जयपुर, 20 मार्च (वि.)। राजस्थान सिन्धी अकादमी द्वारा झालाना संस्थानिक क्षेत्र, जयपुर स्थित अकादमी संकुल में 20 मार्च, 2025 को मासिक अदबी गोष्ठी का आयोजन किया गया।
अकादमी सचिव डॉ.रजनीश हर्ष ने बताया कि गोष्ठी की अध्यक्षता वरिष्ठ साहित्यकार डा.एस.के.लोहानी ने की। गोष्ठी में अजमेर के साहित्यकार जयकिशन गुरबानी ने ’डेखाव में गुम थीन्दड़ डिणु चेटीचण्ड’ विषयक शोध परख आलेख में भगवान श्री झूलेलाल जी की महिमा एवं चेटीचण्ड पर्व का विस्तार से वर्णन किया। उन्होंने बताया कि आज के इस भौतिकवादी दौर में त्यौहारों में श्रद्धा से ज्यादा दिखावा हो गया है, हमें तीज-त्यौहार श्रद्धा, विश्वास एवं उत्साह से मनाने होंगे।
जयपुर की वरिष्ठ साहित्यकार डा.माला कैलाश ने ’साहित हिक इबादत- डॉ.कमला गोकलानी’ विषयक आलेख में सिन्धी की वरिष्ठ साहित्यकार डा.कमला गोकलानी के बारे में बताया कि साहित्य उनके लिये एक इबादत है, वे सिन्धी साहित्य जगत की एक कोहिनूर हैं। उन्होंने सिन्धी साहित्य की हर विधा पर अपनी कलम का जलवा बिखेरा है। डा.रूपा मंगलानी ने पदमश्री प्रो.राम पंजवानी-शख्सु ऐं फऩकार’ विषयक आलेख में बताया कि प्रो.राम पंजवानी ने सिन्धी लोक संगीत का परचम देश-दुनिया में फैलाया है।
साहित्यकार डा.हरि जे.मंगलानी ने कविता ’अचो त मल्हायुं होलीअ जो त्यौहार’ एवं चंडु थारूअ रात जे’ प्रस्तुत की। सुश्री माया वसंदानी ने ’महिला दिवस-8 मार्च-सिन्धी महिलाउनि जो वधंदडु रूतिबो’ विषयक आलेख में बताया कि आज महिलाओं ने सभी क्षेत्रों में तरक्की की है। भीलवाड़ा के साहित्यकार एवं कवि डा.एस.के.लोहानी ’खालिस’ ने स्वरचित कविता ’समझो होली आ’ एवं गीत ’दिल जहिंते कुर्बा’ प्रस्तुत की। इस अवसर पर वरिष्ठ साहित्यकार नन्दिनी पंजवानी ने मोनिका पंजवानी द्वारा तैयार आलेख ’’सिन्धी गज़लकार-वासदेव मोही’’ का वाचन करते हुये वासदेव मोही के रचना संसार पर विस्तार से प्रकाश डाला और उनकी सिन्धी गज़लां का उल्लेख किया।
गोष्ठी में वरिष्ठ साहित्यकार डा.खेमचंद गोकलानी, रमेश रंगानी, पूजा चांदवानी, कन्हैयालाल मेठवानी, गोपाल, पार्वती भागवानी, महेश किशनानी, अशोक चैनलाल आहूजा, रिन्ने मिराजा, कविता तनवानी तथा सिन्धी भाषी साहित्यकार, पत्रकार, अकादमी के पूर्व सदस्य एवं समाज के गणमान्य नागरिक उपस्थित थे। गोष्ठी का संचालन श्रीमती नन्दिनी पंजवानी ने किया।
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