जैन पत्रकार महासंघ की राष्ट्रीय वेबीनार संपन्न

महिलायें दोनों कुलों को प्रकाषमान करती हैं-
आर्यिका विशिष्ट श्री माताजी

जयपुर। परम पूज्य गणाचार्य श्री विरागसागर जी महाराज के आषीर्वाद से एवं आर्यिका श्री विषिष्टश्री माताजी के सानिध्य में अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर, राष्ट्रीय बेवीनार ‘‘महिलाओं के अधिकार व कर्तव्य‘‘ विषय पर 8 मार्च, 2021 को दोपहर 1.30 बजे से आयोजित की गई । यह वेबीनार ब्र. अनिता दीदी (संघस्थ सराकोद्धारक आचार्य श्री ज्ञानसागर जी महाराज) के मार्गदर्षन एवं प्रेरणा से भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला महासभा की राष्ट्रीय अध्यक्ष श्रीमती सरिता एम.के.जैन-चैन्नई की अध्यक्षता में और मध्यप्रदेष महिला वित्त एवं विकास निगम की पूर्व चेयरमैन श्रीमती सुधा जैन-सागर, श्रीमती विमला जैन, न्यायमूर्ति-भोपाल के मुख्य आतिथ्य में सफलतापूर्वक संपन्न हुई।
जैन पत्रकार महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन, जयपुर ने अवगत कराया कि उक्त वेबीनार में दीप प्रज्ज्वलन व चित्र अनावरण भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महासभा की विदर्भ शाखा नागपुर, महाराष्ट्र की अध्यक्ष श्रीमती ज्योति पाटनी ने किया। कार्यक्रम में मंगलाचरण ब्र. रूबी दीदी संघस्थ आर्यिका श्री विषिष्टश्री माताजी ने किया। सभी अतिथि, वक्तागण, विद्वान, पदाधिकारी, श्रेष्ठीगण, जो देष के प्रत्येक प्रान्त से जूम एप पर उपस्थित थे, सभी का जैन पत्रकार महासंघ की ओर से राष्ट्रीय अध्यक्ष रमेष जैन तिजारिया ने अभिनन्दन किया। उन्होंने अपने स्वागत भाषण में कहा कि महिलायें देष के हर क्षेत्र में आगे बढ़ रही हैं और जैन पत्रकार महासंघ का भी यह प्रयास है कि महिलाओं को आगे बढ़ाया जाये। आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर जैन पत्रकार महासंघ के आयोजक के रूप में पुरूष वर्ग है और महिलाओं के लिये यह विषेष वेबीनार का आयोजन करना, उनके लिये सम्मान देने की बात को ही दर्षाता है। जैन पत्रकार महासंघ इस अवसर पर यह आव्हान करता है कि अधिक से अधिक महिला पत्रकार, लेखक और विद्वान इस महासंघ से जुड़ें।
ब्र. अनिता दीदी ने अपने उद्बोधन में कहा कि घर को स्वर्ग बनाने के लिये एक स्त्री ही काफी है। आज आवष्यकता है उत्तम माता-पिता बनने की। उन्होंने आगे कहा कि महिलाओं का कर्तव्य है कि बचपन से ही बच्चों को उंगली पकड़कर मंदिर ले जायें ताकि वे संस्कारित हो सकें। माता-पिता ऐसा कोई कार्य न करें जिससे बच्चों पर उसका प्रतिकूल प्रभाव पड़े।
परम पूज्य आर्यिका श्री विषिष्टश्री माताजी ने अपने आषीर्वचन में महिलाओं को संबोधित करते हुए कहा कि महिला वह शक्ति है, जिन्हें भगवान आदिनाथ ने स्थान दिया। उन्होंने प्रथम आहार चंदनबाला से प्राप्त किया। ब्राह्मी-सुंदरी को षिक्षा प्रदान की और प्रथम गणिनी ब्राह्मी और सुंदरी को ही बनाया। माता-पिता की जिम्मेदारी है कि वे अपने बच्चों को अच्छे संस्कार दें। ये तभी संभव है, जब आप स्वयं संस्कारवान होंगे। उन्होंने कहा कि महिलायें दोनों कुलों को प्रकाषमान करती हैं। वे धैर्य की प्रतिमूर्ति हैं।
परम पूज्य आचार्य श्री कुन्थुसागर जी महाराज जी से दीक्षित और वैज्ञानिक आचार्य श्री कनकनंदी जी से षिक्षित षिष्य ने अपने आषीर्वचन में कहा कि इस सकारात्मक वेबीनार का आयोजन बहुत ही अच्छा प्रयास है।

