तीन दिवसीय कहानी एवं कविता लेखन/प्रशिक्षण कार्यशाला में प्रशिक्षणार्थियों ने गहरी रूचि दिखाई

जयपुर, 24 सितम्बर (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा तीन दिवसीय सिन्धी कहानी एवं कविता लेखन/प्रशिक्षण कार्यशाला के अन्तर्गत आज विभिन्न सत्रों में सिन्धी भाषा में कहानी एवं कविता लेखन के साथ ही गज़ल लेखन तकनीक का प्रशिक्षण दिया गया।

अकादमी सचिव योगेन्द्र गुरनानी ने बताया कि कार्यशाला में सिन्धी एवं हिन्दी के वरिष्ठ कवि हरीश करमचंदानी ने ’आज़ाद कविता/नई कविता’ के बारे में आधुनिक परिप्रेक्ष्य में कविता लिखने की कला की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि नई कविता एक पंक्ति की भी हो सकती है परन्तु उसमें भाव व गहराई का समावेश होना चाहिये। उन्होंने स्वरचित एवं अन्य कवियों की कविताओं का उदाहरण देते हुये विस्तार से समझाया। उन्होंने प्रशिक्षणार्थियों को सत्र के अन्त में नई कविता की चंद पंक्तियां भी लिखवाई एवं उनका परीक्षण किया।

कार्यशाला में अजमेर के सिन्धी एवं हिन्दी के सुप्रसिद्ध साहित्यकार, कवि, गज़लकार एवं गीतकार ढोलण राही ने ’सिन्धी नज़्म/कविता की क़िस्म, काफी, क़त्आ, तन्हा, बैत, पंजकड़ा, वाई, रूबाई, हाइकू एवं गीत’ आदि विधाओं पर विस्तार से प्रकाश डाला। उन्होंने कविता के प्रकार, मात्राओं, वजन, तुकबन्दी एवं लिखने के तरीके पर उदाहरण देते हुये उनकी समानता और भिन्नता की बारीकियों पर प्रकाश डाला। उन्होंने ’पंजकड़ा’ के बारे में बताया कि हर पंक्ति का दूसरी पंक्ति से ऐसा जुड़ाव होना चाहिये जैसे कड़ी से कड़ी का। उन्होंने कहा कि पंजकड़ा पांच पंक्तियों में होना चाहिये, जिसमें पहली पंक्ति का दोहराव पांचवीं पंक्ति में होना चाहिये। उन्होंने सिन्धी के प्रसिद्ध साहित्यकार प्रभू वफा की पुस्तक ’सुर्ख गुलाब सुरहा ख्वाब़’ एवं स्वयं की पुस्तक ’स्त्री तुहिंजा रूप ………’ में से कुछ पंजकड़े भी सुनाये।

कार्यशाला में भाग लेने वाले प्रशिक्षणार्थियों में सिन्धी कहानी, कविता एवं ग़जल सीखने की कला के प्रति उत्साह, सीखने की ललक एवं गहरी रूचि दिखाई दी।

(योगेन्द्र गुरनानी)
सचिव

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