रोजगार के कानूनी अधिकार ने बदली गांवों की तस्वीर

-समीर शर्मा-
जयपुर। सरकार की महत्वाकांक्षी महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना ने प्रदेश के गांवों और गांववासियों की अर्थव्यवस्था में उल्लेखनीय सुधार कर दिया है। सरकार ने कानून बनाकर ग्रामीणों को रोजगार का अधिकार दिया है, जिसकी चर्चा पूरे विश्व में हो रही है। इस योजना को देश में ही नहीं विदेश तक में क्रांतिकारी कदम कहा जा रहा है। महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम के तहत प्रत्येक ग्रामीण परिवार को एक साल में सौ दिन का मांग आधारित काम आवंटित किया जाता है। इस कानून में काम मांगकर रोजगार प्राप्त करना ग्रामीणों का कानूनी अधिकार है। राजस्थान में 2 फरवरी, 2006 से प्रथम चरण में छह जिलों (बांसवाड़ा, डूंगरपुर, करौली, सिरोही, झालावाड़ व उदयपुर) में यह कार्यक्रम प्रारम्भ किया था। इसके बाद दूसरे चरण में छह और जिले, जिसमें बाड़मेर, चित्तौडग़ढ़, जैसलमेर, टोंक, जालोर एवं सवाई माधोपुर जुड़ गए। तीसरे चरण में 1 अप्रेल 2008 में यह कार्यक्रम पूरे राज्य में लागू हो गया।
आय वृद्घि, विकास व महिला सशक्तीकरण
इस योजना के तहत सरकार की मंशा थी कि ग्रामीण परिवारों की आय वृद्घि हो और महिला सशक्तीकरण को और बढ़ावा मिले। इसमें ग्रामीण परिवारों की आजीविका बढ़ी जिससे ग्रामीण क्षेत्रों की अर्थव्यवस्था और मजबूत हो गयी। यही नहीं, सालों से चली आ रही ग्रामीणों के पलायन की समस्या से भी काफी हद तक निजात मिली है। ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार मिलने से उनका शहरों की ओर रुख काफी कम भी हुआ है। सरकार के इस कार्यक्रम से निजी क्षेत्रों में भी ग्रामीणों को सम्मानजनक पारिश्रमिक भी मिलने लगा है। इस योजना के जरिए ग्रामीण इलाकों में स्थाई परिसम्पत्तियों के निर्माण किए जा रहे हैं। गांवों के जंगलों, जल व पर्यावरण की रक्षा भी हो रही है। महिलाएं भी रोजगार प्राप्त कर रही हैं, जिससे उनका सशक्तीकरण भी हो रहा है। इस योजना ने सामाजिक समरसता और समानता लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। जल संरक्षण व संचय के लिए छोटे बांध, चेक डेम, भूमिगत नहरें, मिट्टी के बांध, झरनों आदि का निर्माण किया गया तथा विकास भी किया गया। सिंचाई नहरों से सूक्ष्म व लघु सिंचाई हो रही है। पारम्परिक जल निकायों का नवीनीकरण, तालाबों का शुद्घिकरण, भूमि विकास, जलरुद्घ क्षेत्रों से जल निकास, बाढ़ नियंत्रण, नालियों को गहरा करना, मरम्मत कार्य ही नहीं गांवों में पुलिया व सड़कें भी तैयार की गयी है। ब्लाक स्तर पर ज्ञान संसाधन केन्द्र और ग्राम पंचायत स्तर पर ग्राम पंचायत भवन तथा भारत निर्माण राजीव गांधी सेवा केन्द्र का निर्माण कार्य समाप्त हो चुका है। एनएडीपी कम्पोस्टिंग, वर्म कम्पोस्टिंग, लिक्वड बायो मैन्योर जैसे कृषि संबंधी कार्य व मत्स्य पालन भी किए जा रहे हैं। सोक पिट्स, रीचार्ज पिट्स जैसे ग्रामीण पेयजल संबंधी कार्यों को भी सफलता मिली है। स्वच्छता सम्बंधी कार्यों में व्यक्तिगत घरेलू पखाने, विद्यालय शौचालय इकाइयां, आंगनबाड़ी शौचालय, ठोस और तरल अपशिष्ट प्रबंधन जैसे कार्य भी तेजी से हो रहे हैं। ऐसे ही दर्जनों कार्य अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों के क्षेत्रों, गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करने वाले लोगों के लिए किए जा रहे हैं।