संपादक ज्योति जैन, खतौली ने अपने वक्तव्य में बताया कि नारी षिक्षा से अधिकारों में सजगता दिखाई देने लगी है। नारी सभी क्षेत्रों में अहम् भूमिका का निर्वहन कर रही हैं। सारस्वत अतिथि डॉ. मुन्नी पुष्पा जैन, वाराणसी ने कहा कि जैन संस्कृति में महिलाओं का स्थान बहुत ऊंचा है। जैन पत्रकार महासंघ की मंत्री डॉ. मनीषा जैन ने कहा कि महिलायें अपने घरों में बच्चों का ध्यान रखें। वे जरूरत पढ़ने पर ही इंटरनेट चलायें। साथ ही बच्चों को महिलाओं का सम्मान करने के संस्कार दें ताकि बड़े होकर वे नारी का सम्मान करें।
अनुपमा जैन, सनावद ने कहा कि देष और समाज के प्रत्येक क्षेत्र में महिलाओं की अहम् भूमिका रहती है। अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन महिला परिषद् की राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. विमला जैन, जबलपुर ने कहा कि महिलायें अपने अधिकार और कर्तव्यों के प्रति सजग रहें। डॉ. नीलम जैन, पुणे ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि हम सब मिलकर समाज और देष को चमकायें। इसके अलावा, महिलाओं के अधिकार और कर्तव्यों में भी संतुलन होना चाहिये। हम बेटियों को षिक्षा देने के साथ-साथ उन्हें धर्म के संस्कार भी दें।
कार्यक्रम की मुख्य अतिथि श्रीमती सुधा जैन, सागर ने कहा कि आज महिलायें उन्नति के षिखर पर पहुंच रही हैं। ऐसे निर्णय लेने चाहिये कि महिला वर्ग और उन्नति करें। मुख्य अतिथि जस्टिस विमला जैन ने अपने उद्बोधन में कहा कि अपने सभी संबंधों के मध्य संतुलन बनायें। अपना सम्मान स्वयं करें। हम अपने भाईयों और बेटों को महिलाओं का सम्मान करना सिखायें। महिलायें ‘‘मेरी भावना‘‘ को प्रत्येक दिन पढ़ें और उसके अनुसार आचरण करें, उसमें सब कुछ समाहित है।
राष्ट्र गौरव डॉ. इन्दु जैन, दिल्ली ने कहा ‘‘खुद सीढ़ी बन-सबको आगे बढ़ाना। नारी का जीवन तभी सुंदर होगा, जब वह सम्यक् दर्षन, सम्यक् ज्ञान और सम्यक् चारित्र को अपने जीवन में उतारें। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि महिलाओं को स्वतंत्रता आवष्यक है, स्वछंदता नहीं। हम कभी यह न सोचें कि हम किसी कार्य को नहीं कर सकते । हमें बच्चों को स्वाध्याय करना सिखाना चाहिये। हमें अपनी प्राकृत भाषा व संस्कृति पर गर्व करना चाहिये और उसे सीखना चाहिये। अखिल भारतवर्षीय दिगम्बर जैन युवा परिषद्, निमाड़ क्षेत्र की अध्यक्ष अंजना जैन, एडवोकेट ने महिलाओं को उनके कानूनी अधिकारों की विस्तार से जानकारी दी।
कार्यक्रम की अध्यक्ष श्रीमती सरिता एम.के.जैन ने अपने अध्यक्षीय उद्बोधन में कहा कि सबसे पहले नारी को अपना महत्व समझना होगा, तभी वह आगे बढ़ेगी। नारी अबला नहीं है, प्रकृति ने महिला को सर्वश्रेष्ठ कृति के रूप में बनाया है। महिलायें अपनी क्षमता को पहचानें। हम बेहतरी के साथ काम करें, हम बेहतर बनें। इस अवसर पर उन्होंने घोषणा करते हुए कहा कि सभी महिलायें तकनीकी रूप से षिक्षित हों, यह अभियान चलाया जायेगा। यह षिक्षा निषुल्क प्रदान की जायेगी।
इस अवसर पर महासंघ के राष्ट्रीय कोषाध्यक्ष दिलीप जैन, राष्ट्रीय प्रचार मंत्री महेन्द्र बैराठी, पुलक जन चेतना मंच की राष्ट्रीय महामंत्री श्रीमती बीना टोंग्या, जयपुर, रजत सेठी-झारखंड, स्वाति जैन-हैदराबाद, प्रो.टीकम चंद जैन-दिल्ली, अर्चना सोनी-जबलपुर आदि सहित अनेक लोग सम्मिलित हुए।
कार्यक्रम का समन्वय महासंघ के राष्ट्रीय महामंत्री उदयभान जैन एवं राष्ट्रीय संगठन मंत्री जर्नलिस्ट मनीष जैन विद्यार्थी, शाहगढ़ ने किया। संपूर्ण कार्यक्रम का संचालन अभिव्यक्ति पत्रिका की संपादक डॉ. ममता जैन, पुणे ने बहुत ही सुंदर तरीके से किया। जैन पत्रकार महासंघ की राष्ट्रीय मंत्री डॉ. प्रगति जैन ने सभी का आभार व्यक्त किया।

(उदयभान जैन)
राष्ट्रीय महामंत्री

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