नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में 80 साल के बुजुर्ग की हुई एंडोवैस्कुलर एओर्टिक रिपेयर

– मरीज की महाधमनी में था जानलेवा एन्युरिज्म, EVAR तकनीक से किया गया ऑपरेशन
– मरीज की बाएं किडनी में भी था ट्यूमर, जांच में कैंसर के भी मिले थे लक्षण

जयपुर। शहर के नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एक 80 वर्षीय मरीज की एंडोवैस्कुलर एआर्टिक रिपेयर – EVAR तकनीक के जरिए ऑपरेशन कर जीवन बचाया गया। हुआ यूं कि मरीज के हार्ट से निकलने वाली मुख्य धमनी एओर्टा (जो पूरे शरीर में रक्त सप्लाई करती है) में एक एन्युरिज्म बन गया था यानि खून की गुब्बारेनुमा गाँठ जो कि एक जानलेवा स्थिति थी- एन्युरिज्म के फटने से मरीज की तुरंत मृत्यु हो जाती। एन्युरिज्म के अलावा मरीज की दांई किडनी में भी कैंसर के संकेत मिले थे। ऐसे में मरीज की जान बचाने के लिए नारायणा हॉस्पिटल की कार्डियक साइंसेज टीम ने EVAR तकनीक (छोटे चीरे) से इलाज करने का जोखिम लिया, जो सफल रहा। ऐसे मामलों में अकसर ओपन सर्जरी की जाती है जिसमें पेट में एक बड़ा चीरा लगाया जाता है और एन्युरिज्म रिपेयर किया जाता है जिसमें काफी रिस्क रहता है। नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हास्पिटल, जयपुर के कार्डियक साइंसेज विभाग के कार्डियोलाजिस्ट डॉ. निखिल चौधरी, सीनियर कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. हेमंत मदान, कार्डियक सर्जरी के डायरेक्टर डॉ. सी.पी. श्रीवास्तव एवं सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. अमित कोटिया की टीम द्वारा किया गया यह ऑपरेशन राजस्थान में अपनी तरह के जटिल केसों में से एक है, जिसमें इतनी ज्यादा उम्र में किसी व्यक्ति की सफलतापूर्वक एओर्टिक रिपेयर EVAR तकनीक के माध्यम से किया गया है।
हुआ यूं कि एक 80 वर्षीय बुजुर्ग के पेट के निचले हिस्से में काफी दर्द था। गंभीर हालत में उन्हें नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हॉस्पिटल में एडमिट कराया गया। सोनोग्राफी में पता चला कि हार्ट से निकलने वाली मुख्य धमनी एओर्टा में एन्युरिज्म बनने के कारण उसकी चौड़ाई 2 सेंटीमीटर से बढ़कर 7 सेंटीमीटर हो गई थी। मरीज को ‘एबडार्मन एओर्टिक एन्युरिज्म’ (AAA) यानि महाधमनी में खून की गुब्बारेनुमा गाँठ के साथ दाएं पैर को ब्लड सप्लाई करने वाली नलिकाओं में भी काफी सूजन थी। इसके अलावा सिटी स्कैन में मरीज के दाएं किडनी में कैंसर के भी संकेत मिले। मरीज का तुरंत ऑपरेशन करना अनिवार्य था वरना उसकी कभी भी मृत्यु हो सकती थी।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हास्पिटल, जयपुर के कार्डियोलॉजिट डॉ. निखिल चौधरी ने बताया कि एओर्टा की ओपन सर्जरी में काफी रिस्क रहता है। सर्जरी के दौरान आंते चिपकने का एवं ब्लीडिंग का भी काफी खतरा रहता है। डॉक्टरों की टीम ने काफी सलाह मशविरा कर एंडोवैस्कुलर एओर्टिक रिपेयर के जरिए ऑपरेशन किया। इस दौरान छोटे चीरे से दोनों पैरों की आर्टरीज खोली गई। दो स्टैंट ग्राफ्ट की मदद से पेट एवं दोनों पैरों की धमनियों में खून की सप्लाई को नॉर्मल किया गया। इस दौरान जरा सी भी चूक मरीज के लिए जानलेवा साबित हो सकती थी। ऑपरेशन के दो दिन बाद पेशेंट को डिस्चार्ज कर दिया गया। दो सप्ताह बाद सीनियर यूरोलॉजिस्ट डॉ. अमित कोटिया की टीम ने किडनी के ट्यूमर का भी सफलतापूर्वक आपरेशन कर दिया।
नारायणा मल्टीस्पेशियलिटी हास्पिटल, जयपुर के फैसिलिटी डायरेक्टर बलविंदर सिंह वालिया ने बताया कि चिकित्सा क्षेत्र में 80 साल की उम्र के बाद ऐसा ऑपरेशन जोखिमपूर्ण माना जाता है। हमें खुशी है कि हम इस जोखिम भरे ऑपरेशन को आधुनिक EVAR तकनीक द्वारा सफलतापूर्वक कर पायें जिससे मरीज को एक नया जीवनदान मिला। इस केस में ऐनस्थीसिया एवं क्रिटिकल केयर टीम का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा जिन्होने प्रोसिजर के दौरान अपना पूर्ण सहयोग दिया।

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