जयपुर स्थित आभूषण के खुदरा विक्रेता मोतीसंस ज्वैलर्स ने आपीओ के लिए डीआरएचपी दाखिल किया

जयपुर, मार्च 2023: जयपुर स्थित आभूषण के खुदरा विक्रेता मोतीसंस ज्वैलर्स ने 3, 34,71,000 इक्विटी शेयरों के नए निर्गम, जिसमें बिक्री घटक का कोई प्रस्ताव नहीं है, की आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) के माध्यम से धन जुटाने के लिए अपना ड्राफ्ट रेड हेरिंग प्रॉस्पेक्टस (डीआरएचपी) बाजार नियामक भारतीय प्रतिभूति और विनिमय बोर्ड (सेबी) के पास दायर किया है।
कंपनी ने सेबी के पास पिछले वर्ष सितंबर में प्रस्ताविक आईपीओ दस्तावेज दाखिल किया था।
प्रस्तावित शेयर की बिक्री के लिए इस निर्गम का अंकित मूल्य 10 रुपये प्रति इक्विटी शेयर है। प्रस्ताव पुस्तक निर्माण प्रक्रिया के माध्यम से किया जा रहा है, जिसमें प्रस्ताव का 50% पात्र संस्थागत खरीदारों को आवंटन के लिए उपलब्ध होगा, प्रस्ताव का कम से कम 15% गैर-संस्थागत बोलीकर्ताओं को आवंटन के लिए उपलब्ध होगा और प्रस्ताव का 35% खुदरा व्यक्तिगत बोलीकर्ताओं को आवंटन के लिए उपलब्ध होगा।
कंपनी, इस निर्गम के प्रमुख बैंकरों के परामर्श करके नकद प्रतिफल के लिए 60,00,000 इक्विटी शेयरों के प्री-आईपीओ प्लेसमेंट पर विचार कर सकती है। यदि ऐसा प्लेसमेंट पूरा होता है, तो नए निर्गम का आकार छोटा हो जाएगा।
नए निर्गम से प्राप्त आय का उपयोग अनुसूचित वाणिज्यिक बैंकों से कंपनी द्वारा लिए गए मौजूदा ऋण के भुगतान में 58 करोड़ रुपये, कार्यशील पूंजी की आवश्यकता के वित्तपोषण में 71 करोड़ रुपये के अलावा सामान्य कॉर्पोरेट उद्देश्यों के लिए होगा।
मोतीसंस ज्वैलर्स का प्रबंधन स्वर्गीय मोती लाल छाबड़ा के पुत्रों, दूसरी पीढ़ी के उद्यमी, संदीप छाबड़ा, अध्यक्ष और पूर्णकालिक निदेशक और संजय छाबड़ा, प्रबंध निदेशक, द्वारा किया जाता है, जिनके पास आभूषण उद्योग की दो दशकों से अधिक की विशेषज्ञता है। इन लोगों ने 1997 में जयपुर, राजस्थान के जौहरी बाजार में लगभग 304 वर्ग फुट क्षेत्र में एक शोरूम खोलकर परिचालन शुरू किया था और व्यवसाय में वृद्धि होने से इसे 2002 तक 1355 वर्ग फुट तक बढ़ा दिया। इनका फ्लैगशिप स्टोर ‘मोतीसंस टॉवर’ टोंक रोड, जयपुर में लगभग 11,700 वर्ग फुट क्षेत्र में स्थित है और इसमें 3 मंजिल है, और प्रत्येक मंजिल क्रमशः चांदी, सोना और हीरा जड़ित आभूषण के लिए समर्पित है।
वर्तमान में, जयपुर शहर में स्थित “मोतीसंस” ब्रांड के तहत इनका 4 शोरूम का नेटवर्क है, जिसमें से सबसे ताजा आउटलेट वैशाली नगर में वर्ष 2021 में खोला गया था। इनकी निर्माण सुविधाएँ सीतापुर औद्योगिक क्षेत्र और बापू नगर, जयपुर में स्थित हैं।
यह मुख्य रूप से भारत भर में स्थित तीसरे पक्ष के आपूर्तिकर्ताओं से तैयार आभूषण प्राप्त करता है, और इसके व्यवसाय में सोना, हीरा, कुंदन से बने आभूषणों की बिक्री करना और अन्य आभूषण उत्पाद, जिसमें मोती, चांदी, प्लेटिनम, कीमती, अर्ध-कीमती पत्थर और अन्य धातु की वस्तुओं के साथ सोने और चांदी के सिक्के, बर्तन और अन्य कलाकृतियों को जयपुर, राजस्थान के कई प्रमुख स्थानों पर बेचना शामिल है।

