भारतीय योग संस्थान के संस्थापक श्री प्रकाश लाल जी की पुण्यतिथि 30 जुलाई को उनके निर्वाण दिवस पर मनाई जाती है। झूलेलाल मंदिर विकास समिति, की तरफ से झूलेलाल पार्क, सिंधु नगर, नाहरी का नाका में भारतीय योग संस्थान की तरफ से चल रही निशुल्क योग क्लास में आज श्री प्रकाश लाल जी की स्मृति में कार्यक्रम किया गया जिसमें श्रीमती वीरता जी ने व हेमा छतवानी ने भजन प्रस्तुत किये तथा तनिष्का कानवानी ने झूलेलाल जी भजन पर नृत्य की शानदार प्रस्तुति दी
इस अवसर पर श्री हरगुन दास सीरवानी व विष्णु जी का स्वागत किया। विशेष रूप से योगाचार्य श्री ओमप्रकाश जी गुप्ता का माला पहनाकर श्री किशोर रामनाणी ने स्वागत किया व श्रीमती जया व श्रीमती हेमा जी ने उन्हें स्मृति चिन्ह, श्रीफल व मिश्री देकर सम्मानित किया, व योगाचार्य श्री आनंद जी का माला पहनाकर गोविंद शिवानी ने स्वागत किया, व श्रीमती करिश्मा कानवानी, दीक्षा हरपलानी व हेमा छतवानी ने स्मृति चिन्ह, श्रीफल एवं मिश्री से स्वागत किया। इस अवसर पर झूलेलाल मंदिर योग शिविर के संरक्षक श्री गोबिन्द रामनाणी ने सबका मार्गदर्शन करते हुए कहा कि भारतीय परंपरा में हमें जो भी कहीं से मिलता है उसका हम धन्यवाद जरूर देते हैं आज संस्था के संस्थापक श्री प्रकाश लाल जी जिन्होंने हमारे लिए, हमारे स्वास्थ्य के लिए इतने कार्यकर्ताओं का निर्माण किया जिसकी वजह से पूरे देश में करीबन साढ़े चार हजार निशुल्क क्लासों का नियमित रूप से संचालन किया जा रहा है तथा तीस से अधिक देशों में यह शिविर चलता है जिससे लोग निरोगी होते हैं तथा आध्यात्मिक प्रगति की और अग्रसर होते हैं ।
श्री ओमप्रकाश जी गुप्ता ने इस अवसर पर योग की बारीकियां को समझाया, जब तक हम पूर्ण रूप से सही तरीके से योग नहीं करेंगे तो इसका फायदा हम नहीं उठा पाते तथा फाइनल स्टेज पर योग में रुकने का भी अपना महत्व है। श्री आनंद जी ने योग के सारे चरणों को समझा कर सबका मार्गदर्शन किया।
अंत में रामनाणी जी ने श्री प्रकाश लाल जी के अंतिम वाक्य जो आज के संदर्भ में भी हमारा मार्गदर्शन कर हमें ऊर्जा प्रदान करते हैं, सुनाया। आज हमारा समाज निष्प्राण दिखता है, कुछ करना नहीं चाहता- दूसरा करे, हमें ना करना पड़े-ऐसी स्थिति दिखती है। संस्थान ऐसे कार्यकर्ताओं का निर्माण करना चाहता है जो लेटे को बैठा दे, बैठे को खड़ा कर दे और खड़े को दौडा़ दे। दूसरों में प्राण फूंक दे अर्थात दूसरों का प्रेरणा स्रोत बन जाए। हम सब उनके अंतिम शब्दों को प्रेरणा के रूप में लें और भारतीय योग संस्थान की हर कॉलोनी में निशुल्क योग शिविर लगाने के लिए कार्यकर्ता तैयार करें।
गोबिन्द रामनाणी
संरक्षक
9414043424