फन्डिंग पैटर्न व राज्य की ओर से उठाए कदम
इस योजना में फंडिंग एक प्रभावशाली व्यवस्था के तहत हो रही है। केन्द्र सरकार अकुशल मजदूरों को सौ प्रतिशत तथा सामग्री मद, जिसमें कुशल व अकुशल मजदूरों की मजदूरी शामिल है, में 75 प्रतिशत भुगतान करती है। केन्द्र द्वारा निर्धारित सीमा तक प्रशासनिक एवं प्रबंधन व्यय का भुगतान भी किया जाता है। राज्य सरकार की ओर से सामग्री मद में 25 प्रतिशत की व्यवस्था की जाती है। 15 दिन में रोजगार नहीं दिए जाने पर बेरोजगारी भत्ता राज्य सरकार की ओर से दिया जाता है। एसजीसी पर किया गया व्यय दोनों सरकारें मिलकर वहन करती हैं। राज्य सरकार ने योजना के क्रियान्वयन के लिए कई प्रभावशाली कदम उठाए हैं। इसमें कई तरह के मैन्युअल शामिल हैं। तकमीना तैयार करने, कार्यों को मापने, प्रशासनिक, वित्तीय व तकनीकी स्वीकृति जारी करने, कार्यों का सेल्फ तैयार करने, श्रम बजट आदि के लिए तकनीकी मैन्युअल को सितम्बर 2010 को जारी किया गया था। इसके अलावा पिछले दो सालों में लेखा मैन्युअल, सरल मेट मार्गदर्शिका, मेट निर्देशिका, श्रमिकों के अधिकार एवं सुनिश्चित भत्ता संबंधित परिपत्रों का संकलन, ग्राम सेवक एवं ग्राम रोजगार सहायक के दायित्व, महात्मा गांधी नरेगा योजना के तहत एनजीओ की भूमिका संबंधी मैन्युअल एवं महात्मा गांधी नरेगा सामाजिक अंकेक्षण मार्गदर्शिका आदि जिलों में भिजवा दी गयी हैं। नए चुने हुए सरपंचों को योजना की पूरी जानकारी के लिए सरपंच पुस्तिका भी उपलब्ध करवा दी गयी है। प्रत्येक पंचायत समिति एवं ग्राम पंचायत के निरीक्षण के लिए नवीन दिशा निर्देश भी जारी कर दिए गए हैं। राज्य सरकार ने की परेशानियों को दूर करने के लिए मस्टररोल वितरण की नई व्यवस्था भी लागू कर दी है। इसके तहत भुगतान में देरी की समस्या दूर हुई है। पारदर्शिता के लिए वाल पेंटिंग निर्माण की समयबद्घ क्रियान्विति सुनिश्चित की गयी है। इसके लिए मुख्य सचिव ने सभी जिला कलक्टरों को दिशा निर्देश जारी कर पाबंद कर दिया है। राज्य सरकार ने सीसी इंटरलाकिंग टाइल्स के कार्यों की अनुमति केन्द्र से ली है।
तकनीक से तेजी व व्यवस्था पर नजर
सरकार ने इस योजना को व्यवस्थित, पारदर्शिता तथा तेजी से चलाने के लिए तकनीकी का भरपूर सहारा लिया है। सरकार ने मस्टररोल ट्रैकिंग सिस्टम की सहायता से भुगतान की प्रक्रिया को सुचारु व समयबद्घ किया है। इसके तहत मस्टररोल मूवमेंट एवं मानिटरिंग रजिस्टर बनाया गया है। इस प्रणाली को मस्टररोल का एक हिस्सा बना दिया गया है। इसमें एक-एक गतिविधि को बारीकी से मुद्रित किया जाता है। पोस्ट आफिस एवं मिनी बैंक के माध्यम से होने वाले भुगतान में विलम्ब को रोकने के लिए पोस्ट आफिस उच्चाधिकारियों के साथ बैठक कर प्रक्रिया निर्धारित की गई है। जिसके तहत पोस्ट आफिस को रिवाल्विंग फण्ड के रूप में राशि अग्रिम रूप से दिए जाने की शुरूआत की। इससे समय से भुगतान की व्यवस्था हो गयी है। ग्राम पंचायत स्तर पर योजनान्तर्गत राशि की उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए