*हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर में वार्षिकोत्सव संपन्न*

*बाबा गंगाराम साहब जी की मनाई वरसी*
भीलवाड़ा। हरी शेवा उदासीन आश्रम सनातन मंदिर भीलवाड़ा में गुरुओं के चार दिवसीय वार्षिक उत्सव में गुरुवार 25 जून को श्री श्रीचंद्र सिद्धांत सागर ग्रंथ एवं श्री रामायण ग्रंथ का अखंड पाठ पूर्ण होने पर भोग पड़ा। दरबार साहब धुणा साहब आसण साहब समाधि साहब श्री हरि सिद्धेश्वर मंदिर में पूजन अर्चन कर अपने सतगुरूओ का स्मरण किया गया।श्री श्रीचंद्र भगवान, बाबा आत्माराम, बाबा मनीराम, बाबा कृपाराम, बाबा हरिराम, बाबा शेवाराम, बाबा गंगाराम की स्तुति की गई। श्री श्रीचंद्र मात्रा साहब वाणी का वाचन होकर रोट प्रसाद का भोग लगाया गया। ठाकुर जी को भोग पश्चात आश्रम प्रांगण में उपस्थित पुजारी पंडितो संतो ट्रस्टियो ने भंडारा ग्रहण किया। महामंडलेश्वर स्वामी हंसराम उदासीन संत मयाराम संत राजाराम संत गोविंदराम ने अपने सतगुरुओ का गुणगान किया।उन्होंने भजन *मन भी तेरा तन भी तेरा तू ठाकुर स्वामी मेरा* प्रस्तुत करते हुए कहा कि संतो की बरसी सदैव उल्लास के साथ मनाई जाती है वे भक्तों के मन में सदैव आशीष के रूप में विराजमान रहते हैं। समर्पण का निश्चल भाव रखने से सुख आनंद की अनुभूति प्राप्त होती है। महंत हनुमान राम ने भजन *वडे में वडो मा गुनहगार आंहिया़ं* एवं *खुशी तो दिनी जिंदगी में सदाईं* महंत स्वरूपदास ने *हर शय मिले हिथे दर्शन नसीब सां* महंत स्वामी मोहनदास चंदन ने *अंखियों के झरोखे में जो मूं डिठो बाबा श्रीचंद्र नजर आया* संत किशनदास ने *बाबा शेवाराम पहिनजी गोद में विहारिनदे* प्रस्तुत किया। कोरोना महामारी के चलते सोशल डिस्टेंसिंग मास्क सैनिटाइजर का उपयोग किया गया। वर्तमान परिस्थितियों में आमजन एवं श्रद्धालुगण भीड़ नहीं करें, इसके लिए सोशल मीडिया से दर्शन प्रवचन सत्संग की व्यवस्था की गई। इस बार बैंड बाजा आम भंडारा लंगर मेला स्वरूप नहीं होकर वर्षी उत्सव लघु रूप में मनाया गया जिसमें देश विदेश के श्रद्धालुओं ने अपने-अपने घरों से ही सेवा सुमिरन किया। संतों महापुरुषों ने अपने-अपने स्थान आश्रम मंदिर से ही आशीर्वचन एवं मंगलकामनाएं प्रेषित की। चार दिवसीय वार्षिक उत्सव श्रद्धा उत्साह एवं उमंग के साथ संपन्न हुआ। सायंकाल में नितनेम प्रवचन सत्संग पश्चात पल्लव कार्यक्रम हुआ। श्रद्धालुओं के सुख एवं समृद्धि की मंगलकामना सहित कोरोना महामारी से मुक्ति एवं विश्व कल्याण के लिए पल्लव प्रार्थना करते हुए उत्सव को विश्राम दिया गया।

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