‘असुरक्षित गर्भपात राजस्थान में प्रजनन-स्वास्थ्य से जुड़ी महत्वपूर्ण चुनौती’: विशेषज्ञों की चिंता

दिव्या संथानम ने कहा कि बाल विवाह के मामले बढ़ने से राज्य में अनचाहे गर्भधारण और असुरक्षित गर्भपात बढ़ने की आशंका।

Divya Santhanam
जयपुर, नवंबर, 2021- राजस्थान में, 20 से 24 वर्ष आयु की 35% महिलाएं 18 साल की उम्र से पहले ही शादी के बंधन में बंध जाती हैं, जो राष्ट्रीय औसत 26% की तुलना में काफी अधिक है। कम उम्र में शादी और अनचाहे गर्भधारण के बीच सीधा संबंध हैं। जब हम आवश्यक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी और सुरक्षित गर्भपात सेवाओं की सीमित उपलब्धता को देखते हैं तो यह स्थिति और खराब नजर आती है।
राजस्थान में हर वर्ष 15 से 19 वर्ष आयु वर्ग की प्रत्येक 1,000 लड़कियों में से लगभग 15 लड़कियों को गर्भपात हो जाता है। इनमें से सिर्फ 40 प्रतिशत गर्भपात ही प्रशिक्षित स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं की सहायता से सम्पन्न होते हैं, यानि इस आयु वर्ग में बाकी 60 प्रतिशत गर्भपात ‘असुरक्षित’ और बिना किसी प्रशिक्षित सहायता के किए जाते हैं।
डब्ल्यूएचओ के अनुसार, गर्भपात तब ही सुरक्षित माना जा सकता है जब वह गर्भावस्था की अवधि के लिए उपयुक्त बताए गए तरीके से किया गया हो। इसके अतिरिक्त, गर्भपात कराने वाले व्यक्ति के पास आवश्यक विशेषज्ञता होनी चाहिए। परन्तु विकासशील देशों में इन् मानकों एवं दिशानिर्देशों का क्रियान्वन भी एक बड़ी चुनौती है। 2010 से 2014 के आंकड़ों के मुताबिक, दुनिया भर में लगभग 45% गर्भपात असुरक्षित थे और इनमें से लगभग सभी विकासशील देशों में किए गए।
पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया की सीनियर स्टेट प्रोग्राम मैनेजर दिव्या संथानम कहती हैं कि “राजस्थान में विवाहित किशोर – किशोरियों में आधुनिक गर्भ निरोधकों का उपयोग सिर्फ 11 प्रतिशत है, जबकि 25 से 29 और 30 से 39 वर्ष आयु वर्ग के बीच इनके उपयोग का प्रतिशत क्रमशः 47 और 68 है। राज्य में किशोरों के लिए गर्भनिरोधक तक इस इस सीमित पहुँच का नतीजा अनचाहा गर्भधारण और अवांछनीय गर्भपात के रूप में सामने आता है। कोरोना महामारी के दौरान, महामारी से सम्बंधित स्वास्थ्य सेवाओं एवं व्यवस्थाओं को वरीयता दी गयी। इसका प्रतिकूल असर प्रजनन स्वास्थ्य से जुडी सेवाओं पर भी पड़ा। ऐसे में अनचाहे गर्भधारण में बढ़ोतरी का अनुमान लगाया जा रहा है। ऐसे में सिर्फ कल्पना ही की जा सकती है कि इस दौरान ऐसे वातावरण में गर्भपात कैसे किए गए होंगे, लॉकडाउन के दौरान जबकि गर्भपात सुविधाएं न्यूनतम चिकित्सा मानकों के अनुरूप भी नहीं थीं।”
असुरक्षित गर्भपात के तुरंत बुरे प्रभाव हो सकते हैं, साथ ही इससे दीर्घकालीन स्वास्थ्य संबंधित गंभीर खतरे भी पैदा हो सकते हैं। इन खतरों में मातृ मृत्यु शामिल है ही, साथ ही लंबे समय में दिखाई देने वाली समस्याएं भी हैं जो महिलाओं या लड़कियों के स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो सकती है। राजस्थान के सुदूर ग्रामीण इलाकों में, जहां प्रजनन संबंधी जानकारी और स्वास्थ्य संबंधित बुनियादी सुविधाएं अभी भी कमज़ोर हैं और किशोरियों की शादी उनके मानसिक और शारारिक तौर पर परिपक्व होने से पहले कर दी जाती हैं, अनचाहे गर्भधारण और असुरक्षित गर्भपात की संभावनाएं कहीं अधिक हैं।
किशोरों के सर्वांगीण विकास और बेहतर समाज एवं आर्थिक उन्नति के लिए गर्भ निरोधकों और संपूर्ण गर्भपात देखभाल (सीएसी) सेवाओं की उपलब्धता अति महत्वपूर्ण है। पॉपुलेशन फाउंडेशन ऑफ इंडिया के अध्ययन ‘राजस्थान में किशोरों के यौन और प्रजनन स्वास्थ्य में निवेश पर रिटर्न’ के मुताबिक, “किशोरों के लिए गर्भ निरोधकों और संपूर्ण गर्भपात देखभाल (सीएसी) सुविधाओं में निवेश पर रिटर्न या लाभ-लागत अनुपात (बीसीआर) 2.97 है। सामान्य शब्दों में इसका अर्थ ये है कि गर्भ निरोधकों और गर्भपात देखभाल सुविधाएं उपलब्ध कराने में किए गए प्रत्येक 100 रूपये के निवेश पर, स्वास्थ्य देखभाल की लागत में बचत के रूप में 300 रुपये का रिटर्न मिलना संभव है।”
यह आकलन किशोर स्वास्थ्य और उन्हें सूचना एवं आवश्यक स्वास्थ्य सेवाएँ उपलब्ध कराने वाली बुनियादी जरूरतों में पर्याप्त निवेश के महत्व को रेखांकित करता है। किशोरों की प्रजनन स्वास्थ्य संबंधी जरूरतों को पूरा करने की दिशा में कम उम्र में गर्भधारण या टीनएज प्रेग्नेंसी को कम करना सबसे बड़ी चुनौती है। यदि हम अपने किशोरों, महिलाओं और लड़कियों की स्वास्थ्य सम्बंधित आवश्यकताओं को पूरा नहीं कर पाते हैं, तो इस बड़ी जनसंख्या के जरिए आर्थिक उत्पादन, विकास और सामाजिक विकास में वृद्धि एक दूर की कौड़ी ही बना रहेगा।

error: Content is protected !!