ब्रेन स्ट्रोक में समय से इलाज महत्वपूर्ण : डॉ तरुण माथुर

गोल्डन ऑवर में पेशेंट को पहुंचाएं हास्पिटल, ठंड के मौसम में बरतें विशेष सतर्कता
– एक मिनट की देरी से मस्तिष्क के 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स हो जाते हैं नष्ट
– ठंड में ज्यादातर मामले इस्कीमिक स्ट्रोक के होते हैं

उदयपुर। क्या आप जानते हैं कि NCBI की एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत में लगभग 1.8 मिलियन लोग ठंड में हर साल ब्रेन स्ट्रोक के शिकार होते हैं। ऐसे हालात में केवल प्रारंभिक इलाज ही रोगी को बचाया जा सकता है। विश्व पटल पर ये आंकड़ा सालाना 15 मिलियन हैं। इनमें से 50 लाख लोग अपनी जान गंवा बैठते हैं और अन्य 50 लाख स्थायी रूप से विकलांग हो जाते हैं।

पारस जेके हास्पिटल उदयपुर के डॉ तरुण माथुर, वरिष्ठ विशेषज्ञ – न्यूरोलॉजी और इंटरवेंशनल न्यूरोलॉजी ने बताया कि ब्रेन स्ट्रोक में ‘समय ही महत्वपूर्ण हैं’, हर मिनट मायने रखता है। एक मिनट की देरी से मस्तिष्क के 1.9 मिलियन न्यूरॉन्स नष्ट हो जाते हैं। जितना जल्दी इलाज शुरू होगा मस्तिष्क की कोशिकाओं को उतनी ही कम नुकसान होगा। ब्रेन स्ट्रोक होने पर पहला घंटा ही गोल्डन आवर माना जाता है। इसलिए मरीज को जितनी जल्दी हो सके अस्पताल पहुंचाना चाहिए।

डाक्टर तरूण बताते हैं कि ठंड में स्ट्रोक के ज्यादातर मामले इस्कीमिक स्ट्रोक के होते हैं। इस्कीमिक स्ट्रोक मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी को रक्तापूर्ति देने वाली किसी रक्त वाहिका में किसी अवरोध (थक्के या एम्बोलाइ) के कारण होते हैं। वैसे तो स्ट्रोक का खतरा किसी को भी हो सकता है और किसी भी उम्र के लोगों को प्रभावित कर सकता है। लेकिन ज्यादा खतरा डायबिटीज पेशेंट , हाई ब्लड प्रेशर के मरीज, हाई क्लोस्ट्रोल की समस्या वाले मरीज, तनाव और डिप्रेशन के मरीजों में मुख्यत देखा जाता है।

ठंड के मौसम में रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं, जिससे स्ट्रोक का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, ठंड में रक्त गाढ़ा और चिपचिपा हो जाता है, जिससे थक्का जल्दी बनने लगता है। तापमान में 10 डिग्री से अधिक की भिन्नता से स्ट्रोक के मामलों में वृद्धि देखी जा रही है।

उन्होंने बताया कि गर्मी की तुलना में सर्दी में लोगों का ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जा रहा है। इसकी वजह से लोग स्ट्रोक के शिकार हो रहे हैं। दिसंबर और जनवरी माह में ऐसे मामले 20 से 25 पर्सेंट तक बढ़ जाते हैं। उन बुजुर्गों की परेशानी ज्यादा बढ़ जाती है, जो पहले से इसके मरीज हैं। जब बॉडी को गर्मी की जरूरत होती है, तो हार्ट को ज्यादा काम करना पड़ता है।

स्ट्रोक के लक्षण

बोलने और समझने में परेशानी होना, आप भ्रम का अनुभव कर सकते हैं, आपके बोलने की गति धीमी हो सकती है या समझने में कठिनाई महसूस कर सकते हैं।

पक्षाघात या लकवा; या चेहरे,बांह या पैर में सुन्नता और विशेष रूप से आपके शरीर का एक तरफी अंग अचानक सुन्न हो जाए, कमजोरी महसूस कर सकते हैं। एक ही समय में अपने सिर पर अपने दोनों हाथों को उठाने की कोशिश करें यदि एक हाथ गिरता है तो यह स्ट्रोक हो सकता है व मुस्कराने में यदि एक तरफ आपके होठ न उठें या झूल जाएँ तो यह स्ट्रोक की निशानी हो सकती है।

एक या दोनों आँखों में देखने में परेशानी हो या धुंधला दिखे या सबकुछ दो-दो नज़र आए और अँधेरा छा जाए तो यह स्ट्रोक की निशानी हो सकती है।

अचानक गंभीर सिरदर्द होना, जो उल्टी, चक्कर या बदलती चेतना के रूप में बढ़ जाए।

चलने में परेशानी होना, अचानक चक्कर आना, संतुलन व समन्वय की हानि का अनुभव कर सकते हैं।

सावधानी से बचाव संभव

-ब्रेन स्ट्रोक से बचने के लिए ब्लॅड प्रेशर, शुगर व कोलेस्ट्रॉल की नियमित जांच कराएं।

-मौसमी फल और हरी सब्जियां भरपूर मात्रा में खाए। शरीर में पानी की मात्रा कम न होने दें।

-स्वस्थ आहार लें और जंक फूड, रेड मीट और नमकीन आहार से बचें।

-कोई भी समस्या होने पर तुरंत डाक्टर की सलाह लें।

-सर्दी में मॉर्निंग वॉक पर जल्दी न निकलें, धूप निकलने के बाद ही ऊनी कपड़े पहनकर घर से निकलें।

-शरीर का उचित वजन बनाए रखें और बीएमआई 25 से कम होना चाहिए।

– 120/80 mmHg की सामान्य सीमा के भीतर रक्तचाप बनाए रखें।

-मधुमेह को नियंत्रित करें और धूम्रपान ना करें।

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