भीलवाड़ा। जिसे कोरोना से बचने के लिए “दूसरा टीका” लगाना था वो लगा ही नहीं और उसके मोबाइल पर संदेश भी आ गया कि आपको “सैकंड डोज़” लग चुका है। ओर हद तो यह कि उसका “सर्टिफिकेट” भी जारी कर दिया गया। अब जिसे दूसरी डोज़ लगी ही नहीं और उसके पास यह सरकारी मैसेज आया तो “चौंकना” ओर “चौंकन्ना” होना वाजिब भी है। जब हकीकत पता करने पहुँचे तो जिम्मेदारों के जवाब “बेतुके” से थे। नहीं हुआ तो हो जाएगा। अरे तो दूसरे डोज़ का सर्टिफिकेट कैसे जारी कर दिया? इस सवाल का जवाब कोई देने को तैयार नहीं। कोरोना महामारी से बचने के लिए सरकारी प्रयासों का “मखौल” उड़ाने टीकाकरण मैनेजमेंट का मखौल उड़ाने का मामला विनीत गोलेछा का है। उन्हें एसएमएस मिलता है कि आपने को -वेक्सीन का दूसरा टीका 21 जून को पाँच बजकर सौलह मिनट पर सफलता पूर्वक लगा लिया है। खास बात तो यह कि *”मैसेज”* के साथ ही *सर्टिफिकेट* भी जारी कर दिया जाता है। जब कि विनित गोलेछा को दूसरी डोज़ अभी लगी ही नहीं। महामारी के इस भयावह समय में भी कोई इस तरह का “खेल” खेल रहा है और मेडिकल डिपार्टमेंट के साथ प्रशासन इससे अंजान है तो इससे बड़ा “मजाक” महामारी के समय नहीं हो सकता। विषय “विशेष जांच” के साथ पूरे “टीकाकरण व्यवस्था” पर *सवाल* उठाते दिख रहा है। लेकिन मोनेटरिंग किसकी है और जवाबदेही किसकी? इस पर अभी नहीं सोचा तो हो सकता है यह खेल *कोरोना जांच* में भी चल रहा हो। जैसे टीका लगा ही नहीं , सर्टिफिकेट जारी। वैसे ही *महा गड़बड़झाला* वहां भी तो नहीं चल रहा। *मधुमक्खी* के इस *छते* में डंक भी है तो शहद भी। डंक कौन पसंद करेगा? शहद आने दो। डंक जाने दो।
इस सम्बंध में विनित गोलेछा ने बताया कि वो 56 साल के हैं पहला को- वैक्सीन का डोज उन्होंने तीन अप्रैल को चपरासी काँलोनी स्थित डिसपेंसरी में लगवाया। 22अप्रैल को उन्हें बुखार व जुकाम हो गया तो उन्हें लगा कि यह कोरोना के लक्षण हैं उन्होंने चपरासी काँलोनी डिसपेंसरी के चिकित्सक से बात कर दवा ली और ठीक हो गए लेकिन कोरोना पोजिटिव व्यक्ति के तीन माह बाद वैक्सीन लगता हैं इस लिए वो वैक्सीन लगवाने नहीं गए। लेकिन 21जून की शाम पांच बजकर छब्बीस मिनट पर उनके मोबाइल नम्बर *94143 02380* पर मैसेज आया कि आपको वैक्सीन का दूसरा डोज लग गया हैं। इसके बाद विभाग ने सार्टिफिकेट भी जारी कर दिया कि आपको अग्रवाल भवन सेंटर पर * पूजा कुमारी* नाम की नर्स ने वैक्सीन लगा दी हैं। यह मैसेज देखकर गोलेछा चौंक गए। वो 22 जून को अग्रवाल उत्सव भवन गए और वहां मौजूद लोगों को बताया कि उन्हें दूसरा डोज लगा ही नहीं और मैसेज आ गया तो वहां मौजूद लोगों ने बताया कि यहां यानी अग्रवाल भवन में तो तीन दिन से वैक्सीन लगाई ही नहीं जा रही हैं।और यहां केवल 18 से 44 साल के लोगों को ही वैक्सीन लग रही हैं। मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की ओर नियमित रुप से वैक्सीन लगाने वाले सेंटर की जारी की जाने वाली सूची में *अग्रवाल भवन* का नाम ही नहीं हैं। इसके बाद गोलेछा को राजीव गांधी ओडिटोरियम में जाकर पता करने को कहा तो गोलेछा तपती धूप में वहां गए वहां से उन्हें आरसीएचओ संजीव शर्मा से मिलने को कहा। गोलेछा आरसीएचओ दफ्तर गए वहां बैठे एक चिकित्सक से मिले तो उन्हे संजीव शर्मा से मिलने को कहा ।इतने में आरसीएचओ शर्मा आ गए उन्हें गोलेछा ने पूरी कहानी बताई तो शर्मा ने कहा कि नहीं लगी तो अभी लगवा देते हैं। ऐसा हो जाता हैं, तो गोलेछा ने कहा मैं सुबह आठ बजे से बारह बजे तक घूम रहा हूँ कोई सही जानकारी नहीं दे रहा हैं। इसके बाद गोलेछा लौट आए। जब गोलेछा के साथ ऐसा हुआ हैं तो और लोगों के साथ भी ऐसा हो रहा होगा।
*गलतियों का हाल देखिए*
(1)चिकित्सा विभाग की ओर से जारी वैक्सीन सेंटर की 21 जून की सूची में अग्रवाल उत्सव भवन का नाम ही नहीं हैं।
(2) यहां 18 से 44 साल के लोगों के ही वैक्सीन लगाई जाती हैं फिर 55 साल के विनित गोलेछा के वैक्सीन लगाने का सार्टिफिकेट कैसे जारी हो गया।
इस सम्बंध में आरसीएचओ संजीव शर्मा ने बताया कि इस काम के लिए अध्यापकों की ड्यूटी लगा रखी हैं। अगर एक शब्द भी गलत फीड हो जाए तो गलती हो जाती हैं। विभाग अभी वैक्सीन के काम जुटा हुआ हैं। यह तकनीकी खामी हैं। जिस सज्जन के साथ ऐसा हुआ उन्हें कहा कि आपके वैक्सीन लग जाएगी और सार्टिफिकेट में दे देंगे। यह गलती “पूरे टीकाकरण” अभियान पर प्रश्न चिन्ह लगा रही हैं? इन गलतियों से लगता हैं कि *पूरे कुएं में भांग घुली हुई हैं।*
*- सुशील चौहान -*
– *98293 03218*
– *स्वतंत्र पत्रकार*
– *पूर्व उप सम्पादक, राजस्थान पत्रिका*
– *वरिष्ठ उपाध्यक्ष, प्रेस क्लब,भीलवाड़ा*
– *sushilchouhan953@gmail.com*