राजस्थान बजट 2013: चुनावी आहट, सबको राहत

gehlotजयपुर.मुख्यमंत्री अशोक गहलोत की ओर से बुधवार को विधानसभा में पेश किए गए बजट में चुनावी पिटारा खोल दिया गया। बजट में सड़क, बिजली, पानी, शिक्षा और स्वास्थ्य पर फोकस करते हुए हर वर्ग को खुश करने की कोशिश की गई। कर्मचारियों से लेकर बच्चे, युवा, महिला और बुजुर्गो को कुछ न कुछ देने का प्रयास किया तो गांव, गरीब, मजदूर और किसान का भी ध्यान रखा।

करीब 336.52 करोड़ रुपए के फायदे वाले बजट में मुख्यमंत्री ने 310 करोड़ रु. के नए टैक्स लगाए हैं, जबकि 400 करोड़ रुपए की राहत दी है। बीपीएल को 1 रु. किलो गेहूं और आम आदमी को 5 रु. किलो आटा उपलब्ध कराने की घोषणा करके मुख्यमंत्री ने वोट बैंक को यथावत रखने की कोशिश की है। बुजुर्गो को सरकारी खर्चे पर धार्मिक स्थलों की यात्रा कराने की घोषणा करके भाजपा के वोट बैंक में भी सेंध लगाने का प्रयास किया है। राज्य बजट २२ मार्च को पारित होने की संभावना है।
अस्पतालों में जहां मुफ्त जांचों का दायरा बढ़ाया गया। पानमसाला और तंबाकू उत्पादों पर वैट दर 50 से बढ़ाकर 65 प्रतिशत करके इस बुराई को समाप्त करने की दिशा में कदम बढ़ाया है।
जयपुर को ये भी मिला
>रामगढ़ बांध में मेज नदी से पानी लाएंगे।
>नया मेडिकल कॉलेज खुलेगा।
>प्रहलादपुरा में ऑटोमोबाइल सर्विस कॉम्पलेक्स
>कुंज बिहारीपुर में नया औद्योगिक क्षेत्र
>जोबनेर में नया कृषि विश्वविद्यालय
>एग्री मार्केट इंटेलीजेंस एंड बिजनेस प्रमोशन सेंटर
>भारतीय खेल प्राधिकरण के ट्रेनिंग सेंटर, स्पोर्ट्स स्कूल
400 की जगह 600 दवाएं मुफ्त
उदयपुर में नगर निगम, अजमेर में विकास प्राधिकरण।
सीकर, पाली, बाड़मेर, चित्तौड़ और सवाई माधोपुर में यूआईटी।
मनरेगा में अब  १क्क् की जगह 150 दिन रोजगार।
गंगापुरसिटी, मकराना, हिंडौन, भिवाड़ी, बालोतरा और सुजानगढ़ में अब नगर परिषद।
43 नए उपखंड कार्यालय खुलेंगे। पांच नई तहसीलें। आठ उपतहसीलें बनेंगी तहसील
कैलाश मानसरोवर यात्रियों को 20 हजार की जगह एक लाख रु. की सहायता।
विपक्ष ने भी थपथपाई मेजें
आम तौर पर ऐसा कम होता है जब बजट में विपक्ष के विधायक मेजें थपथपाएं, लेकिन मुख्यमंत्री ने जब वृद्धावस्था और विधवा पेंशन की पात्रता के लिए परिवार में 25 वर्ष या इससे अधिक उम्र के सदस्य नहीं होने की शर्त को समाप्त करने का एलान किया तो विपक्ष ने भी मेजें थपथपाईं।
यह चुनावी बजट नहीं
‘इसे चुनावी बजट नहीं माना जाना चाहिए। ये घोषणाएं इसलिए कर पाए हैं क्योंकि प्रदेश की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ है। सभी घोषणाएं समय पर पूरी होंगी।’
-अशोक गहलोत, मुख्यमंत्री
झांसा देने की कोशिश
‘इस बजट में सरकार की कोई दिशा नहीं है। यह जाती सरकार का चुनाव के वक्तजनता को झांसे में लेने का प्रयास मात्र है। सरकार चार माह में ये घोषणाएं कैसे पूरी करेगी।’
-वसुंधरा राजे, प्रदेशाध्यक्ष, भाजपा
चुनावी बजट के सियासी मायने
कांग्रेस के लिए 
मुख्यमंत्री ने पार्टी के वोट बैंक को यह एहसास दिलाने की कोशिश की है कि मैं हूं ना! हर वर्ग को राहत देने से अगले चुनाव में पार्टी के पास बताने के लिए कुछ होगा। पार्टी इसको भुना पाए या नहीं, यह अलग बात है।
भाजपा के लिए 
राहत की घोषणाएं भाजपा को आहत करने जैसी हैं। चुनाव में पार्टी के पास कांग्रेस को कोसने के लिए ज्यादा कुछ नहीं होगा। कांग्रेस को सदन और सदन से बाहर घेरने के लिए नए सिरे से रणनीति बनानी होगी।
बजट प्रतिक्रिया में भी बड़े भाजपा नेता कोई बड़ा नुक्स नहीं निकाल पाए।
प्रदेश के लिए 
जब तक जरूरतमंद तक लाभ नहीं पहुंच जाता, तब तक ये महज घोषणाएं ही हैं। शिक्षा, चिकित्सा, सड़क, पानी की घोषणाएं नि:संदेह प्रदेश का स्वरूप बदलने वाली हैं। अगर ये चुनावी बजट है तो प्रदेश को ज्यादा उम्मीद नहीं करनी चाहिए, क्योंकि घोषणाएं हैं घोषणाओं का क्या? क्रियान्विति के लिए सरकार के पास चार माह हैं। उसके बाद तो आचार संहिता लग जाएगी और चुनावी घोड़े दौड़ेंगे।
आगे क्या?
विधानसभा में पेश बजट अभी प्रस्ताव है। भाषण पढ़ने के बाद विधानसभा में वित्त विधेयक पेश किया गया है। गुरुवार से बजट प्रस्तावों पर बहस होगी। मुख्यमंत्री इस बहस का विधानसभा में 12 मार्च को जवाब देंगे। इसके बाद अनुदान मांगों पर बहस होगी। इस बहस पर मुख्यमंत्री 22 को जवाब दे सकते हैं। इस बीच जिन क्षेत्रों की मांगें पूरी नहीं हो पाई हैं वे अपने विधायकों पर इसके लिए दबाव बना सकते हैं। बजट में शामिल नहीं हुई कई मांगों पर मुख्यमंत्री अनुदान मांगों पर बहस के जवाब में घोषणा कर सकते हैं।
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