प्रत्येक ग्राम पंचायत स्तर पर रिवाल्विंग फण्ड स्थापित किया गया है। इसके तहत 1500 जाब कार्ड तक होने की स्थिति में 8 लाख तथा 1500 से अधिक जाब कार्ड होने की स्थिति में 10 लाख का रिवाल्विंग फण्ड बनाया गया है। साथ ही, नियोजित श्रमिकों को उनके द्वारा किए गए कार्यों का उचित व सही माप के साथ भुगतान करने के लिए समूहवार नाप एवं भुगतान किए जाने की व्यवस्था की गयी है। योजना के जमीनी स्तर पर क्रियान्वयन के लिए राज्य स्तर पर गैर सरकारी संगठनों व सामाजिक कार्यकर्ताओं के साथ संवाद आयोजित किए जाते हैं। इधर, कम श्रमिक दर आने पर विभिन्न स्तरों पर जिम्मेदारी तय की गई है। इसके तहत औसत मजदूरी 70 प्रतिशत से कम आने पर तुरंत कार्यक्रम अधिकारी को जानकारी दी जाती है और 10 से कम आने पर जिला कार्यक्रम समन्वयक स्वयं जांच करता है। अद्र्घकुशल व कुशल मजदूरों को तुरंत भुगतान के लिए बियरर्स चैक से भुगतान किया जाता है। दैनिक मजदूरी की जानकारी मेट द्वारा दी जाती है। मेटों को प्रशिक्षण दिया जाता है, जो श्रमिकों को पांच-पांच के समूह में टास्क की जानकारी देते हैं। योजना के तहत वैब आधारित काल सेंटर की स्थापना की गयी है। आज वीआरएस तकनीक से योजना की जानकारी उपलब्ध है।
हर वर्ग व जाति का रखा ध्यान
राज्य सरकार ने इस योजना के तहत हर जाति व वर्ग का ध्यान रखा है। सौ दिन का कार्य दिवस पूरा करने पर सहरिया, खैरुआ एवं कथौड़ जनजाति परिवारों को सौ दिन अतिरिक्त रोजगार उपलब्ध करवाया जाता है। योजना का लाभ बीपीएल, अनुसूचित जाति एवं जनजाति को अधिक से अधिक मिल सके इसके लिए अपना खेत अपना काम संबंधित दिशा निर्देश जारी किए गए हैं। अपना खेत अपना काम संबंधी दिशा निर्देश के तहत बीपीएल, अनुसूचित जाति व जनजाति परिवारों, जिनकी आजीविका का आधार खेती है, उन्हें भूमि सुधार व सिंचाई व्यवस्था में सुधार सम्बन्धी कार्य दिए जाते हैं। अपना खेत अपना काम के तहत 21 लाख लाभार्थियों का सर्वे किया गया है। 2012-13 की वार्षिक कार्य योजना में लगभग 7.7 लाख कार्य सम्मिलित किए गए हैं। रोजगार चाहने वाले परिवारों को किसी तरह की परेशानी नहीं हो, इसके लिए ग्राम पंचायत कार्यालय के अतिरिक्त दस अन्य स्थानों पर फार्म नम्बर 6 उपलब्ध करवाए गए हैं। काल सेंंटर के जरिए भी काम मांगने वालों की मांग दर्ज कर काम देने की व्यवस्था की गयी है। पंचायत स्तर के सभी 248 केन्द्र तथा ग्राम पंचायत स्तर के 8949 केन्द्रों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। इन केन्द्रों को सोलर सिस्टम से जोड़ा जा चुका है। पंचायत समिति स्तरीय 227 केन्द्रों को आरकेसीएल के प्रशिक्षण कार्यक्रम उपलब्ध करवाए जाने के लिए समझौता पत्र पर हस्ताक्षर किए गए हैं और इनमें से 208 कार्यक्रम शुरू किए जा चुके हैं। 28 पंचायत समिति एवं 376 ग्राम पंचायत स्तरीय सेवा केन्द्रों पर सीएससी स्थानान्तरित की जा चुकी है। 2694 ग्राम पंचायत स्तरीय सेवा केन्द्रों पर मिनी बैंक स्थपित हो चुके हैं। 243 पंचायत समिति स्तरीय एवं 8671 ग्राम पंचायत स्तरीय सेवा केन्द्रों पर नरेगा आफिस कार्यरत हैं। 74 ग्राम पंचायत स्तरीय केन्द्रों पर डाक घर कार्यरत है।

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