भदेल ने सावित्री कन्या महाविद्यालय के कर्मियों का उठाया प्रश्न

anitaजयपुर। श्रीमती अनिता भदेल दक्षिण विधायक ने विधानसभा में आज स्थगन प्रस्ताव के जरिये एक प्रश्न लगाया जिसमें ‘सावित्री कन्या महाविद्यालय व विद्यालय के कर्मचारियों को राजकीय ग्रामीण सेवा में समायोजित नहीं करना’।
श्रीमती अनीता भदेल (अजमेर दक्षिण) माननीय उपाध्यक्ष महोदय, मैं ािश्क्षा की दृृष्टि से अजमेर की एक बहुत पुरानी संस्था सावित्री कन्या महाविद्यालय और सावित्री विद्यालय उनके गैर अनुदानित कर्मचारियों के बारे में अपनी बात कहना चाहूंगी। माननीय उपाध्यक्ष महोदय, पिछले चार पाँच दिनों से वह क्रमिक अनशन व भूख हड़ताल पर हैं और उन्होंने सरकार से इच्छा मृत्यु के लिये अनुमति मांगी है कि सरकार हमें इच्छा मृत्यु की अनुमति दे दें तो हम स्वयं ही अपनी जीवनलीला समाप्त कर लें। मंत्री महोदय यहां विराजमान हैं, मेरा निवेदन है कि यह मात्र 18 कर्मचारी की हैं, और पूरे राजस्थान के जितने भी अनुदानित महाविद्यालय हैं उनसे यह अलग प्रकार का मामला है, अलग प्रकार का विषय है।
यह संस्था 1974 से सरकार के आदेशों से चल रही है। प्रबंध कार्यकारिणी इसमें भंग कर दी गई है और इतने दिनों से हमारे ए.डी.एम. साहब इसको चला रहे थे। सरकार ने वहां प्रशासक तैनात किये हुए थे और यह जो 18 कर्मचारी हैं उनको भी महाविद्यालय में इन प्रशासक महोदय की अनुशंसा पर ही लगाया गया था। बहुत स्कूटनी से विज्ञापन जारी करने के बाद में इन कर्मचारियों को वहां लगाया गया है। इसके अतिरिक्त अब यह महाविद्यालय राजकीय महाविद्यालय घोषित हो चुका है। जो दूसरे गैर अनुदानित महाविद्यालय हैं वह राजकीय महाविद्यालय घोषित नहीं हुए हैं। इस महाविद्यालय के पास में अरबों-खरबों सम्पत्ति है। वह सारी की सारी सम्पत्ति अब सरकार के हाथों में है, सरकार के पास है। जब सरकार ने पूरे संसाधनों सहित इस महाविद्यालय को हाथ में लिया है, तो इन 18 कर्मचारियों को भी वह ले सकते थे।
क्योंकि अब ऐसी उम्र, ऐसे पड़ाव पर यह कर्मचारी हैं, किसी की 40 साल उम्र है, किसी की 45 साल उम्र है, किसी की 55 साल उम्र है। ऐसी उम्र में यह कर्मचारी महाविद्यालय छोड़ करके कहीं अन्यत्र रोजगार ढूंढने के लिए नहीं जा सकते। यहां से यदि हटाये जाते हैं तो उनके पास कोई विकल्प नहीं है अपने परिवार के भरण पोषण का। इसलिए मैं माननीय मंत्री महोदय से इतना निवेदन करना चाहूंगी कि पूरे राजस्थान में यह अलग प्रकार का मामला है, मात्र 18 कर्मचारी हैं। आपने इतने हजार कर्मचारियों को समायोजित किया है और अरबों-खरबों की सम्पत्ति सरकार के पास है, तो मात्र 18 कर्मचारियों को भी किसी न किसी तरह समायोजित किया जाना चाहिए। वह तो ग्रामीण सेवा में जाना चाहते हैं कि हमें ग्रामीण सेवा में भेज दें, जितनी भी हमारी सर्विस शेष बची है उसको हम गांवों में जाकर देने को तैयार हैं। सरकार को इन्होंने आठ पत्र लिखे हैं, लेकिन एक भी जवाब इनके पास नहीं आया है और पिछले चार दिन से वह आमरण अनशन पर बैठे हैं। मेरा आपसे हाथ जोड़कर निवेदन है कि मात्र 18 कर्मचारी है, सरकार के मंत्री यहां बैठे हैं, कुछ न कुछ तो इनके बारे में कहें ताकि उन 18 लोगों के परिवार के भरण-पोषण की व्यवस्था के लिए भी वह सुनिश्चित हो सकें।
माननीय उपाध्यक्ष महोदय से मेरा इतना निवेदन है कि यह महाविद्यालय मेरे विधानसभा क्षेत्र में नहीं आता है, परन्तु इसमें जो कर्मचारी काम करने वाले है यह सभी कर्मचारी अजमेर के रहने वाले है।
श्रीमती अनिता भदेल ने मंत्री महोदय से कहा कि इस प्रश्न का जवाब दे, परन्तु व्यवधान होने की वजह से वह विधानसभा में जवाब नहीं दे पाये बाद में मंत्री महोदय ने विधायक अनिता भदेल से व्यक्तिगत मिलकर 18 कर्मचारियों की सूची मांगी और उन्होने आश्वासन दिया कि हम इन कर्मचारियों को भी जल्द राजकीय सेवा में लेगें।
error: Content is protected !!