300,000+ से अधिक आभूषण डिजाइन इसके उत्पाद पोर्टफोलियो में हैं, जिसमें शादी और त्योहार जैसे विशेष अवसरों के लिए पारंपरिक, समकालीन और संयोजन डिजाइन हैं, जो सभी उम्र और लिंग के लिए विभिन्न मूल्यों के प्रतिदिन पहने जाने वाले आभूषण हैं।

2011 में इस जौहरी ने अपना वेबसाइट लॉन्च किया था और वरीयता, संग्रह और डिजाइन के आधार पर कैटलॉग ब्राउज करके आभूषण को ऑनलाइन खरीद कर अपने घर मँगवाने वाले युवा और तकनीक-प्रेमी ग्राहकों की सेवा करने के लिए इसने 2018 में ऑनलाइन बिक्री करना शुरू किया था। यह अपने ग्राहकों की सहायता के लिए आभासी मुलाकात कराने की भी व्यवस्था करता है।

मोतीसंस ने वित्त वर्ष 22 में 14.75 करोड़ रुपये का लाभ कमाया, जबकि पिछले वर्ष यह 9.67 करोड़ रुपये था। सितंबर 2022 को समाप्त छह महीने की अवधि में 162.02 करोड़ रुपये के राजस्व में इसका लाभ 10.00 करोड़ रुपये रहा। परिचालन से कंपनी का राजस्व सोने और जड़े आभूषणों की बिक्री में वृद्धि के कारण वित्त वर्ष 2022 में 47.55% बढ़कर 314.33 करोड़ रुपये हो गया, जो वित्त वर्ष 2021 में 213.04 करोड़ रुपये था।

इसके डीआरएचपी की केयरएज की रिपोर्ट के अनुसार, वित्त वर्ष 22 में इसने भारत में अपने सूचीबद्ध साथियों के बीच 3.91 का दूसरा सबसे अच्छा ऋण ईबीआईटीडीए अनुपात दर्ज किया। इसका डेट टू इक्विटी रेशियो 2020 के 1.50 से गिरकर 30 सितंबर, 2022 तक 1.28 हो गया है, जबकि थंगमायिल ज्वैलर्स जैसे अन्य कंपनियों ने अपने डेट टू इक्विटी रेशियो को वित्त वर्ष 19 के 1.07 की तुलना में 30 सितंबर, 2022 तक 1.50 होते देखा है।

इसके अलावा, सोना और आभूषण उद्योग का बाजार आकार कैलेंडर वर्ष 21 में 60 अरब अमेरिकी डॉलर के करीब होने का अनुमान लगाया गया था। भारतीय आभूषण बाजार में पारंपरिक रूप से सोने के आभूषणों का वर्चस्व है। कैलेंडर वर्ष 21 में भारतीय उपभोक्ता द्वारा सोने की कुल माँग 800 टन आँकी गई थी। सोने की माँग में पिछले वर्ष की तुलना में कैलेंडर वर्ष 21 में लगभग 78% की वृद्धि देखी गई। कैलेंडर वर्ष 21 में अधिकांश माँग सोने के आभूषणों की थी जो लगभग 75% (600 टन) थी। हीरा जड़ित आभूषणों में अधिक अनौपचारिक और प्रतिदिन उपयोग की तरफ भी ध्यान देने योग्य बदलाव आया है।

होलानी कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड इस निर्गम के एकमात्र बुक रनिंग लीड मैनेजर हैं और लिंक इनटाइम इंडिया प्राइवेट लिमिटेड इस निर्गम के रजिस्ट्रार हैं।

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