कि वे पाकिस्तानी है। पुलिसकर्मी
उन सभी से वहां से जाने का कहकर चिकित्सा टीम के साथ लौट गया। अब वे वहां
से वापस गए या वहीं निवास कर रहे है यह जानकारी पुलिस को भी नहीं है।

पहचान छिपाकर कर रहे हैं काश्तकारी का काम

अमरीयाराम, सनारी, गुरिया, साना, जामनी, पुनोम, रोशनी, सोरजन, मूमल, चामा
व भैरावाली पिछले चार सालों से तेजपाला के नहरी क्षेत्र में मुरब्बों में
बिना किसी को पहचान बताए काश्तकारी कर रहे है। हाल ही इनके रिश्तेदार
हरिद्वार का वीजा लेकर आए थे। जिन्हें ये गुपचुप तरीके से अपने पास ले आए
और किसी को भी नहीं बताया कि ये सभी पाकिस्तानी है। होली के दिन 9 मार्च
को जो 22 लोग आए थे। वे भी अब इन्हीं के साथ रह रहे है। होली के दिन
दानाराम, अर्जनराम, दादारी, कासमराम, प्रकाश, बालीम, हासीमराम, साजनराम,
बिंदीया, भगुराम, पठाणी, नोतनराम, चंदा माई, देवाराम, जमनी, दिव्या,
अजमल, कृष्णराम, दाकियाराम व थाराराम अब भी वहीं निवास कर रहे है। सभी
लोग अटारी बॉर्डर से आए थे और इनके पास सिर्फ हरिद्वार तक का ही वीजा है।
ये सभी अपनी पहचान छिपाकर प्रतिबंधित क्षेत्र में रह रहे है और सुरक्षा
एजेंसियां बेखबर है या इसे गंभीरता से नहीं ले रहे है।

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जिला प्रशासन की संवेदना ने आहत परिवारों को कराया राहत का अहसास

गरीबों की भूख मिटाने घर-आँगन तक पहुंचे भोजन सामग्री के पैकेट

जैसलमेर, 25 मार्च/कोराना वायरस संक्रमण से निपटने जारी लॉक डाउन की वजह
से रोजमर्रा की दिहाड़ी मजदूरी करके अपने परिवार को जैसे-तैसे पाल रहे
रोजी-रोटी के संकट से ग्रस्त गरीब परिवारों के लिए भोजन की दिक्कत को दूर
करने जैसलमेर जिला प्रशासन ने इन परिवारों को त्वरित राहत पहुंचाकर
मानवीय संवेदनाओं का परिचय दिया है।

जैसलमेर जिले के विभिन्न ग्रामीण अंचलों में रह रहे चार गरीब परिवारों पर
लॉक डाउन की वजह से आए खान-पान के संकट की जानकारी मिलते ही जिला कलक्टर
ने तत्काल सरकारी नुमाइन्दों को भेजकर इनके घर-आँगन में भोजन सामग्री की
सहायता पहुंचाई। अचानक अपने द्वार पर भोज्य सामग्री के पैकेट्स की पहुंच
को देख गरीब परिवारों के लोग अभिभूत हो उठे और खासा सुकून महसूस किया।

विवरण इस प्रकार है कि जिला कलक्टर के पास आज किसी व्हाट्सअप ग्रुप पर यह
जानकारी सामने आयी कि जिले में चार ऎसे गरीब परिवार ऎसे सामने आए हैं
जिनके लिए लॉक डाउन ने जीवन निर्वाह का संकट पैदा कर दिया है। जानकारी
में आया कि भणियाणा क्षेत्र अन्तर्गत झलोड़ा भाटियान की विधवा लूणी देवी
दिहाड़ी मजदूरी करके जैसे-तैसे अपने पांच बच्चों का भरण-पोषण करती रही है।

इसी प्रकार भीखोड़ाई का गरीब रूपाराम चाय की थड़ी लगाकर अपनी नेत्रहीन
पत्नी और बच्चों को पाल रहा है। विधवा संतु पत्नी सलीम खां मजदूरी से
अपने 4 बच्चों का पालन करती रही है। इसी तरह विपन्नता के अभिशाप में जी
रहा पूंजा राम भील के लिए अपने 6 बच्चों को जैसे-तैसे बड़ा कर रहा है।
कोरोना वायरस संक्रमण की वजह से सभी जगह लॉक डाउन की वजह से इनकी
रोजी-रोटी पर संकट आन पड़ा है और खाने-पीने के लाले पड़ गए हैं।

जिला कलक्टर नमित मेहता ने बताया कि यह जानकारी सामने आने पर सरकारी
मशीनरी से इन चारों ही गरीब परिवारों की वस्तुस्थिति की त्वरित जांच कराई
गई और सप्ताह भर के लिए समुचित भोजन सामग्री के पैकेट इनके घर पहुंचवाए
गए। इन्हें आश्वस्त किया कि आगे भी हरसंभव मदद की जाएगी और किसी को भी
भूखा नहीं सोने दिया जाएगा। जिला कलक्टर ने बताया कि जिला प्रशासन और
सरकार लॉक डाउन की स्थिति में सभी जरूरतमन्दों, गरीबों, निराश्रितों और
वंचितों के लिए भोजन व्यवस्था मुहैया कराने के लिए पूरी तैयारियों के साथ
जुटे हुए हैं।

अपने घर-आँगन तक खाने-पीने की सामग्री के पैकेट्स पाकर इन गरीब परिवारों
ने राहत महसूस की और जिला प्रशासन तथा सरकार को लाख-लाख धन्यवाद दिया।

chandan singh bhati
7597450029

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