वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्णा रावत की चार पुस्तकों पर परिचर्चा संपन्न

जयपुर । राज लेखिका साहित्य संस्थान की वरिष्ठ साहित्यकार डॉ कृष्णा रावत की चार पुस्तकों पर परिचर्चा कार्यक्रम का शुभारंभ मां सरस्वती को दीप प्रज्ज्वलित कर तथा विनय ने अपने मधुर कंठ से सरस्वती वंदना गाकर किया। अध्यक्ष डॉ जयश्री शर्मा ने सभी का अभिनंदन करते हुए डॉ कृष्णा रावत की साहित्य साधना को सभी महिलाओं के लिए प्रेरक और महत्वपूर्ण उपलब्धि बताया।
कुशल मंच संचालक और मीडिया प्रभारी रेनू शब्दमुखर ने बताया कि मुख्य अतिथि प्रतिष्ठित वरिष्ठ साहित्यकार डॉ. हेतु भारद्वाज ने साहित्य की उपादेयता पर प्रकाश डालते हुए तथा लेखिका डॉ. कृष्णा रावत के व्यक्तित्व और कृतित्व से संबंधित सारगर्भित पक्ष को रखते हुए उनकी पुस्तकों को हिंदी साहित्य जगत के लिए बहुमूल्य और बहुपयोगी बताया। बहुमुखी प्रतिभा संपन्न, आध्यात्मिक चेतना संपन्न एवं मानवीय मूल्यों की पक्षधर,लेखिका डॉ कृष्णा रावत ने अपनी सृजन यात्रा को विस्तार से बताया।

विशिष्ट अतिथि डॉ अमला बत्रा ने ‘यही है जो जिंदगी’ काव्य संग्रह की काव्यात्मक शैली में सारगर्भित समीक्षा की। विशिष्ट अतिथि डा. रेखा गुप्ता ने कृष्णा रावत की पुस्तक ‘साहित्य का समीक्षात्मक अनुशीलन’ की समीक्षा करते हुए कहा कि यह पुस्तक समीक्षाओं की समीक्षा है,जिसमें सभी कृतियों की समीक्षाएं संकलित हैं। कृष्णा का साहित्य बहुआयामी है। उन्होंने पद्य , गद्य, निबंध, कविता कहानी, आलोचना, सभी विधाओं पर कुशलता से लिखा है।
वरिष्ठ समीक्षक डॉ आशा शर्मा ने निबंध पूर्णिमा की समीक्षा करते हुए बताया कि ‘गद्य साहित्य की कसौटी है’ यह कथन कृष्णा जी के निबंधों पर पूरी तरह खरा उतरता है। संग्रह के सभी निबंध बहुपयोगी व प्रासंगिक हैं।
कार्यक्रम संयोजक श्रीकृष्ण शर्मा जो अनेक पुस्तकों के प्रणेता हैं, ने अपने उद्बोधन में बताया कि पिछले 40 वर्षों से लेखिका सतत लेखन कार्य कर रही हैं।कृष्णा का साहित्य भावात्मक, रागात्मक व मनोवैज्ञानिक है।
संस्थान की सचिव डॉ. सुषमा शर्मा ने भी निबंध पूर्णिमा की समीक्षा की एवं पवनेश्वरी वर्मा ने लेखिका का विस्तृत परिचय दिया। कार्यक्रम के अंत में धन्यवाद ज्ञापन डा. पूनम सेठी ने किया।
डॉ माधुरी शास्त्री, कमलेश माथुर, ज्ञानवती सक्सेना, पूजा उपाध्याय, राज चतुर्वेदी, अरुण ठाकर, बनज जी, साकार, विनय ,सुशीला शर्मा, पुष्पा माथुर, सरोज चौहान ,रश्मि रस्तोगी, सावित्री चौधरी आदि की उपस्थिति ने आयोजन को गरिमा प्रदान की।

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